NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अनुच्छेद 370 : राष्ट्रपति के आदेश के खिलाफ नेशनल कांफ्रेंस सुप्रीम कोर्ट गई
याचिका में दलील दी गयी कि संसद द्वारा स्वीकृत कानून और इसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश ‘‘असंवैधानिक’’ है, इसलिए उन्हें ‘‘अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित कर दिया जाए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Aug 2019
article 370

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में बदलाव को शनिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और दलील दी कि इन कदमों से वहां के नागरिकों से जनादेश प्राप्त किये बगैर ही उनके अधिकार छीन लिये गये हैं।

याचिका में दलील दी गयी कि संसद द्वारा स्वीकृत कानून और इसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश ‘‘असंवैधानिक’’ है, इसलिए उन्हें ‘‘अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित कर दिया जाए।

मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने यह याचिका दायर की है। दोनों ही लोकसभा में नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य हैं।

लोन जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हैं और मसूदी जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2015 में अपने फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 370 संविधान का स्थायी प्रावधान है।

उन्होंने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और इसके बाद जारी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती दी है।

राष्ट्रपति के इस आदेश से जम्मू कश्मीर को संविधान के समूचे प्रावधानों को लागू करने और अनुच्छेद 35 ए को निष्प्रभावी करने तथा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी करने का रास्ता खुलेगा।

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए दोनों सांसदों ने इस अधिनियम और राष्ट्रपति के आदेश को ‘‘असंवैधानिक, अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कानून और राष्ट्रपति का आदेश ‘‘अवैध तथा संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को दिये गये मौलिक अधिकारों का हनन’’ है।

दोनों सांसदों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय को अब यह देखना चाहिए कि क्या केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन की आड़ में समुचित प्रक्रिया तथा कानून के शासन के अहम तत्वों को नजरअंदाज कर इसके विशिष्ट संघीय स्वरूप को ‘‘एकपक्षीय’’ तरीके से खत्म कर सकती है।

याचिका में कहा गया, ‘‘इसलिए यह मामला भारतीय संघवाद, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संघीय ढांचे के प्रहरी के तौर पर शीर्ष न्यायालय की व्यवस्था के मूल तक जाता है।’’

उन्होंने दलील दी कि भारत संघ में जम्मू कश्मीर रियासत के शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक विलय को सुनिश्चित करने के लिये अनुच्छेद 370 को बेहद ध्यानपूर्वक तैयार किया गया था।

जम्मू कश्मीर से दोनों सांसदों ने वकील महेश बाबू के माध्यम से याचिका दायर कर अपनी दलील पेश की कि राष्ट्रपति का आदेश और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने से संबंधित नया कानून ‘‘असंवैधानिक’’ है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित क्षेत्रों - जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने से संबंधित अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी। यह कानून 31 अक्टूबर को प्रभाव में आयेगा।

31 अक्टूबर को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के तौर पर मनाया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाने में अहम भूमिका निभायी थी।

इस सप्ताह की शुरुआत में संसद ने इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति दी थी।

आपको बता दें नेशनल कांफ्रेंस के अलावा कांग्रेस, वाम दल, आरजेडी, एसपी, टीएमसी, डीएमके, पीडीपी इत्यादि दलों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और जम्मू-कश्मीर का संवैधानिक दर्जा बहाल करने की मांग की है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Jammu and Kashmir
Article 370
National Conference
Supreme Court
Constitution of India
President Ram Nath Kovind

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License