NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
अंबेडकर विश्वविद्यालय : फ़िल्म स्क्रीनिंग के दौरान एबीवीपी पर गुंडागर्दी का आरोप
अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के कश्मीरी गेट कैम्पस की एसएफ़आई ने 30 अगस्त को डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था। एबीवीपी पर आरोप है कि उसने स्क्रीनिंग रोकने के लिए तोड़फोड़ की है। 
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Aug 2019
ram ke naam

स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (एसएफ़आई) ने भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कश्मीरी गेट परिसर में हो रही डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में बाधा उत्पन्न करने और समारोह में जातीय टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है।  

एसएफ़आई ने एबीवीपी पर समारोह स्थल पर तोड़फोड करने का आरोप भी लगाया।

दूसरी ओर, पुलिस ने कहा है कि उसके पास ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

अंबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली के कश्मीरी गेट कैम्पस में एसएफ़आई ने शुक्रवार को ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था।

इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर एबीवीपी का कहना है कि इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद की नकारात्मक छवि प्रदर्शित की गई है।

भाजपा समर्थित एबीवीपी ने तोड़फोड़ के सभी आरोपों से इनकार कर दिया है।

वहीं एसएफ़आई की अंबेडकर विश्वविद्यालय इकाई ने कहा कि आनंद पटवर्धन की इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए की जा रही थी, जिन्हें यह डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए हिरासत में लिया गया है।

एसएफ़आई ने कहा, ‘‘एबीवीपी के उपद्रवी समारोह स्थल के अंदर घुस आए और स्क्रीनिंग को बाधित करने की कोशिश की। उन्होंने जातीय टिप्पणियां भी कीं और कहा कि वे स्क्रीनिंग नहीं होने देंगे।’’

एसएफ़आई ने कहा कि उसने स्क्रीनिंग करने से पहले सारी आवश्यक काग़ज़ी कार्रवाई पूरी कर ली थी।

student

"छात्र समुदाय ने एकता का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कई व्यवधानों के बाद भी  सफलतापूर्वक की गई। एक भरे कमरे में ब्लूटूथ स्पीकर के साथ एक लैपटॉप पर भले ही आधी फ़िल्म दिखाई गई हो, लेकिन छात्रों ने अपनी जगह नहीं छोड़ी। जब फ़िल्म की स्क्रीनिंग की जा रही थी, तब बाहर एबीवीपी के गुंडों द्वारा हंगामा किया जा रहा था। गुंडों में से एक ने एक बड़ी मेज़ उठाई और उसे ज़मीन पर पटक दिया (वह एक कार पर तोड़-फोड़ करने वाला था)। समूह के अन्य लोगों ने पुलिस पर हमला करना शुरू कर दिया। पुलिस ने तब उन गुंडों को घसीटा और कमरे से बाहर कर दिया। उन्होंने पुलिस के ख़िराज नारे लगाने शुरू कर दिए - 'दिल्ली पुलिस बिकी हुई है' और भी कई आपत्तिजनक बातें कहीं। "लगभग 50 छात्रों के साथ शुरू हुई स्क्रीनिंग 200 से अधिक छात्रों के एक सहज समुदाय के साथ समाप्त हुई, जो आतंक, घृणा और फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ खड़े थे। यह  AUD के इतिहास में अभूतपूर्व है!"

एबीवीपी के पदाधिकारी ने कहा, ‘‘डॉक्यूमेंट्री में आरएसएस और विहिप को आतंकवादी संगठनों के रूप में दिखाया गया है। हमारी इकाई ने स्क्रीनिंग के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया जो हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। हमने कोई तोड़फोड़ या हिंसा नहीं की।’’

इस  घटना के बाद आनंद पटवर्धन ने भी इस पुरे घटनक्रम को अपने फ़ेसबुक पेज से शेयर किया और कहा कि दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रशासन को हार्दिक धन्यवाद। पुलिस, जो क़ानून के पक्ष में खड़े हुए हैं! उनका भी धन्यवाद!

एसएफआई एयूडी छात्र समुदाय की भावना और साहस को सलाम करता है जो एबीवीपी की नफरत और हिंसा का विरोध करने के लिए ठोस एकता में खड़ा था। हम अपने राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी विचार के बचाव में लड़ाई जारी रखेंगे।

इस  घटना के बाद एसएफआई के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कहा है, "आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' में भगवा ब्रिगेड के बदसूरत चेहरे को दिखाया गया है जो हमारे देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। जेयू, प्रेसीडेंसी, एचसीयू, एयूडी में राम के नाम फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान स्थिति काफ़ी ख़राब और हिंसक हो गई। लगभग हर जगह, एबीवीपी के गुंडों ने छात्रों पर हमला किया और स्क्रीनिंग को रोकने की कोशिश की। लेकिन  प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी और एयूडी जैसे कुछ स्थानों पर, छात्रों ने इस गुंडागर्दी का सामना किया, और एक सफल स्क्रीनिंग का आयोजन किया।"

इस पूरे मामले के संबंध में एसएफ़आई की केंद्रीय कार्यकारी समिति ने अपने सभी इकाइयों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग अपने-अपने क्षेत्रों में आयोजित करें।

(समाचार एजेंसी भाषा के साथ )

Ram Ke Naam
Anand Patwardhan
SFI
BJP
ABVP
ABVP Attacks SFI

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट (AII) के 13 अध्येताओं ने मोदी सरकार पर हस्तक्षेप का इल्ज़ाम लगाते हुए इस्तीफा दिया


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
    30 May 2022
    जापान हाल में रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने वाले अग्रणी देशों में शामिल था। इस तरह जापान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना
    30 May 2022
    पूर्व में बाग़ी रहे नेता गुस्तावो पेट्रो पहले दौर में अच्छी बढ़त के साथ सबसे आगे रहे हैं। अब सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले शीर्ष दो उम्मीदवारों में 19 जून को निर्णायक भिड़ंत होगी।
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली
    30 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद के वरिष्ठ अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कोर्ट में यह भी दलील पेश की है कि हमारे फव्वारे को ये लोग शिवलिंग क्यों कह रहे हैं। अगर वह असली शिवलिंग है तो फिर बताएं कि 250 सालों से जिस जगह पूजा…
  • सोनिया यादव
    आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?
    30 May 2022
    बहुत सारे लोगों का मानना था कि राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के चलते आर्यन को निशाना बनाया गया, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन
    30 May 2022
    हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में मनरेगा मज़दूरों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। पूरे  ज़िले में यही स्थिति है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License