NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय आदिवासी भाषा वर्ष: हर दो हफ़्ते में एक भाषा पृथ्वी से हो रही है लुप्त
भारत ही नहीं समूचे विश्व में छोटी जातियां, धर्म, नस्ल और भाषा गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समय दुनिया की 6700 बोली जाने वाली भाषाओं में से 40 प्रतिशत भाषाएं लुप्त होने के कगार पर हैं।
प्रदीप सिंह
12 Aug 2019
cast issue

मातृभाषाएं केवल संवाद के लिए ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के विकास के लिए भी बहुत आवश्यक हैं। विकसित समाज तो अपनी भाषा को बचाए हैं, लेकिन आदिवासी और आर्थिक रूप से पिछड़े समाज की भाषा-बोली भी लुप्त होने के कगार पर हैं। वैश्विक स्तर पर बड़ी भाषाओं ने भी छोटी भाषाओं के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। भारत ही नहीं समूचे विश्व में छोटी जातियां, धर्म, नस्ल और भाषा गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समय दुनिया की 6700 बोली जाने वाली भाषाओं में से 40 प्रतिशत भाषाएं लुप्त होने के कगार पर हैं। जबकि इन भाषाओं में उस समाज की संस्कृति और उसका हज़ारों वर्षों का ज्ञान संरक्षित है।

छोटी भाषाओं के अस्तित्व पर मंडराते संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने वर्ष 2019 को अंतरराष्ट्रीय स्वदेशी भाषा वर्ष या अंतरराष्ट्रीय आदिवासी भाषा वर्ष घोषित किया है। ‘अंतरराष्ट्रीय आदिवासी भाषा वर्ष’ के उपलक्ष्य में साहित्य अकादेमी ने दो दिवसीय ‘अखिल भारतीय आदिवासी लेखक उत्सव’ आयोजित किया। आदिवासी भाषा के 60 से अधिक विद्वानों ने आदिवासियों की भाषा और संस्कृति पर मंडरा रहे खतरों पर चिंताजनक रिपोर्ट पेश की है।

भारत एक बहुभाषी विविधता वाला देश है और यहां लगभग 19,569 मातृभाषाएं बोली जाती हैं। यह अलग बात है कि इनमें से केवल 121 भाषाएं ही ऐसी हैं जिन्हें बोलने वाले 10,000 से अधिक हैं। कुछ वर्ष पहले भारतीय भाषाओं पर People’s Linguistic Survey of India  के सर्वेक्षण की रिपोर्ट बहुत चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार अगले 50 सालों में भारत में 1.3 बिलियन लोगों द्वारा बोली जा रही भाषाओं में आधे से अधिक भाषाएं लुप्त हो जाएंगी।

संताली भाषा के विद्वान मदन मोहन सोरेन ने कहा, “भाषाओं के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे समृद्ध राष्ट्र है लेकिन विकास की आधुनिक दौड़ ने भाषाओं को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया है और आज यह स्थिति है कि हर दो हफ़्ते में एक भाषा पृथ्वी से लुप्त हो रही है। हमारे देश में भी हो, मुंडारी, कुडुख़ आदि कई भाषाएं लुप्त होने के कगार पर हैं। भारत सरकार को इस चिंताजनक स्थिति पर ध्यान देकर इन स्वदेशी भाषाओं को बचाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।”

1_0.JPG

भारत में भाषा को लेकर गंभीर चिंतन-मनन और विवाद देखा गया है। लेकिन यह चिंता किसी आदिवासी भाषा को लेकर नहीं बल्कि हिंदी-अंग्रेजी और दूसरी बड़ी भाषाओं के लिए है। आदिवासियों की बोली-भाषा की चिंता इस विवाद में कहीं नहीं है। देश की राजनीति में आदिवासी हाशिए पर है। तथाकथित विकास के नाम पर उन्हें उजाड़ने का सरकारी उपक्रम भी चल रहा है। आदिवासियों के जीविकोपार्जन से साधन जंगल-जमीन धीरे-धीरे कारपोरेट की चंगुल में है। जिसके कारण दिनोंदिन आदिवासियों की भाषा और बोली संकटग्रस्त होती जा रही है।

ओडिशी कवि डॉ. सीताकांत महापात्र ने कहा, “सभी आदिवासी भाषाएं अपनी ज़मीन और पर्यावरण से जुड़ी हुई होती हैं और उनमें ज्ञान की अनगिनत बातें छुपी हुई होती हैं। हमने विकास की अंधाधुंध दौड़ में जंगलों का जो सफाया किया है उससे इन आदिवासी लोगों को अपना जीवन यापन करना दूभर होता जा रहा है। साथ ही इन लोगों का जंगलों से बना हजारों वर्षों का संबंध भी संकट में है। आदिवासी भाषाओं में निहित ज्ञान की विशिष्टता के कारण इसे बचाने की जरूरत है।”

तमिलनाडु के.वासमल्ली ने तोडा जनजाति और उसकी भाषा के बारे में बताते हुए कहा कि इस भाषा की वर्णमाला में 54 अक्षर हैं और यह भाषा ध्वन्यात्मक है। इसके बोलने वाले मात्र 1500 लोग बचे हैं। इनके गीत मुख्यता मौसम के वर्णन पर आधारित होते हैं। इनका साहित्य आज भी केवल वाचिक रूप में ही उपलब्ध है। इन सभी भाषाओं का उत्थान तभी हो पाएगा जब हम इनके ऑडियो कैसेट्स बनाकर संगृहीत करें और नई पीढ़ी में इन देशज भाषाओं के प्रति लगाव उत्पन्न कर सकें।   

धर्मेंद्र पारे ने कोरकू भाषा के बारे में बताते हुए कहा कि इसको बोलने वाले मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में हैं और यह मुंडा समुदाय की भाषा के रूप में पहचानी जाती है। कोरकू का मतलब ‘मनुष्य’ है। उन्होंने कोरकू भाषा के कई शब्दों की समानता की ‘हो’ आदि भाषाओं से तुलना करते हुए कहा कि उनके कई शब्द एक समान हैं। उन्होंने कोरकू भाषा के साहित्य के बारे में बताते हुए कहा कि इसकी कोई लिपि नहीं है और देवनागरी लिपि में लिखकर इसकी कुछ किताबें प्रकाशित की गई हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि हमारी देशज भाषाएं तभी बच पाएंगी जब हम प्रारंभिक शिक्षा कम से कम तीन वर्ष मातृभाषा में करवाएं। उन्होंने अनुरोध किया कि यदि इन भाषाओं को देवनागरी और रोमन लिपि में लिखा जाए तो भी इनको कुछ हद तक बचाया जा सकता है। जॉय सिंह तोकबी ने कोर्बी भाषा, सृजन सुब्बा ने लिंबू भाषा, अमल राभा ने राभा भाषा और सुबोध हांसदा ने संताली भाषा की वर्तमान स्थितियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा की।

संबलपुरी कोशली बोली के हलधर नाग ने कहा कि हमारे देश की भाषायी विविधता को बचाना बेहद आवश्यक है। भाषाविद् डॉ. उदय नारायण सिंह ने दक्षिण एशियाई भाषाओं के संरक्षण हेतु यूनेस्को के साथ अपने कार्य को याद करते हुए कहा कि कई भारतीय भाषाओं के विलुप्त होने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है।  

tribals
tribal communities
tribal land
Language
religion

Related Stories

स्पेशल रिपोर्ट: पहाड़ी बोंडा; ज़िंदगी और पहचान का द्वंद्व

भोपाल के एक मिशनरी स्कूल ने छात्रों के पढ़ने की इच्छा के बावजूद उर्दू को सिलेबस से हटाया

सोचिए, सब कुछ एक जैसा ही क्यों हो!

भाषा का सवाल: मैं और मेरा कन्नड़ भाषी 'यात्री-मित्र'

टुसू परब : बढ़ते सामाजिक तनावों के बीच भी दे रहा है साझापन का ज़मीनी संदेश

साथ -साथ रोज़ा इफ्तार पार्टी

झारखंड रिपोर्ट : ‘संविधान बचाओ’ नारे के साथ मनाया गया सरहुल

झारखंड : अपने देस में ही परदेसी बन गईं झारखंडी भाषाएं

हमारी मनचाही जीवनशैली में हिंदी जैसा कुछ भी नहीं

हिन्दी कभी भी शोषकों की भाषा नहीं रही


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License