उर्दू शायर जौन एलिया की नज़्म, "ऐलान ए रंग", उस ऐतिहासिक घटना पर लिखी है, जो 1 मई 1886 को शिकागो में हुई थी। मज़दूरों के उसी संघर्ष के बाद दुनिया भर में काम के 8 घंटे तय हुए थे, हालांकि दुनिया के एक बड़े हिस्से में इसको लेकर ये संघर्ष आज भी जारी है। यही वजह है कि मई दिवस पर इस नज़्म को याद करना और भी प्रासंगिक हो जाता है।
उर्दू शायर जौन एलिया की नज़्म, "ऐलान ए रंग", उस ऐतिहासिक घटना पर लिखी है, जो 1 मई 1886 को शिकागो में हुई थी। मज़दूरों के उसी संघर्ष के बाद दुनिया भर में काम के 8 घंटे तय हुए थे, हालांकि दुनिया के एक बड़े हिस्से में इसको लेकर ये संघर्ष आज भी जारी है। यही वजह है कि मई दिवस पर इस नज़्म को याद करना और भी प्रासंगिक हो जाता है।
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