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अपना कर्मचारी होने का हक़ लेने दिल्ली आईं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, संसद तक मार्च
“हमारे काम का कोई समय नहीं है, न हमारी कोई छुट्टी है। हमें किसी भी समय बुला लिया जाता लेकिन सरकार कि हिसाब से हम पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं है, इसलिए हमें वेतन नहीं मानदेय मिलता है। हम मोदी सरकार से पूछने आये हैं अगर ये पूर्णकालिक काम नहीं है तो क्या है?”
मुकुंद झा
25 Feb 2019
  Anganwadi Workers

आज सोमवार को अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिका फेडरेशन (AIFAWH) के नेतृत्व में देश के हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों ने दिल्ली के मंडी हॉउस से संसद मार्च किया। सभी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। AIFAWH ने कहा कि भाजपा सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को फिर से धोखा दिया है। उनके मानदेय में कोई अन्य वृद्धि नहीं की है।

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मध्य प्रदेश के डिंडोरी से आई आनागँवाड़ी सहायिका जयंती ने हमें बताया कि 7 से 8 घंटे काम करने के बदले 1500 रुपये मिलते हैं, वो भी पिछले चार महीने से नहीं मिला है। ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। ऐसे ही कई-कई महीने तक हमारा मानदेय नहीं मिलता है, जो मिलता है वह इतना कम है कि इसमें एक आदमी का गुजर भी नहीं हो सकता, परिवार की तो बात छोड़ दीजिए।

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से आई आंगनवाड़ी कर्मियां सरकार और नक्सली दोनों से त्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि 2016 में नक्सिलयों ने 10 आंगनवाड़ी कर्मियों को बंधक भी बना लिया था। यही नहीं, अभी कुछ समय पहले एक कर्मचारी कि हत्या भी कर दी गई। इस संभाग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रुखमणी सज्जन ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वो दिल्ली में अपने कर्मचारी के होने का हक़ लेने और अपने काम का उचित मेहनताना लेने आई हैं |

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आगे वो कहती हैं हम आज लगभग 25 योजनाओं के तहत काम करते हैं। लगभग 7 से 10 घंटे काम करते हैं, हमारे काम का कोई समय नहीं है, न हमारी कोई छुट्टी है। हमें किसी भी समय बुला लिया जाता लेकिन सरकार कि हिसाब से हम पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं है, इसलिए हमें वेतन नहीं मानदेय मिलता है। हम मोदी सरकार से पूछने आये हैं अगर ये पूर्णकालिक काम नहीं है तो क्या है?

इन्ही कि एक ने साथी ने कहा कि मोदी सरकार ने लगातर हमसे धोखा किया है सरकार ने कई बार घोषणा तो की लेकिन वास्तविकता में आज तक हमारे मानदेय में किसी भी प्रकार कि कोई वृद्धि नहीं हुई है। अगर सरकार हमसे इसी प्रकार छल करती रही तो हमने जैसे राज्य में भाजपा के 15 साल के शासन को उखाड़ फेंका है, इसी प्रकार हम केंद्र की भी भाजपा सरकार को उखाड़ देंगे।

 इसे भी पढ़े :-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी ‘धोखा’! 25 को संसद मार्च

हरियाणा से आई आंगनवाड़ी कर्मचारियों के एक समूह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने उनसे 14 सूत्री मांग पत्र पर पिछले साल उनके आन्दोलन के बाद लिखित समझौता किया था, लेकिन सरकार ने उसमें से सिर्फ दो मांगों को छोड़कर हमारी किसी भी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके खिलाफ आज जब हम दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से 50 लाख आंगनवाड़ी कर्मी हड़ताल पर हैं। भाजपा सरकार कर्मचारियों की मांग पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें डरा धमकाकर आन्दोलन को तोड़ने का प्रयास कर रही है। लेकिन लगता है वो नहीं जानते हैं कि हम महिलाए फूल नहीं चिंगारी है। यह चिंगारी इस घमंडी और जन विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को भस्म कर देगी।

पंजाब आंगनवाड़ी कर्मचारी रविन्द्र कौर जो लगभग 58 वर्ष की हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हमने अपना पूरा जीवन आंगनवाड़ी में काम किया लेकिन हमे रिटायरमेंट के बाद किसी भी प्रकार कोई पेंशन या भत्ता नहीं दिया जाता है। इसके आलावा हमें किसी भी प्रकार का कोई भी सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती है। जबकि हम किसी स्कूल के शिक्षक से कम काम नहीं करते हैं। इसके आलावा हम देश में कुपोषण को खत्म करने में भी अहम योगदान देते हैं। इसके बावजूद भी हमें हमारा हक़ नहीं मिलता है। इसलिए हम आज हजारों की संख्या में दिल्ली आये हैं।

 इसे भी पढ़े :- स्कीम वकर्स ने करी देश व्यापी हड़ताल,प्रधानमंत्री को दिया ज्ञापन

पंजाब से ही आई समां कहती है कि वो पेंशन और पे स्केल के तहत वेतन की मांग को लेकर दिल्ली आईं हैं। उन्होंने कहा सरकार हमारी मांगों को लेकर सोई हुई है, हम उसे जगाने आये हैं और जब तक यह सोई हुई सरकार जागेगी नहीं तबतक हम इन्हें जगाते रहेंगे।

बंगाल से आई शीला ने कहा कि मानदेय नहीं वेतन दो, अगर वेतन नहीं दे सकते तो गद्दी छोड़ दो।

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इसके आलावा सभी राज्यों से आई आंगनवाड़ी कर्मियों ने कहा कि वेतन और पोषाहार जो बच्चों, किशोरी और महिलाओं के लिए आता है वो भी कभी पूरा नहीं आता है। बिना पोषाहार के कैसे कुपोषण से लड़ेंगे।

सीटू के महासचिव तपन सेन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि देशभर से आंगनवाड़ी कर्मचारी अपने हक मांगने के लिए दिल्ली आये हैं। यह किसी सरकार के खिलाफ विरोध नहीं कर रहे हैं यह नीति के खिलाफ है। क्योंकि वो नीति ही है जो लगातार कर्मचारियों का शोषण का हथियार बनी है। लेकिन इन नीति को बनाने वाली सरकारों को जाना पड़ेगा, यही संदेश देने के लिए लगातार इस तरह के विरोध प्रदर्शन देश भर में हो रहे हैं।

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AIFIWH की महासचिव ए.आर. सिंधु ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने आंगनवाड़ी कर्मचारियों के धोखा दिया है। इस धोखे का प्रतिकार करने के लिए जनसैलाब उमड़ा है। उन्होंने कहा  मोदी सरकार पहली सरकार है जिसने अपने पहले बजट में ICDS के लिए आवंटन में भारी कटौती की थी। इसके आलावा अपने हिस्से का खर्च का केवल 60% हिस्सा वो भी नहीं दे रहे हैं। इसके साथ ही यह सरकार आईसीडीएस के निजीकरण की कोशिश कर रही है। अब, मंत्रालय नीति अयोग के निर्देशानुसार लाभार्थियों के लिए पोषण के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के साथ आगे बढ़ रहा है। पायलट प्रोजेक्ट यूपी और राजस्थान में प्रस्तावित किया गया है। यदि इसे लागू किया जाता है तो यह आईसीडीएस समाप्त हो जाएगा। हमारी लड़ाई इस योजना को बचाने की है क्योंकि इन सभी योजनाओं ने देश को कुपोषण से लड़ने में बहुत मदद की है।

आज मार्च की मुख्य मांगें

·        न्यूनतम वेतन 18 हज़ार महीना

·        6 हज़ार महीना पेंशन सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ

·       आईसीडीएस का निजीकरण बंद करो

·       आईसीडीएस में पोषाहार के बदले पैसा (DBT) देना बंद करो

इसके आलावा आज के प्रदर्शन में असंगठित क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं को चाइल्ड केयर सेवा सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्णकालिक क्रेच में परिवर्तित करने की मांग की गई। यह सरकार के लिए एक चेतावनी की तरह है क्योंकि हर राज्य में लाखों की संख्या में आंगनवाड़ी कर्मचारी हैं जिनकी पहुँच घर-घर में है।

 इसे भी पढ़े :- मिड डे मील कर्मियों का दिल्ली में संसद मार्च, न्यूनतम वेतन और कर्मचारी का दर्जा मांगा

 

 

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