अपने आसपास के घटनाक्रमों को ध्यान से देखें तो लगता है, इन दिनों अपने समाज में 'क्राइम' और 'पनिशमेंट' की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है! डॉ अम्बेडकर, टाल्सटाय, गोर्की, नेहरू या भगत सिंह को पढ़ने-समझने की कोशिश करने वाले बुद्धिजीवियों के घरों में छापेमारी हो रही है और माब-लिंचिंग व दुष्कर्म के आरोपियों का खुलेआम बचाव हो रहा है। ऐसे ही कुछ खास संदर्भों की रोशनी में भारतीय राष्ट्र-राज्य की कुछ बड़ी चुनौतियों की चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ।
अपने आसपास के घटनाक्रमों को ध्यान से देखें तो लगता है, इन दिनों अपने समाज में 'क्राइम' और 'पनिशमेंट' की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है! डॉ अम्बेडकर, टाल्सटाय, गोर्की, नेहरू या भगत सिंह को पढ़ने-समझने की कोशिश करने वाले बुद्धिजीवियों के घरों में छापेमारी हो रही है और माब-लिंचिंग व दुष्कर्म के आरोपियों का खुलेआम बचाव हो रहा है। ऐसे ही कुछ खास संदर्भों की रोशनी में भारतीय राष्ट्र-राज्य की कुछ बड़ी चुनौतियों की चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ।
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