NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
आरटीआई संशोधन : लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमज़ोर करने की एक और चाल!
संशोधन विधेयक के विरोध में जन संगठनों ने सड़क से संसद और सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया है। इसी के साथ इन संगठनों ने सोमवार को दिल्ली में पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर विरोध मार्च किया और कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में जन मंच आयोजित किया।
मुकुंद झा
22 Jul 2019
RTI

नरेंद्र मोदी पार्ट-2 सरकार सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में बदलाव कर रही है। संशोधन बिल, 2019 को चर्चा के लिए लोकसभा के सामने रखा गया है और बहस जारी है। इसको लेकर नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफॉर्मेशन (एनसीपीआरआई), नेशनल एलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट सहित कई अन्य समाजिक संगठनों सहित सिविल सोसाइटी के लोगों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से  इस कानून को पूरी तरह से कमजोर और बर्बाद कर देना चाहती है। 

इसको लेकर इन सभी संगठनों ने इस संशोधन विधेयक के विरोध में सड़क से संसद और सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इसी क्रम में सोमवार, 22 जुलाई को इन सभी संगठनों ने दिल्ली में संसद से कुछ सौ मीटर दूर पटेल चौक मेट्रो स्टेशन से प्रदर्शन मार्च किया और इसके बाद कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में जन मंच आयोजित किया और फिर प्रेस वार्ता की। इसमें राज्यसभा सांसद मनोज झा, वरिष्ठ वकील और समाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण, आरटीआई कार्यकर्ता अंजिल भारद्वाज और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता शमिल हुए।

RTI

सभी संगठनों ने आरटीआई एक्ट में संशोधन की आलोचना की और कहा, ‘यह संशोधन भारत में लोकतंत्र की विश्वसनीयता और अखंडता को कमजोर करेगा। इन सभी मूल्यों को स्थापित करने के लिए हम एक स्वतंत्र और शक्तिशाली आरटीआई आयोग की मांग करते हैं।’ 

आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज का कहना है कि लोकसभा में पेश किया गया सूचना का अधिकार बिल केंद्र सरकार को सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और वेतन निर्धारित करने की ताक़त देता है जो उनकी आज़ादी और अधिकारों का हनन है। इस संशोधन के ज़रिये सरकार सूचना आयोग को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है।’

वे सवाल करती हैं कि इस संशोधन की क्या जरूरत है और सरकार इसे क्यों करना चाहती है?

RTI

अंजलि भरद्वाज ने कहा कि आज हम यहां इसलिए आए हैं कि सरकार और संसद में बैठे लोगों तक हमारी आवाज़ पहुंचे कि हम नहीं चाहते की ये संशोधन हो। उन्होंने कहा कि इससे पहले पिछले साल भी सरकार ने कोशिश की थी लेकिन हमारे संघर्ष के कारण सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। हम इसबार भी डरेंगे नहीं इसबार भी हम अपने मौलिक अधिकार के लिए लड़ेंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि क्यों सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता जरूरी है। उन्होंने कहा कि क्योंकि आप सरकार की सूचना मांग रहे हैं इसलिए यह प्रावधान किया गया कि इनको सरकार से स्वतंत्र रखा जाए। इसलिए इनके वेतन और कार्यकाल के नियम तय किये गए थे। लेकिन अब इसे खत्म किया जा रहा है। इसकी कोशिश पहले भी हुई है जैसे अफसरों की फाइल की नोटिंग को लेकर सवाल रहे कि ये नोटिंग पब्लिक की जा सकती है या नहीं ?

सीपीआई महासचिव डी राजा ने भी इस संशोधन का विरोध किया और कहा कि ये सरकार सभी संस्थाओं को तबाह करना चाहती है।

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऐसा करने से केंद्रीय एवं राज्य के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी।

अपनी सियासी पारी शुरू करने से पहले आरटीआई कानून को लागू करवाने की दिशा में सक्रियता से काम करने वाले केजरीवाल ने ट्वीट किया, “आरटीआई कानून में संशोधन का निर्णय एक खराब कदम है। यह केंद्रीय एवं राज्यों के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर देगा जो आरटीआई के लिए अच्छा नहीं होगा।”

Decision to amend the RTI Act is a bad move. It will end the independence of Central & States Information Commissions, which will be bad for RTI

— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 22, 2019

आपको बता दें कि केंद्र ने आरटीआई कानून में संशोधन करने के लिए लोकसभा में शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया जो सूचना आयुक्तों का वेतन, कार्यकाल और रोजगार की शर्तें एवं स्थितियां तय करने की शक्तियां सरकार को प्रदान करने से संबंधित है।

सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक पेश करते वक्त प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह आरटीआई कानून को अधिक व्यावहारिक बनाएगा। उन्होंने इसे प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए लाया गया कानून बताया।

उधर, विरोध कर रहे हैं संगठनों का कहना है कि सरकार ने बिल पेश करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को भी नहीं माना। इसे पेश किए जाने के पहले तक किसी को भी जानकारी नहीं दी गई। इन संगठनों का कहना है कि सबसे हैरानी की बात यह है कि जनता और बाकी हितधारक तो छोड़िए सांसदों को भी तब इसके बारे में पता चला जब उनके बीच इसकी कॉपी बांटी गई।

 

देश के लगभग 6 करोड़ नागरिकों द्वारा हर साल आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह आम नागरिकों के हाथों में सबसे मजबूत हथियार साबित हो रहा है। इस अधिकार से वो अपने अधिकारों को जानते हैं और सरकारों की चोरी को पकड़ते है।  

नेशनल कैंपेन फॉर पिपुल्स राइट टू इंफॉर्मेशन (एनसीपीआरआई)   पूरी तरह से एनडीए सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधनों को खारिज करता है और मांग करता है कि उन्हें तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए। ये संशोधन लोगों के मूल अधिकारों को प्रभावित करेंगे, अगर कोई संशोधन किया भी जाना है तो उसे उचित संसदीय समितियों द्वारा व्यापक बहस और चर्चा के माध्यम से रखा जाना चाहिए।

इससे पहले पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने बीते शनिवार को सांसदों से सूचना के अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित करने से रोकने की अपील करते हुए सांसदों को एक खुला पत्र लिखा और कहा कि कार्यपालिका विधायिका की शक्ति को छीनने की कोशिश कर रही है।

इस पत्र में, आचार्युलु ने पारदर्शिता की वकालत करते हुए कहा कि इस संशोधन के जरिये मोदी सरकार आरटीआई के पूरे तंत्र को कार्यपालिका की कठपुतली बनाना चाह रही है। आचार्युलु ने पत्र में लिखा, ‘राज्यसभा के सदस्यों पर जिम्मेदारी अधिक है क्योंकि वे उन राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी स्वतंत्र आयुक्तों को नियुक्त करने की शक्ति केंद्र को दी जा रही है।  

 

एनसीपीआरआई के मुताबिक मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला है जिसके लिए सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और उसके लिए आरटीआई कानून के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने और सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के उच्च मानकों को बढ़ावा देने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जो निम्नलिखित हैं;

•             सूचना आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए समयबद्ध और पारदर्शी नियुक्तियां करना

•             सूचना चाहने वालों पर हमलों के मुद्दे का समाधान करना- देश भर में 80 से अधिक आरटीआई उपयोगकर्ताओं की हत्या कर दी गई है।

•             व्हिसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना

•             अनिवार्य स्वतः प्रकटीकरण (Pro Active Disclosures) को मज़बूत करने के लिए सूचना के अधिकार की धारा 4 के ख़राब क्रियान्वयन को ठीक करना, जिसकी कमी इस सरकार की कुछ सबसे व्यापक नीतियों जैसे कि नोटबंदी में तीव्रता से महसूस की गई।

•             चुनावी चंदे में पारदर्शिता की पूर्ण कमी को ठीक करना 

एनसीपीआरआई का कहना है कि यह अकल्पनीय है कि इनमें से किसी भी मुद्दे पर, जो वर्तमान में सूचना के जन अधिकार को कमजोर कर रहे हैं का समाधान करने के बजाय, एनडीए सरकार ने आरटीआई कानून के तहत निर्णय करने वाले प्राधिकारियों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को नष्ट करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर 

लिया है। यह नवीनतम विधायी चालाकी इस सरकार की इस देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की चाल का एक और उदाहरण है।

RTI
democracy
Narendra modi
BJP
Indian constitution

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License