NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘अरुणाचल प्रदेश से रुक्मिणी है' क्यों है अब भी यह मान्यता?
इदू मिशमी समुदाय ने पोरबंदर की घटनाओं पर आश्चर्य प्रकट किया हैI
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Mar 2018
Rukmini

गुजरात के पोरबंदर में आयोजित माधवपुर मेला, धर्म, राजनीति और छद्म-इतिहास की एक सामान्य अपवित्र संगम था। 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' नाम के कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों के साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की उपस्थिति देखी गई। अरुणाचल प्रदेश के एक दल ने भी इस आयोजन में हिस्सा लिया, ये दल निश्चित रूप से इदू मिश्मी समुदाय से थाI इस कार्यक्रम में जब कृष्ण और रुक्मिणी की कहानी के बारे में टिप्पणी हुई तो इदू मिश्मी का सांस्कृतिक दल को आश्चर्य हुआ, खासकर इस पर कि रुक्मिणी इदु मिशमी समुदाय से थीं। यह कार्यक्रम का निशाना शायद चीन था, जो नागा-बस्तियों वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है। एक लेख में यहाँ तक ​​कहा गया कि ये कहानी इदु मिशमी लोककथाओं में है। हालांकि, अरुणाचल टाइम्स एक अलग कहानी बताते हैं |

लेख के अनुसार इस कहानी की जड़ें 1970 के आसपास रूआंग क्षेत्र के एक सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय से जुड़ती हैं। इस विद्यालय के छात्रों ने 70 के दशक में 'रुक्मिणी हारान' नृत्य किया। कृष्ण को छोड़कर इग्स (इदू मिश्मी शामन्स) के पास रूक्मिणी के अस्तित्व के बारे में कोई कहानी नहीं है |   अरुणाचल प्रदेश में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए  हाल ही में पौराणिक कथाओं को  उद्धृत किया गया है । यह पूरा मिथक दरअसल एक सरकारी विद्यालय से शुरू हुआ इस बात कि ओर इशारा करता है कि सरकार नागा और मिज़ो विद्रोहों से कितना असहज थे क्योंकि इनमें ज़्यादातर ईसाईयत का दबदबा थाI

हालांकि,राष्ट्रीय एकीकरण के नाम पर जनजातीय लोकगीतों का विनाश अरुणाचल प्रदेश में एक नई घटना नहीं है। ग्याकर सिनयी इटानगर के पास एक लोकप्रिय झील लोगो के घुमने और मौज़-मस्ती का स्थान था,  जिसे अब  'गंगा झील' के रूप में जाना जाता है। चांगलांग के शिडी गांव का नाम बदलकर गांधीग्राम रखा गया है। जब ज़ीरो में एक पत्थर की संरचना पाया गया था, तो तुरंत इसे 'शिवलिंग' कहा गया था और अब ये तीर्थ स्थान बन गया है। 'शिवलिंग' के अस्तित्व के बाद से ज़ीरो में रहने वाले कई अपटानियों को 'आश्वस्त' कराया गया कि वो हिन्दू हैं  क्योंकि वे वास्तव में हिंदू हैं | यहाँ तक ​​कि डोनी पोलो की प्रथा - आत्मावाद और शमनवाद पर आधारित न्यासी समुदाय की पारंपरिक विश्वास प्रणाली विकृत हो गई है। परंपरागत रूप से पूजा का कोई नामित स्थान नहीं था, पूजा बाहर की जाती थी। अब, डोनी पोलो के मंदिरों को बनाया गया है और भजनों को  भी लिखे गये हैंI रिकॉर्ड से परे, अरुणाचल प्रदेश में कुछ अनुभव वाले व्यक्ति ने उल्लेख किया कि मंदिरों और भजनों का निर्माण कुछ जूनियर नौकरशाहों का काम हैं कुछ डोनी पोलो शामंस के सहयोग से किया गया है |

इन कदमों से कई सवाल उठते हैं- सबसे पहले, अरुणाचल प्रदेश के इतिहास को बिगाड़ने के लिए इतने सारे लोग क्यों लगे हैं - जो कि इसके संस्कृत नाम को प्राप्त करने के लिए पूर्वोत्तर सीमा एजेंसी (नेफा) के रूप में जाना जाता था? दूसरे, भारत में छह दशक से अधिक समय तक अस्तित्व में रह रहे लोगों के दिमाग पर 'राष्ट्रीय एकीकरण' इतनी भारी भूत क्यों सवार है ? अंत में, क्या भारत को अरुणाचल प्रदेश पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी स्थिति पर विश्वास नहीं है? 1962 में हेंडरसन ब्रूक्स-भगत रिपोर्ट की स्मृति, और मैक्सवेल द्वारा दिए गए खुलासे निश्चित रूप से उन केंद्र सरकार और सुरक्षा प्रतिष्ठानों में खलल डालते हैं।

Rukmini
Arunachal Pradesh
Ek Bharat Shreshtha Bharat

Related Stories

पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा

अरुणाचल प्रदेश के राजधानी परिसर में छह जुलाई से एक सप्ताह तक रहेगा पूर्ण लॉकडाउन

अपने ही देश के आठ राज्यों में नहीं जा पा रहे हैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री

जामिया विश्विद्यालय में पुलिस बर्बरता के ख़िलाफ विरोध-प्रदर्शन

नागरिकता कानून; पूर्वोत्तर का हाल : असम से लेकर मेघालय-मिजोरम तक जारी है विरोध

अनुच्छेद 370 : अगला निशाना उत्तर-पूर्व होने की आशंका!

आंध्र में चंद्रबाबू सत्ता से बाहर, ओडिशा में नवीन पटनायक की वापसी

चुनावों में नॉर्थ-ईस्ट की एक स्पष्ट झलक

पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर मतदान, कई दिग्गज मैदान में

#चुनाव2019 : पूर्वोत्तर के गठबंधनों की समीक्षा


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License