NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अंतरराष्ट्रीय
लैटिन अमेरिका
डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
27 Apr 2022
pic

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन। 

मार्च की शुरुआत में, अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 2018 में पूर्व राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री ने आईएमएफ़ से 57 अरब डॉलर क़र्ज़ लिया था, जो कि इस वित्तीय संस्थान के इतिहास में सबसे बड़ा क़र्ज़ है। इस पुराने क़र्ज़ पर 2.8 अरब डॉलर की क़िस्त का भुगतान करने के लिए मौजूदा सरकार को आईएमएफ़ से यह हालिया डील करनी पड़ी। 2018 के क़र्ज़ से अर्जेंटीना के समाज में तेज़ी से विभाजन बढ़ा। उसके अगले साल, मैक्री प्रशासन की जगह चुनावों में मध्यमार्गी और वामपंथी गठबंधन फ्रेंटे डी टोडोस को जीत मिली, जिनके चुनावी अभियानों में उदारवाद-विरोधी और आईएमएफ़-विरोधी कार्यक्रम पर ज़ोर दिया गया था।

दिसंबर 2019 में राष्ट्रपति अल्बर्टो फ़र्नांडीज़ ने पदभार संभालने के बाद आईएमएफ़ के ऋण पैकेज के बचे हुए 13 बिलियन डॉलर लेने से इनकार कर दिया। इस क़दम की अर्जेंटीना के समाज में बड़ी सराहना हुई। उसके अगले साल, फ़र्नांडीज़ की सरकार अमीर बॉन्डधारकों द्वारा रखे गए 66 बिलियन डॉलर के ऋण का पुनर्गठन करने में सक्षम रही और मैक्री की सरकार द्वारा लिए गए क़र्ज़ के भुगतान में देरी करने के बारे में आईएमएफ़ के साथ खुली चर्चा की। लेकिन आईएमएफ़ अड़ा रहा -उसने समय पर भुगतान करने को कहा। न मैक्री द्वारा लिया गया क़र्ज़ और न ही राष्ट्रपति फ़र्नांडीज़ के द्वारा किया जा रहा नया सौदा अर्जेंटीना के सार्वजनिक वित्त के दीर्घकालिक संघर्ष को सुलझा सकता है।


कार्लोस अलोंसो (अर्जेंटीना), कान, 1972

'नागवार क़र्ज़' शब्द का प्रयोग उन समाजों द्वारा देय धन का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिनकी सरकारें अलोकतांत्रिक रही हैं। इस अवधारणा के बारे में अलेक्जेंडर नहुन सैक ने अपनी पुस्तक 'द इफ़ेक्ट्स ऑफ़ स्टेट ट्रांसफ़ॉर्मेशन ऑन देयर पब्लिक डेट्स एंड अदर फ़ाइनेंशियल ऑब्लिगेशन्स (1927)' में लिखा था। सैक ने लिखा, 'यदि कोई निरंकुश सत्ता राज्य की ज़रूरतों या हितों के लिए नहीं, बल्कि अपने निरंकुश शासन को मज़बूत करने के लिए, इसके ख़िलाफ़ लड़ने वाली अपनी आबादी को दबाने आदि के लिए कर्ज़ लेती है, [तो] यह क़र्ज़ राज्य की जनता के लिए नागवार होता है'। जब वह निरंकुश शासन ख़त्म होता है, तब कर्ज़ जनता पर लद जाता है।

जब अर्जेंटीना की सेना का देश (1976-83) पर शासन था, उस दौरान आईएमएफ़ ने खुले दिल से पैसे उधार दिए। इसलिए, सेना के सत्ता में आने पर देश का कर्ज़ जो केवल 7 बिलियन डॉलर था, वह सेना के बाहर जाने तक बढ़कर 42 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था। स्पष्ट है कि आईएमएफ़ द्वारा अर्जेंटीना के सैन्य दल को दिए गए धन ने ऋण और निराशा के ख़तरनाक चक्र को गति दी, जो कि आज तक जारी है। इसी पैसे ने 30,000 लोगों को मार डाला, या प्रताड़ित किया और या ग़ायब कर दिया। यह 'नागवार क़र्ज़' रद्द नहीं किया गया -जैसे कि दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद ऋण को रद्द नहीं किया गया था- जो हमें अंतर्राष्ट्रीय वित्त की ख़तरनाक वास्तविकता के बारे में बहुत कुछ बताता है।

ग्रेसिया बैरियोस (चिली), गुमशुदा, 1973

आईएमएफ़ ने फ़र्नांडीज़ सरकार के साथ ठीक वैसा ही सौदा किया है जैसा कि आईएमएफ़ ने अन्य कमज़ोर देशों के साथ किया है। महामारी के दौरान, विकासशील देशों को आईएमएफ़ ने जो क़र्ज़ दिया, उसमें से 85% क़र्ज़ के साथ उदारवादी नियम, यानी बजट कटौती आदि, की शर्तें लागू हुईं, जिन्होंने सामाजिक संकट को तेज़ कर दिया। इन आईएमएफ़ ऋणों की तीन सबसे आम शर्तें हैं, सार्वजनिक क्षेत्र के वेतन में कटौती करना या उसे फ़्रीज करना, मूल्य वर्धित करों को लागू करना और उनमें वृद्धि करना, और सार्वजनिक ख़र्च में (विशेषकर उपभोक्ता सब्सिडी में) अत्यधिक कटौती करना। अर्जेंटीना के साथ अपने नये सौदे के माध्यम से आईएमएफ़ हर साल चार बार सरकार के संचालन का निरीक्षण करेगा, और इस तरह से प्रभावी रूप से अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था का पर्यवेक्षक बन जाएगा। सरकार बजट घाटे (डेफ़िसिट) को 3% (2021) से घटकर 0.9% (2024) और 0% (2025) तक घटाने पर सहमत हो गई है; इसे पूरा करने के लिए सरकार को सामाजिक ख़र्च के बड़े क्षेत्रों में कटौती करनी होगी, जिसमें बहुत-सी उपभोक्ता वस्तुओं पर सब्सिडी भी शामिल है।

समझौते करने के बाद, आईएमएफ़ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने अर्जेंटीना के सामने खड़ी बड़ी कठिनाइयों की ओर इशारा किया, हालाँकि इन कठिनाइयों को आईएमएफ़ की योजना के साथ कम नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, 'अर्जेंटीना को लगातार असाधारण आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे प्रति व्यक्ति आय में कमी, ग़रीबी का ऊँचा स्तर, मुद्रास्फीति, भारी कर्ज़ का बोझ और कम बाहरी बफ़र में कमी'। जॉर्जीवा ने कहा, ‘नतीजतन, कार्यक्रम के लिए जोखिम असाधारण रूप से अधिक है', जिसका मतलब है कि आगे डिफ़ॉल्ट करना लगभग निश्चित है।

शेंगटियन झेंग और जिनबो सन, फुसांग की हवाएँ, (क्लोज़ अप), 2017.

अर्जेंटीना द्वारा आईएमएफ़ के साथ समझौता करने से कुछ हफ़्ते पहले, राष्ट्रपति फ़र्नांडीज़ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में एक द्विपक्षीय बैठक की थी, जिसमें अर्जेंटीना ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर हस्ताक्षर किए। अर्जेंटीना बीआरआई में शामिल होने वाला लैटिन अमेरिका का इक्कीसवाँ देश है। और अभी तक ब्राज़ील और मैक्सिको के शामिल न होने के चलते, बीआरआई में शामिल होने वाली यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। अर्जेंटीना में जनता के बीच उम्मीदें बढ़ने लगीं कि बीआरआई के साथ जुड़ जाने से आईएमएफ़ की पकड़ से बाहर निकलने का रास्ता खुलेगा। राष्ट्रपति फ़र्नांडीज़ के आईएमएफ़ के पास लौटने के बाद भी इसकी संभावना है।

ब्यूनस आयर्स में हमारी टीम कैरिबियन और लैटिन अमेरिका के साथ चीन के बढ़ते संबंधों का ध्यान से अध्ययन कर रही है। इन अध्ययनों के परिणामस्वरूप हमने हाल ही में डोज़ियर संख्या 51 "लुकिंग टूवॉर्ड्ज़ चाइना: मल्टीपोलैरिटी ऐज ऐन ऑपर्टूनिटी फ़ॉर द लैटिन अमेरिकन पीपल" (अप्रैल 2022) जारी किया है। डोज़ियर का मुख्य तर्क यह है कि बीआरआई जैसे कार्यक्रमों का उद्भव अर्जेंटीना जैसे देशों को विकास वित्त का एक विकल्प प्रदान करता है। यदि अर्जेंटीना के पास वित्त के लिए अपने रास्ते चुनने की अधिक स्वतंत्रता हो, तो वह आईएमएफ़ से स्टैंड-बाय सहायता की कठोर उदारवादी शर्तों को अस्वीकार करने के लिए बेहतर स्थिति में होगा। इन विकल्पों की संभावना अर्जेंटीना जैसे देशों के लिए एक प्रामाणिक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास रणनीति विकसित करने का रास्ता खोल सकती है, जो कि वाशिंगटन, डीसी में बैठे आईएमएफ़ कर्मचारियों ने नहीं लिखी होगी।हालाँकि डोज़ियर में साफ़ तौर पर लिखा है कि कैरेबियन और लैटिन अमेरिका में केवल बीआरआई का प्रवेश ही काफ़ी नहीं होगा। बल्कि गहरी परियोजनाएँ ज़रूरी हैं:

 

चीन के साथ एकीकरण 'अल्पविकास के विकास' को आगे बढ़ा सकता है यदि लैटिन अमेरिकी राज्य परियोजनाएँ केवल प्राथमिक उत्पादों का निर्यात कर चीन पर निर्भरता का एक नया संबंध बना लेती हैं। दूसरी ओर, यह क्षेत्र के लोगों के लिए कहीं बेहतर होगा यदि [यह] संबंध समानता (बहुध्रुवीयता) के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, उत्पादन प्रक्रियाओं के उन्नयन और क्षेत्रीय एकीकरण (राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संप्रभुता) पर आधारित हो।

 

जोसेफिना रोबिरोसा (अर्जेंटीना), नीला जंगल, 1993-94

बीआरआई का वार्षिक निधि वितरण लगभग 50 बिलियन डॉलर है, और अनुमानों के अनुसार, 2027 तक कुल बीआरआई ख़र्च लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा। ये पूँजी प्रवाह मुख्य रूप से अल्पकालिक ख़ैरात के बजाय बुनियादी ढाँचे में दीर्घकालिक निवेश पर केंद्रित है, हालाँकि नये अध्ययनों से पता चल रहा है कि चीन ने कई देशों को अल्पकालिक तरलता की पेशकश की है। 2009 और 2020 के बीच, पीपुल्स बैंक ऑफ़ चाइना ने कम-से-कम 41 देशों के साथ द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप व्यवस्था शुरू की थी। ये करेन्सी स्वैप स्थानीय मुद्रा (जैसे, अर्जेंटीना के पेसो) और चीन के रॅन्मिन्बी (आरएमबी) के बीच होते हैं, जिनमें स्थानीय मुद्रा को कॉलैटरल रूप से और आरएमबी को या तो सामान ख़रीदने या डॉलर प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। बीआरआई निवेश और आरएमबी मुद्रा स्वैप का संयोजन देशों को आईएमएफ़ और उसकी उदारवादी शर्तों के बजाए एक आसान विकल्प प्रदान कर रहा है। जनवरी 2022 में, अर्जेंटीना की सरकार ने चीन से आईएमएफ़ भुगतान को कवर करने के लिए अपने 130 बिलियन-युआन स्वैप (20.6 बिलियन डॉलर) में 20 बिलियन युआन (3.14 बिलियन डॉलर) और बढ़ाने के लिए कहा। कुछ हफ़्ते बाद, पीपुल्स बैंक ऑफ़ चाइना ने अर्जेंटीना के सेंट्रल बैंक को आवश्यक स्वैप प्रदान कर दिया। नक़दी के इस प्रवाह के बावजूद, अर्जेंटीना आईएमएफ़ के पास गया।

अर्जेंटीना ने यह निर्णय क्यों लिया, इसका उत्तर शायद मार्टिन गुज़मैन (अर्थव्यवस्था मंत्री) और मिगुएल पेस (सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष) द्वारा 3 मार्च 2022 को आईएमएफ़ की अध्यक्ष जॉर्जीवा को लिखे पत्र में मिल सकता है। इस पत्र में, अर्जेंटीना 'सार्वजनिक वित्त में सुधार' करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का वादा करता है, जो कि सीधे तौर पर परम्परावादी निर्णय है। लेकिन इसके आगे एक दिलचस्प दायित्व पर बात है: कि अर्जेंटीना निर्यात का विस्तार करेगा और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करेगा ताकि 'अंतर्राष्ट्रीय पूँजी बाज़ारों में पुन: प्रवेश का एक आख़िरी रास्ता बनाया जा सके'।  बीआरआई-मुद्रा स्वैप से मिले अवसर को अपने स्वयं के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडा के विकास में उपयोग करने के बजाय, सरकार वॉल स्ट्रीट और लंदन के वर्चस्व वाले पूँजीवादी बाज़ार में एकीकरण की यथास्थिति पर लौटने के लिए हर संभव तरीक़े का उपयोग करने पर उतारू है।

 

 

12 अप्रैल 2022 को, आंतरिक ऋण के लेनदारों की समिति (सीएडीआई) ने घोषणा की कि अर्जेंटीना के लोग आईएमएफ़ क़र्ज़ का बोझ उठाने से इनकार करते हैं। लोगों को एक भी पेसो का भुगतान नहीं करना चाहिए: मैक्री द्वारा आईएमएफ़ से लिए गए अरबों डॉलर के उधार की क़ीमत उसे हड़पने वालों को चुकानी चाहिए। वे कौन लोग थे, इसकी सूची तैयार करने के लिए बैंकिंग गोपनीयता क़ानूनों को निलंबित करने की आवश्यकता है, ताकि जिन्होंने वह पैसा लिया और टैक्स हैवन में छिपा दिया उनका पता लगाया जा सके। सीएडीआई के अभियान का हैशटैग है #LaDeudaEsConElPueblo है, जिसका मतलब  है कि क़र्ज़ लोगों पर है। इसका भुगतान उन लोगों द्वारा किया जाना चाहिए जिन्होंने इसे हज़म किया, पूरी जनता से यह क़र्ज़ नहीं वसूला जाना चाहिए।

 

 

जैसा कि अर्जेंटीना के कवि जुआन गेलमैन (1930–2014) ने सेना के शासनकाल के दौरान लिखा था, कि 'अंधेरे समय, रौशनी से भरे'। उनकी बात आज भी वाजिब है:

 

अंधेरे समय/रौशनी से भरे/सूरज/

शहर पर रौशनी डालता है/शहर जो टूटा हुआ है

अचानक बजते सायरनों से/पुलिस की छान बीन से/रात घिर आती है और हम/ प्यार करते हैं/इस छत के नीचे

 

गेलमैन, एक कम्युनिस्ट थे, और उन्होंने तानाशाही के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, जिसने उनके बेटे और बहू को मार डाला था और उनके देश की रीढ़ तोड़ दी थी। उन्होंने ब्रेख्त की ही तरह लिखा था कि, अंधेरा भी प्रकाश से भरा होता है। विश्व इतिहास में यह एक कठिन समय है, लेकिन अभी भी संभावनाएँ हैं; ब्यूनस आयर्स और रोसारियो, ला प्लाटा और कॉर्डोबा की सड़कों पर लोग इकट्ठे होकर लड़ रहे हैं। उनका नारा साफ़ है: आईएमएफ़ के साथ समझौता नहीं चलेगा। लेकिन उनकी राजनीति केवल 'ना' की राजनीति नहीं है। यह 'हाँ' की राजनीति भी है। हाँ, नयी परिस्थितियों का अर्जेंटीना के लोगों की भलाई हेतु कार्यक्रम चलाने की जगह बनाने के लिए। हाँ, हाँ की राजनीति भी है।

 

स्नेह-सहित,

विजय।


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License