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साहित्य-संस्कृति : All

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  • किसानों का आंदोलन
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हल चलाने वालों का कोई हल नहीं है, क्यों?
    14 Dec 2020
    मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देश भर के किसानों का आंदोलन दिन ब दिन बढ़ रहा है। इसी सिलसिले में पेश है इरशाद ख़ान सिकंदर की एक नज़्म...
  • मंगलेश डबराल
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है
    13 Dec 2020
    हमारे प्यारे कवि मंगलेश डबराल इसी 9 दिसंबर को हमें छोड़कर चले गए। अब उनका नंबर भी मिलाने पर भी यही आवाज़ आएगी- दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी यही…
  • Shailendra
    दीपक के मंडल
    शैलेंद्र: किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... जीना इसी का नाम है
    13 Dec 2020
    गीतकार शैलेंद्र की पुण्यतिथि 14 दिसंबर पर विशेष: ग्लोबलाइजेशन भले ही आज का दौर का जुमला हो लेकिन 50-60 साल पहले जब भारत के सॉफ्ट पावर की रोशनी पूरी दुनिया में फैली तो उसकी चमक के एक हिस्से पर…
  • kisan andolan
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: समझदार सरकार और नासमझ जनता!
    13 Dec 2020
    मुझे तो मोदी जी पर तरस आता है। पहले तो जनता के भले के लिए काम करो फिर जनता को समझाओ कि इस काम में तुम्हारा भला क्यों है, कैसे है और कितना है। इतने समझदार प्रधानमंत्री को ऐसी नासमझ जनता मिली है, लानत…
  • मंगलेश डबराल
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    बोलने में हिचकाए लेकिन कविता में कभी नहीं सकुचाए मंगलेश डबराल
    11 Dec 2020
    जाड़े की गुनगुनी धूप या रात में महकने वाले बेला की तरह सुगंध देने वाला मंगलेश डबराल का गद्य भी कम लुभावना नहीं है। उनका ढेर सारा पत्रकारीय लेखन और उनका यात्रा वृतांत ` एक बार आयोवा’ इसका प्रमाण है।
  • मंगलेश डबराल
    विष्णु नागर
    स्मृति शेष: वह हारनेवाले कवि नहीं थे
    10 Dec 2020
    मंगलेश डबराल को याद करते हुए वरिष्ठ कवि-लेखक विष्णु नागर लिखते हैं- वह हमारे समय के सबसे चर्चित और सबसे सक्रिय कवियों-लेखकों में थे। उनकी निगाहें साहित्य ही नहीं, हमारे समय के राजनीतिक विद्रूप पर भी…
  • मंगलेश डबराल
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मंगलेश डबराल नहीं रहे
    09 Dec 2020
    आज यह एक पंक्ति लिखना कितना मुश्किल है, कितना भारी... शायद हज़ार लेख और ख़बरों से भी ज़्यादा
  • Farmers protest
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ताऊ, तू तो बहुत ही लकी निकला
    06 Dec 2020
    देख ताऊ, तू तो बहुत ही लकी निकला। जो सरकार कभी विचार विमर्श के लिये तैयार नहीं होती, तैयार हो गई। जो सरकार सोचती नहीं है, सोचने के लिए भी तैयार हो गई।
  • Josh Malihabadi
    नाइश हसन
    एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है...
    05 Dec 2020
    जोश मलीहाबादी (5 दिसंबर 1898 - 22 फरवरी 1982):  जोश की इंक़लाबी शायरी आज और मानीखेज़ हो जाती है, जब सर्द रातों में किसान सड़कों पर हैं, नौजवान रोज़ी-रोज़गार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, मुल्क के…
  • Diego Maradona
    न्यूज़क्लिक टीम
    नशा और होश : विश्व नागरिक माराडोना को समर्पित कविता
    29 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में साम्राज्यवाद, दमन-शोषण के ख़िलाफ़ जब-तब बोलने वाले विश्व नागरिक डिएगो माराडोना (30 अक्टूबर 1960-25 नवंबर, 2020) को समर्पित कवि-पत्रकार उपेंद्र चौधरी की कविता।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License