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  • बिजूका और मैं, तैल 1977,चित्रकार- भवेश चंद्र सान्याल, साभार: समकालीन कला, प्र॰ राष्ट्रीय ललित कला अकादमी
    डॉ. मंजु प्रसाद
    चित्रकार बी.सी. सान्याल की‌ कलासाधना : ध्येय, लोक रूचि और जन संवेदना
    25 Oct 2020
    सान्याल स्वतंत्रता पूर्व से ही आधुनिक भारतीय कला जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उनके सभी चित्र मानवतावादी भावना के उदाहरण हैं और उनमें मानवीय करूणा, सहानुभूति तथा संवेदनशीलता के दर्शन होते…
  • सतीश गुजराल
    डॉ. मंजु प्रसाद
    सतीश गुजराल : एक संवेदनशील चित्रकार-मूर्तिकार
    11 Oct 2020
    सतीश गुजराल ने अपनी जीवन यात्रा में प्रचुर संख्या में अभूतपूर्व और जीवंत कलाकृतियों का सृजन किया है। जो भारतीय कला के लिए मिसाल हैं।
  • अमृता शेरगिल
    डॉ. मंजु प्रसाद
    कला विशेष: शक्ति और दृष्टि से युक्त अमृता शेरगिल के चित्र
    04 Oct 2020
    अमृता शेरगिल के चित्र आधुनिक भारतीय कला के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यह उनकी प्रतिभा ही थी कि उन्होंने विश्व की श्रेष्ठ कला शैलिओं और पारंपरिक भारतीय शैली के बीच सामंजस्य स्थापित…
  • कला विशेष
    डॉ. मंजु प्रसाद
    कला विशेष : शबीह सृजक राधामोहन
    20 Sep 2020
    राधामोहन जी के पहल पर 25 जनवरी 1939 में पटना कला एवं शिल्प विद्यालय की स्थापना हुई तो राधामोहन जी को उसका प्रिंसिपल बनाया गया। बिहार में यह अकेला कला विद्यालय था। उनके नेतृत्व में इस विद्यालय ने बहुत…
  • चित्रकार निकोलाय रेरिख
    डॉ. मंजु प्रसाद
    चित्रकार निकोलाय रेरिख:  जिनकी आत्मा बसती थी भारत में
    13 Sep 2020
    'कला ही समस्त जाति को एकीकृत करेगी। कला एक है और वह अविभाज्य है, वह आगे आने वाले मानवीय संश्लेषण का अभिव्यक्तिरण है। कला सबके लिए है...’
  • कला विशेष
    डॉ. मंजु प्रसाद
    कला विशेष: चित्र में प्रकृति और पर्यावरण
    06 Sep 2020
    प्रकृति प्रेम भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला दोनों में ही दृष्टिगोचर होता है। लेकिन अब स्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं। आम लोगों की तरह कलाकारों का भी साबका धूल, धुआं और भीड़ से ही होता है।
  • बुद्ध और अंगुलीमाल
    डॉ. मंजु प्रसाद
    भारतीय लोक जीवन में कला और कलाकार: अतीत और वर्तमान
    30 Aug 2020
    आधुनिक विज्ञान के नये अविष्कारों द्वारा  जहाँ मानव जाति ने नये प्रतिमान स्थापित किये हैं, लेकिन उनकी कला और सौंदर्य के प्रति अभिरुचि को विरूपित ही किया है। अब देश और  समाज में कलाकारों को वैसा सम्मान…
  • झारखण्ड की भित्ति चित्रण परम्परा
    डॉ. मंजु प्रसाद
    प्रकृति के सान्निध्य में निरंतर प्रवाहित आदिवासी महिलाओं की लोककला: झारखण्ड की भित्ति चित्रण परम्परा
    16 Aug 2020
    झारखंड भारत का आदिवासी बहुल क्षेत्र है। जहां लगभग चालीस जनजातियां रहती हैं जिनमें मुण्डा, ओरांव, हो, सन्थाल बीरहोर और प्रजापति आदि जातियां  हैं। इन जनजातियों की अपनी परम्पराएं अपने त्योहार होते  हैं…
  • भारतीय कला
    डॉ. मंजु प्रसाद
    भारतीय कला के उन्नयन में महिलाओं का योगदान
    02 Aug 2020
    एक मां होने के कारण प्रागैतिहासिक काल में नारी को अपने बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी के फलस्वरूप नैसर्गिक रूप से रचनात्मक एवं सृजनात्मक भूमिका में उतरना पड़ा।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License