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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है...
    28 Jun 2020
    ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम की कुछ शानदार ग़ज़लें।
  • Father's Day
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    तुम ज़िंदा हो पापा... : फ़ादर्स डे विशेष
    21 Jun 2020
    फ़ादर्स डे आज 21 जून को लोग मना रहे हैं। इस मौक़े पर हम आपके बीच रख रहे हैं शारिक़ कैफ़ी की नज़्म 'मुहब्बत की इंतेहा पर'।
  • Che Guevara
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वचन देते हैं, हम विजयी होंगे या मौत का सामना करेंगे
    14 Jun 2020
    क्यूबाई क्रांति के प्रमुख नेता चे ग्वेरा का आज जन्मदिन है। 14 जून 1928 को चे का जन्म अर्जेंटीना में हुआ था। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं क्यूबा क्रांति के दूसरे प्रमुख नेता और राष्ट्रपति रहे फ़िदेल…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    चलो ख़ुद से मुठभेड़ करते हैं...
    07 Jun 2020
    ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी शोभा सिंह की कविता- “अरबन-नक्सल”, जिसमें वह ख़ुद से मुठभेड़ के बहाने न केवल भीतर को टटोलती हैं, बल्कि बाहर को भी खंगालती हैं और ज्वलंत…
  • irshad
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    काश! ये आँखें धंस जातीं हमारे हुक्मरानों की आँखों में, उनके ज़ेहन में
    31 May 2020
    ‘इतवार की कविता’ में पढ़तें हैं कवि-पत्रकार भाषा सिंह की वे दो ख़बरें जो कविता की तरह बयान हुईं। दरअसल हमारे दौर की, इस कोराना काल और लॉकडाउन संकट की ये दिल दहलाने वाली सच्चाइयां किसी एक ख़बर या…
  • Eid mubarak
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ईद मुबारक...आइए हाथ उठाएँ हम भी, हम जिन्हें रस्म-ए-दुआ याद नहीं...
    25 May 2020
    “आइए अर्ज़ गुज़ारें कि निगार-ए-हस्ती/ज़हर-ए-इमरोज़ में शीरीनी-ए-फ़र्दा भर दे…” ईद उल-फ़ित्र के इस मुबारक मौके पर आइए पढ़ते हैं मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म ‘दुआ’।
  • muzaffarnagar accident
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...गले में दिल को लिए चीख़ता है सन्नाटा
    17 May 2020
    “वो इंतज़ाम करेंगे ज़रूर चीख़ों का/ कि चैनलों के लिए बेमज़ा है सन्नाटा।” या फिर “सत्ता के हिप्नोटिज़्म की सब हैं गिरफ़्त में/ उनका फ़रेब तोड़ने वाला नहीं मिला।” इस तेवर के साथ हमारे समय की तल्ख़…
  • Mothers Day
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माँ पर नहीं लिख सकता कविता!
    10 May 2020
    कहते हैं आज माँ का दिन है। वैसे तो हर दिन माँ का होता है और सच तो यही है कि माँ की बदौलत हमने ‘दिन’ देखा। लेकिन कहते हैं कि आज ख़ास दिन है, आज ‘मदर्स डे’ है, तो मान लेते हैं। और ‘इतवार की कविता’ में…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हम बच तो जाएंगे, लेकिन कितना बच पाएंगे ?
    03 May 2020
    “कितना बचेगा धरती पर धैर्य/ और थाली में अनाज/ थाली पीटने के काम आएगी या रोटी परोसने के...?” ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कवि और पत्रकार श्रुति कुशवाह की नई कविता, जो इस कोरोना समय की क्रूर…
  • सन्नाटा
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सन्नाटा बरस रहा है देश में...
    26 Apr 2020
    “सन्नाटा शोर मचाता/ मेरे भीतर धंस रहा है/ घाव देते दृश्य/ दर्द के जलते-सुलगते, बिलखते बिंब…।” ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं इस ‘कोरोना समय’ की सच्चाई को उकेरती वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी शोभा…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License