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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    महाभारत का युद्ध, बलात्कार का ही परिणाम है
    29 Sep 2019
    वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार के कविता संग्रह 'बिन जिया जीवन ' के 'महाभारत व्यथा' अध्याय की तीसरी कविता 'गांधारी'।
  • raheem ponnad
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...घोषणा हुई आज से सबकी एक ही भाषा होगी
    24 Sep 2019
    प्रतिरोध की कविता : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी दिवस के मौके पर देश में एक भाषा की वकालत किए जाने के विरोध में मलयालम कवि रहीम पोन्नाड ने "भाषा निरोधनम" नाम से यह कविता लिखी है। इसका हिंदी…
  • bhagat singh
    मुकुल सरल
    विशेष : भगत सिंह की पसंदीदा शायरी और उसका सच
    22 Sep 2019
    ऐसे कई मशहूर शे'र हैं जो भगत सिंह के नाम से याद किए जाते हैं और उन्हीं के लिखे समझे जाते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। ये शे’र उस दौर के अलग-अलग मशहूर शायरों के हैं जो भगत सिंह को बहुत पसंद थे और वे अक्सर…
  • satyawati  mahabharat
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...जहाँ ज़बरदस्ती की जाएगी, जहाँ बलात्कार होगा, उस राज्य का नाश अवश्यंभावी है
    22 Sep 2019
    वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार के कविता संग्रह 'बिन जिया जीवन ' के 'महाभारत व्यथा' अध्याय की दूसरी कविता 'मत्स्यगंधा'। जो हस्तिनापुर की राजमाता सत्यवती के जीवन पर आधारित है।
  • mahabharat
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    'बिन जिया जीवन' की महाभारत व्यथा...
    15 Sep 2019
    "...माधवी, मत्स्यगंधा (सत्यवती), गांधारी, माद्री और द्रौपदी जैसे महाभारत से बाहर निकलकर पुरुषों को ललकारती, शाप देती हुई लगती हैं। ये कविताएं वस्तुपरक वृत्तांतों की तरह हैं और कहीं न कहीं हमारे वक़्त…
  • वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल
    सौजन्य: इंडियन कल्चरल फोरम
    “देश की विविधता और बहुवचनीयता की रक्षा करना ज़रूरी है”
    30 Apr 2019
    इंडियन राइटर्स फोरम की दानिया रहमान के साथ की बातचीत में मंगलेश डबराल चर्चा करते हैं जनतंत्र में लेखक के महत्व, 2019 चुनाव के मायने और हिंदी साहित्य जगत में लेखकों की स्थिति के बारे में।
  • गोरख पाण्डेय
    अनिल अंशुमन
    गोरख पाण्डेय : रौशनी के औजारों के जीवंत शिल्पी
    02 Feb 2019
    ऐसा अक्सर नहीं होता है कि किसी कवि की रचनाएँ जेएनयू कैंपस जैसे उच्च शिक्षा संस्थान से लेकर सुदूर गांवों के टोले-चौपालों में एक ही मन मिज़ाज़ से सुनी और सुनाई जाती हों।
  • Muktibodh
    न्यूज़क्लिक टीम
    मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम!!
    13 Nov 2018
    मुक्तिबोध को आज याद करने का सबसे बेहतर तरीका है कि उनकी सबसे ज़रूरी कविता ‘अंधेरे में’ आज दिन के उजाले में घर, कॉलेज या चौराहे पर बा-आवाज़-ए-बुलंद पढ़ी जाए।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License