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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ईद मुबारक...आइए हाथ उठाएँ हम भी, हम जिन्हें रस्म-ए-दुआ याद नहीं...
    25 May 2020
    “आइए अर्ज़ गुज़ारें कि निगार-ए-हस्ती/ज़हर-ए-इमरोज़ में शीरीनी-ए-फ़र्दा भर दे…” ईद उल-फ़ित्र के इस मुबारक मौके पर आइए पढ़ते हैं मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म ‘दुआ’।
  • muzaffarnagar accident
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...गले में दिल को लिए चीख़ता है सन्नाटा
    17 May 2020
    “वो इंतज़ाम करेंगे ज़रूर चीख़ों का/ कि चैनलों के लिए बेमज़ा है सन्नाटा।” या फिर “सत्ता के हिप्नोटिज़्म की सब हैं गिरफ़्त में/ उनका फ़रेब तोड़ने वाला नहीं मिला।” इस तेवर के साथ हमारे समय की तल्ख़…
  • Mothers Day
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माँ पर नहीं लिख सकता कविता!
    10 May 2020
    कहते हैं आज माँ का दिन है। वैसे तो हर दिन माँ का होता है और सच तो यही है कि माँ की बदौलत हमने ‘दिन’ देखा। लेकिन कहते हैं कि आज ख़ास दिन है, आज ‘मदर्स डे’ है, तो मान लेते हैं। और ‘इतवार की कविता’ में…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हम बच तो जाएंगे, लेकिन कितना बच पाएंगे ?
    03 May 2020
    “कितना बचेगा धरती पर धैर्य/ और थाली में अनाज/ थाली पीटने के काम आएगी या रोटी परोसने के...?” ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कवि और पत्रकार श्रुति कुशवाह की नई कविता, जो इस कोरोना समय की क्रूर…
  • shaheen bagh
    मुकुल सरल
    ...गर ये बदले अहद तो नया साल है
    01 Jan 2020
    हिन्दू हो या मुसलमां सभी के लिए प्यार हो, हो दरद तो नया साल है
  • flower
    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    हर नन्ही याद को, हर छोटी भूल को नए साल की शुभकामनाएँ!
    01 Jan 2020
    नये साल 2020 की आमद पर आइए पढ़ते हैं सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की एक ख़ास कविता
  • shaukat azmi
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
    24 Nov 2019
    बेहतरीन कलाकार, कैफ़ी आज़मी की हमसफ़र और शबाना आज़मी की मां शौक़त कैफ़ी आज़मी को याद करते हुए ‘इतवार की कविता’  में आज पढ़ते हैं कैफ़ी आज़मी की नज़्म ‘औरत ’।
  • Omprakash Valmiki
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताएं
    17 Nov 2019
    इतवार की कविता में हम पेश कर रहे हैं दलित कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि की पुण्यतिथि पर उनकी दो कविताएं।
  • shopping mall
    प्रज्ञा सिंह
    इतवार की कविता : सस्ते दामों पर शुभकामनायें
    03 Nov 2019
    कविता-कहानी की कहकशाँ में आज पढ़ते हैं शिक्षिका प्रज्ञा सिंह की कविता।
  • सांकेतिक तस्वीर
    सत्यम् तिवारी
    चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए...
    01 Mar 2019
    ऐसे माहौल में हम ये सोचने पे मजबूर हो जाते हैं कि इन नफ़रतों से बचने या नफ़रत को ख़त्म करने के क्या ज़रिये हो सकते हैं! हमें ऐसे में "डेड पोएट्स सोसाइटी" फ़िल्म के जॉन कीटिंग की याद आती है जो कहता है कि "…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License