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    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    हर नन्ही याद को, हर छोटी भूल को नए साल की शुभकामनाएँ!
    01 Jan 2020
    नये साल 2020 की आमद पर आइए पढ़ते हैं सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की एक ख़ास कविता
  • dushyant kumar
    न्यूज़क्लिक प्रोडक्शन
    ...मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
    31 Dec 2019
    हिन्दी में ग़ज़ल को लोकप्रिय बनाने वाले जनता के कवि-शायर दुष्यंत कुमार की 30 दिसंबर को पुण्यतिथि थी। उन्हें याद करते हुए आज के दौर और आंदोलन को को देखते-परखते हैं।
  • shaukat azmi
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
    24 Nov 2019
    बेहतरीन कलाकार, कैफ़ी आज़मी की हमसफ़र और शबाना आज़मी की मां शौक़त कैफ़ी आज़मी को याद करते हुए ‘इतवार की कविता’  में आज पढ़ते हैं कैफ़ी आज़मी की नज़्म ‘औरत ’।
  • Omprakash Valmiki
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताएं
    17 Nov 2019
    इतवार की कविता में हम पेश कर रहे हैं दलित कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि की पुण्यतिथि पर उनकी दो कविताएं।
  • shopping mall
    प्रज्ञा सिंह
    इतवार की कविता : सस्ते दामों पर शुभकामनायें
    03 Nov 2019
    कविता-कहानी की कहकशाँ में आज पढ़ते हैं शिक्षिका प्रज्ञा सिंह की कविता।
  • सांकेतिक तस्वीर
    सत्यम् तिवारी
    चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए...
    01 Mar 2019
    ऐसे माहौल में हम ये सोचने पे मजबूर हो जाते हैं कि इन नफ़रतों से बचने या नफ़रत को ख़त्म करने के क्या ज़रिये हो सकते हैं! हमें ऐसे में "डेड पोएट्स सोसाइटी" फ़िल्म के जॉन कीटिंग की याद आती है जो कहता है कि "…
  • Pablo Neruda
    वैभव सिंह
    विशेष : पाब्लो नेरुदा को फिर से पढ़ते हुए
    24 Feb 2019
    नेरुदा को दिख रहा था कि जो शक्तियां न्याय व जनतंत्र के विरोध में हैं उनके पास लफंगे, मसखरे, जोकर, पिस्तौल लिए आतंकवादी और नकली धर्मगुरु हर तरह के लोग थे...।
  • गोरख पाण्डेय
    अनिल अंशुमन
    गोरख पाण्डेय : रौशनी के औजारों के जीवंत शिल्पी
    02 Feb 2019
    ऐसा अक्सर नहीं होता है कि किसी कवि की रचनाएँ जेएनयू कैंपस जैसे उच्च शिक्षा संस्थान से लेकर सुदूर गांवों के टोले-चौपालों में एक ही मन मिज़ाज़ से सुनी और सुनाई जाती हों।
  • fahmida riaz
    न्यूज़क्लिक टीम
    “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई...”
    23 Nov 2018
    स्मृति शेष...भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ और पाकिस्तानी की मशहूर शायरा और मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़हमीदा रियाज़ हमारे बीच नहीं रहीं।
  • वीरेनियत-3
    मुकुल सरल
    "ज़र्द पत्तों का बन, अब मेरा देस है…"
    29 Sep 2018
    ‘वीरेनियत-3’ की शाम एक उपलब्धि की तरह थी जब एक साथ एक से बढ़कर एक कवि-शायर गौहर रज़ा, असद ज़ैदी, देवी प्रसाद मिश्र, प्रभात, पंकज चतुर्वेदी, आर चेतन क्रांति, अनुराधा सिंह और फ़रीद खान फ़रीद सुनने को…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License