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राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पश्चिम एशिया
असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
एम. के. भद्रकुमार
11 May 2022
assad
तेहरान दौरे पर आये सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ  8 मई, 2022 को बातचीत करते हुए ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (दायें)  

रविवार को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के तेहरान का यह आकस्मिक दौरा पश्चिम एशिया की भू-राजनीति के लिए एक और मोड़ है। असद ने कुछ ही घंटों के अपने इस छोटे से दौरे में ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई और राष्ट्रपति अब्राहिम रईसी के साथ बैठक की और दमिश्क लौट आये।

सीरिया में संघर्ष शुरू होने के बाद पिछले 11 सालों में असद की ओर से ईरान का किया गया यह दौरा महज़ दूसरा दौरा ही है। आख़िरी बार असद ने 2019 में उस समय ईरान का दौरा किया था, जब वह संघर्ष में सीरिया की "जीत" को सुनिश्चित करने के लिए आईआरजीसी के कुलीन कुद्स फ़ोर्स के करिश्माई कमांडर स्वर्गीय कासिम सुलेमानी के साथ आये थे। तब से फ़रात और दजला नदियों में बहुत सारा पानी बह चुका है।

ऐसी अटकलें हैं कि रूस सीरिया में अपनी सेना को फिर से तैनात कर सकता है। इज़रायल की ख़ुफ़िया वेबसाइट देबकाफ़ाइल ने शुक्रवार को गुप्त रूप से बताया कि "सीरिया में तैनात रूसी सैन्य टुकड़ियां हमीमिम, कमिशली, डीर ई-ज़ोर और टी 4 के हवाई अड्डों पर इकट्ठा हो रही हैं, कुछ तो यूक्रेन युद्ध मोर्चे में स्थानांतरित होने के लिए तैयार हैं। देबकाफ़ाइल के सैन्य सूत्रों की रिपोर्ट है कि रूसी ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स और हिजबुल्लाह को प्रमुख ठिकाने सौंपने जा रहे हैं।

पहली नज़र में तो यह एक तरह से हवा में तीर छोड़ने जैसा दिखता है। इसे लेकर अलग से मास्को की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है। सीरिया से किसी भी बड़ी रूसी सेना की वापसी को लेकर ईरान को निश्चित रूप से पता होगा। तुर्की हवाई क्षेत्र अप्रैल से रूसी विमानों के लिए बंद है और 28 फ़रवरी को अंकारा ने बोस्पोरस और डार्डानेल्स जलडमरूमध्य से होकर रूसी युद्धपोतों के आने-जाने के मार्ग को प्रतिबंधित कर दिया था (जब तक कि वे काला सागर में अपने ठिकानों पर वापस नहीं लौट आते।)

विश्लेषकों ने तुर्की के इन फ़ैसलों को "रूसी विरोधी" के रूप में व्याख्या की है, लेकिन वे मॉन्ट्रो कन्वेंशन (1936) के दायरे में आते हैं और क़रीब से नज़र डाला जाये,तो पता चलता है कि यह फ़ैसला मास्को को फ़ायदा भी पहुंचा सकता है, क्योंकि नाटो नौसैनिक की किसी भी तरह की तैयारी को लेकर भी काला सागर के दरवाज़े बंद हैं। रूसी अख़बारों ने यह संकेत दिया है कि मास्को ईरान और इराक़ के रास्ते सीरिया में अपने सैनिकों की आपूर्ति के लिए हवाई गलियारे का इस्तेमाल कर रहा है।

हक़ीक़त तो यही है कि तुर्की रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन साधने की कोशिश करता रहा है,क्योंकि एक तरफ़ वह काला सागर की एक ताक़त है,जिसकी पारस्परिक सुरक्षा चिंता है, जबकि दूसरी तरफ़ वह एक नाटो शक्ति भी है। तुर्की ने चतुराई से इस पैंतरेबाज़ी की गुंज़ाइश निकाली है, क्योंकि नाटो तकनीकी रूप से रूस के साथ हो रहे युद्ध में भागीदार नहीं है, और चूंकि तुर्की यूरोपीय संघ का सदस्य देश भी नहीं है, इसलिए वह रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी बाध्य नहीं है।

तुर्की नेतृत्व ने क्रेमलिन के साथ सक्रिय रूप से अपने सम्बन्धों को विकसित किया है, और दोनों के बीच आर्थिक साझेदारी जारी है। इसमें बड़े पैमाने पर 20 बिलियन डॉलर से तैयार हो रहा वह अक्कुयू न्यूक्लियर पावर प्लांट (चार 1,200 MW VVER इकाइयों को शामिल करते हुए) का निर्माण भी शामिल है, जिसे लेकर उम्मीद जतायी जा रही है कि 2025 में पूरा हो जाने पर इससे तुर्की की बिजली की मांग का 10% पूरा हो पायेगा।

एक बार फिर से रूसी वाहक एअरोफ़्लोत ने पर्यटन सीज़न की उम्मीद में तुर्की के लिए उड़ानें भरनी शुरू कर दी हैं। मानें या न मानें, तुर्की ने वीज़ा और मास्टरकार्ड के निलंबन को दरकिनार करते हुए रूसी पर्यटकों को तुर्की की यात्रा करने की इजाज़त देने के लिए एक ऐसा सरल सूत्र निकाल लिया है, जिससे रूस के घरेलू भुगतान प्रणाली मीर के ज़रिये अपने पैसे का इस्तेमाल करना संभव हो गया है ! पिछले साल तक़रीबन 4.7 मिलियन रूसी सैलानी ने तुर्की का सफ़र किया था, जो कि यहां आने वाले कुल सैलानियों का 19% था और इससे होने वाली वार्षिक आय 10 बिलियन डॉलर से ज़्यादा की थी।

जहां तक रूस-ईरान सम्बन्धों की बात है, तो इसके रुख़ की तस्वीर मोटे तौर पर वैसी ही है,जिस तरह भारत की है,यानी जहां एक तरफ़ न तो रूस का समर्थन करना और न ही इसका विरोध करना, वहीं रूसी हस्तक्षेप की निंदा करने से इनकार कर देना और संघर्ष विराम और संवाद को एकमात्र समाधान के रूप में सामने रखना।

ईरानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, ईरान-रूस संयुक्त आर्थिक समिति के सत्र के सिलसिले में रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्ज़ेंडर नोवाक जल्द ही ईरान के दौरे पर आने वाले हैं। दोनों देशों के बीच "वित्तीय सहयोग को मज़बूत करने और पारगमन समस्याओं को हल करने" के साथ-साथ तेल और गैस के क्षेत्र में सहयोग करने और व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने पर चर्चा होने की उम्मीद है।हालांकि, तेहरान को यह पता है कि मास्को के साथ इस तरह की दोस्ती पश्चिमी प्रतिबंधों की भावना के विपरीत है।  

मास्को का सीरिया में सक्रिय रूप से शामिल रहने का पूरा इरादा है। मध्य पूर्व के लिए राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि और उप विदेश मंत्री मिख़ाइल बोगदानोव ने पिछले हफ़्ते तास को बताया कि रूस सीरिया पर अगली अंतर्राष्ट्रीय बैठक को अस्ताना में मई के अंत में कज़ाकिस्तान के नूर-सुल्तान में प्रारूप तय किये जाने पर काम कर रहा है। क्या ऐसा लगता है कि रूस सीरिया से अपने हाथ खींच रहा है ? यहां बोगदानोव के उस बयान का ज़िक़्र करना ठीक होगा,जिसमें उन्होंने कहा था, "हमने पहले ही साझेदार ईरान और तुर्की के साथ अस्ताना प्रक्रिया के बतौर गारंटर और सीरियाई सरकार और विपक्षी प्रतिनिधिमंडलों के साथ इस पर चर्चा की है।"

आधिकारिक सीरियाई समाचार एजेंसी सना ने असद के तेहरान दौरे को "व्यावहारिक दौरे" के रूप में वर्णित किया है। सना ने असद के हवाले से यह कहते हुए कि अमेरिका "पहले से कहीं ज़्यादा कमज़ोर है",ख़मेनेई की उस बात पर ज़ोर देते हुए कहा है कि "सहयोग को जारी रखना इसलिए अहम है कि अमेरिका को उस अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी व्यवस्था का पुनर्निर्माण न करने दिया जा सके, जिसका इस्तेमाल वह दुनिया के देशों को नुक़सान पहुंचाने के लिए किया करता है।"

ईरानी नेतृत्व के साथ असद की बातचीत के चार मुख्य बिंदु हैं। सबसे पहले, असद ने बिना किसी ढुलमुल शब्दों का सहारा लिए यह साफ़ कर दिया है कि यूएई (या इस संघर्ष में शामिल अन्य अरब देशों) के साथ सीरिया के साथ रिश्तों के सामान्य होने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, वह ईरान के साथ सीरिया के गठबंधन को सबसे ज़्यादा अहमियत देता है। असद ने इस बात पर ख़ास तौर पर ज़ोर देते हुए कहा कि सीरिया सुरक्षा, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में ईरान के साथ व्यापक समन्वय के लिए तैयार है।

दूसरी बात कि सीरिया को विदेशी कब्ज़े से मुक्त कराने के लिए दमिश्क को तेहरान की मदद की ज़रूरत है। रईसी ने असद से कहा, "सीरिया की पूरी ज़मीन को विदेशी कब्ज़दारों से मुक्त कराया जाना चाहिए। इस काम के लिए वक़्त का इंतज़ार नहीं किया जाना चाहिए, और कब्ज़ा करने वाले बलों और उनके भाड़े के सैनिकों को देश से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।" सना ने ख़ामेनेई का हवाला देते हुए ज़ोर देकर कहा कि ईरान "आतंकवाद पर अपनी जीत को मुकम्मल करने और देश के बाक़ी हिस्सों को मुक्त कराने के लिए सीरिया का समर्थन करना जारी रखेगा।"

तीसरी बात कि प्रतिरोध मोर्चे की प्रभावशीलता और जीवंतता पर दोनों देशों के बीच आम सहमति है। असद ने स्वीकार किया कि पश्चिम एशिया में अमेरिका के प्रभाव का कमज़ोर होना और क्षेत्रीय रूप से इज़रायल के सैन्य वर्चस्व का अंत ईरान और सीरिया के बीच उस रणनीतिक सम्बन्धों का सीधा नतीजा है,जिसे "मज़बूती के साथ जारी रहना चाहिए।"

दिलचस्प बात यह है कि ख़ामेनेई ने सुलेमानी को याद करते हुए कहा कि "सीरिया को लेकर वह ख़ास दिलचस्पी रखते थे और उन्होंने सचमुच उस देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया" और सीरिया की समस्याओं के लेकर उनका नज़रिया "पवित्र कर्तव्य और दायित्व" की तरह था। ख़ामेनेई ने असद को मार्मिक ढंग से याद दिलाया, "यह रिश्ता दोनों देशों के लिए अहम है और हमें इसे कमजोर नहीं होने देना चाहिए। इसके उलट, हमें इसे यथासंभव इसे मज़बूत करना चाहिए। ” रईसी ने असद को उनके पिता हाफ़िज़ अल-असद की तरह "प्रतिरोध मोर्चे की अहम शख़्सियतों में से एक" कहा।

चौथी बात कि असद ने सर्वोच्च ईरानी नेतृत्व से आश्वासन मांगा और इस आश्वासन को हासिल भी कर लिया है कि ईरान सीरिया को उसकी मुश्किलों को दूर करने में मदद करेगा। यह ऐसे मोड़ पर ख़ासकर अहम हो जाता है, जब क्षेत्रीय राजनीति लगातार बदल रही है और रूस यूक्रेन में व्यस्त है।

सीरिया में अमेरिकी अगुवाई वाली व्यवस्था परिवर्तन की परियोजना के पुनर्जीवन होने की उम्मीद नहीं है और वाशिंगटन अपने फ़ारस की खाड़ी के सहयोगियों या तुर्की पर अब अपने सरपरस्त होने के रूप में कार्य करने के लिहाज़  से प्रभावशाली स्थिति में नहीं रह गया है। लेकिन, असद की चुनौती यह है कि इस क्षेत्र की ओर ध्यान आकर्षित करने वाले जेसीपीओए, यमन, ईरान-सऊदी के बीच होते सामान्य रिश्ते, ओपेक प्लस आदि जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों और सामयिक मुद्दों को सीरिया कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डाल रहा है।

हालांकि, संघर्ष ख़त्म हो चुका है, सीरिया अब भी विदेशी कब्ज़े में है और इसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है। एक ठहरा हुआ संघर्ष यथास्थिति को वैध बना सकता है। इस बीच, इज़राइल मौक़े की ताक में है।ऐसे में असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि इस तरह के निराशाजनक भाग्य से बचने के लिए ईरान सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने सोमवार को इस बात की पुष्टि कर दी थी कि असद का यह दौरा "भाईचारे और दोस्ती" के माहौल में हुआ है और यह रणनीतिक रिश्तों का एक नये अध्याय को खोलता है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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