NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
आतिशी के ख़िलाफ़ पर्चा अदब ही नहीं इंसानियत के ख़िलाफ़ है
23 मई को परिणाम आने के बाद एक नई सरकार, एक नया प्रधानमंत्री चुन लिया जाएगा लेकिन देश भर की पार्टियों, नेताओं ने राजनीति के नाम पर जो गंदगी फैलाई है, उसे देखते हुए हमें ये सोचने की ज़रूरत है कि क्या हम ऐसे लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या यही है हमारा महापर्व!
सत्यम् तिवारी
10 May 2019
आतिशी के ख़िलाफ़ पर्चा अदब ही नहीं इंसानियत के ख़िलाफ़ है

भारत के लोकतंत्र का महापर्व कहे जाना वाला लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है। प्रचार अभियान के बीच हिंसा, नेताओं के द्वारा विपक्षी दलों पर निजी हमले, चुनाव आयोग के दोहरे मापदंड, महिलाओं के बारे में भद्दी टिप्पणियाँ, महिलाओं के कपड़ों, उनके चरित्र, उनके अस्तित्व पर हमले के साथ ये चुनाव अब तक का सबसे ग़ैर-अनुशासित चुनाव के रूप में सामने आया है। इन सब के बावजूद, 23 मई को परिणाम आने के बाद एक नई सरकार, एक नया प्रधानमंत्री चुन लिया जाएगा लेकिन देश भर की पार्टियों, नेताओं ने राजनीति के नाम पर जो गंदगी फैलाई है, उसे देखते हुए हमें ये सोचने की ज़रूरत है कि क्या हम ऐसे लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या यही है हमारा महापर्व!

जयाप्रदा के कपड़ों को लेकर आज़म ख़ान के फूहड़ बयान के बाद एक बार फिर से महिला नेता पर हमला करने के लिए उसके चरित्र, उसके जीवन के बारे में  भद्दी बातें कही गईं हैं। पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी आतिशी मरलेना के नाम हाल ही में एक पर्चा पूर्वी दिल्ली के घरों में बांटा गया है। पर्चा अंग्रेज़ी में है और उसमें आतिशी, मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का चरित्र हनन करते हुए जनता से आम आदमी पार्टी को वोट न करने की अपील की गई है। हालांकि, ये बात साफ़ नहीं है कि ये पर्चा किसने छपवाया है या बांटा है, लेकिन 9 मई को आम आदमी पार्टी ने प्रेस से बात करते हुए बीजेपी और पूर्वी दिल्ली से बीजेपी प्रत्याशी गौतम गंभीर पर ये पर्चा जारी करने का आरोप लगाया है। जिसके बाद 10 मई को गौतम गंभीर ने आतिशी, सीसोदिया और केजरीवाल पर मानहानि का आरोप लगा कर मुक़दमा दर्ज कर दिया है।

इस पर्चे में लिखी बातें जातिवादी, पुरुषवादी, लिंगभेद से भरी हुई हैं। इस सब के अलावा ये इंसानियत पर हमला है, आतिशी के एक अकेली महिला के तौर पर और एक इंसान के तौर पर अस्तित्व पर हमला है। 

राजनीति में ये बातें नई नहीं हैं, लेकिन ऐसी हरकतों का एक पैटर्न है। भारत, जो कि एक पुरुष-प्रधान देश है, और जहाँ आज भी महिलाएँ पढ़ाई न कर पाने को मजबूर हैं, वहाँ जब एक महिला किसी राष्ट्रीय पटल पर मुखरता से खड़ी होती है, तो इस पुरुषवादी समाज को इस बात से दिक़्क़तें होनी शुरू हो जाती हैं। समाज के हर क्षेत्र में एक महिला का विरोध कभी भी उसकी सोच की वजह से नहीं हो सका है, बल्कि महिलाओं पर हमले उनके कपड़ों, उनके निजी रिश्तों, उनके चेहरे को ले कर हुए हैं। आतिशी के बारे में जब ये पर्चा जारी किया गया है, तो उनको एक महिला और एक इंसान के तौर पर बदनाम किया जा रहा है।  

पर्चे में आतिशी के परिवार पर हमला करते हुए लिखा गया है कि वो एक "मिश्रित प्रजाति" हैं और "बीफ़" (गौमांस) खाने वाली हैं। 

इस पर्चे का मक़सद ये बताना है कि क्यों आतिशी पूर्वी दिल्ली के लिए एक सही उम्मीदवार नहीं हैं। और उनके सही उम्मीदवार न होने की जो वजहें हैं, वही इस पुरुषवादी समाज की असल सच्चाई है। आतिशी के निजी रिश्ते के बारे में भद्दी बातें, उनके अकेली-स्वतंत्र महिला होने को ले कर कही बातें ये दर्शाती हैं कि इसका मक़सद ये बताना है कि एक महिला तभी "इज़्ज़तदार" मानी जाएगी अगर वो किसी मर्द के साथ रहे, अगर वो अकेली हैं तो ज़ाहिर तौर पर उसका चरित्र अच्छा (पुरुषवादी समाज के हिसाब से) नहीं होगा। 

ये पर्चा खुल कर जातिवादी सोच दिखाते हुए सीसोदिया को एक जाति विशेष की गाली से संबोधित करता है, और उनके और आतिशी के रिश्ते को ले कर आपत्तीजनक बातें कहता है, जिससे ये बात सामने आती है कि इसमें ये माना गया है कि जो औरत किसी बड़े पटल पर है, वो अपनी मेहनत से पहुँच ही नहीं सकती। 

मनीष सीसोदिया की जाति को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई है, केजरीवाल को गाली दी गई है, और अंत में जनता से अपील की गई है कि आम आदमी पार्टी या कांग्रेस को वोट न करें। 

"आतिशी एक वैश्या है, एक बार सोचिए कि अगर वो जीत गई तो आपको एक वैश्या के पास किसी काम के लिए मदद मांगने जाना पड़ेगा।" 

पर्चे के अंत में लिखी इस बात से हमें दिखता है कि कैसे समाज ने आज भी वैश्याओं को आज भी हाशिये पर रखा है और इस शब्द को एक गाली की तरह इस्तेमाल करने का प्रचलन कितना आम है। 

इस पर्चे में जो बातें लिखी गई हैं वो नई नहीं हैं, ये बातें पुरुष-प्रधान समाज के पुरुषों द्वारा आम तौर पर सुनने को मिल जाती हैं। लेकिन जो बात डराने वाली है वो ये है कि ऐसी बातों को राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव में इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले कुछ समय में तो इसका स्तर निम्न से निम्नतर होता जा रहा है। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के महेश शर्मा जब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर "पप्पू-पप्पी" की टिप्पणी करते हैं, तब हमें दिख जाता है कि सिर्फ़ विरोध करने के लिए किन तरीक़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्प्रधानमंत्री ख़ुद अपने पद की गरिमा को भूल कर "50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड" जैसी छिछली टिप्पणी करते हैं। मायावती को, उनके परिवार को बलात्कार की धमकियाँ देना, उनको गाली देना, ये कैसी राजनीति का स्तर है! 

राजनीति का स्तर हालांकि महिलाओं के बारे में कभी अच्छा नहीं रहा है। लेकिन जहाँ आज महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की बात हो रही है, वहाँ ऐसे बयानों, ऐसे पर्चों से महिलाओं को सिर्फ़ और प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है। 

राजनीति में निजी हमले हर नेता पर किए जाते हैं लेकिन क्या कभी किसी पुरुष नेता के ख़िलाफ़ उसका चरित्र हनन करते हुए ऐसा पर्चा निकाला गया है? लोकतंत्र के इस चुनाव के समापन के बाद देश में कितना लोकतंत्र बचा रहेगा, ये एक बड़ा सवाल है!

aam aadmi party
Atishi
Delhi
east delhi
2019 loksabha elections
obscene comments against women
violence against women
33 percent reservation
BJP
gautam gambhir
Narendra modi
BJP Govt

Related Stories

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

बनारस: ‘अच्छे दिन’ के इंतज़ार में बंद हुए पावरलूम, बुनकरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

हल्ला बोल! सफ़दर ज़िन्दा है।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं थोपी जा रही हैं

49 हस्तियों पर एफआईआर का विरोध : अरुंधति समेत 1389 ने किए हस्ताक्षर

कश्मीर के लोग अपने ही घरों में क़ैद हैं : येचुरी

#metoo : जिन पर इल्ज़ाम लगे वो मर्द अब क्या कर रहे हैं?

"न्यू इंडिया" गाँधी का होगा या गोडसे का?

एक का मतलब एकता होना चाहिए एकरूपता नहीं!


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    भाषा सिंह
    बात बोलेगी: सावित्री बाई फुले को याद करना, मतलब बुल्ली बाई की विकृत सोच पर हमला बोलना
    03 Jan 2022
    सवाल यह है कि जिन लोगों ने, सावित्री बाई फुले के ऊपर कीचड़ डाला था, उनके ख़िलाफ गंदी-अश्लील टिप्पणी की थी, वे 2022 में कहां हैं। वे पहले से अधिक खूंखार हो गये हैं, पहले से ज्यादा बड़े अपराधी—जिन्हें…
  • stop
    सोनिया यादव
    ‘बुल्ली बाई’: महिलाओं ने ‘ट्रोल’ करने के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा
    03 Jan 2022
    मुस्लिम महिलाओं को ‘ट्रोल’ करने की कोशिश के बीच विपक्ष के साथ-साथ महिला संगठनों और आम लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मामले में सरकार और पुलिस की सक्रियता और कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटनाः एनएमसीएच के 84 डॉक्टर कोरोना पॉज़िटिव, मरीज़ों में कोरोना चेन बनने का ख़तरा
    03 Jan 2022
    एनएमसीएच में डॉक्टरों समेत 194 लोगों का सैंपल लिया गया था। 84 डॉक्टरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद आशंका बढ़ गई है कि अस्पताल के कई मेडिकल स्टॉफ भी चपेट में आ सकते हैं।
  • jharkhand
    अनिल अंशुमन
    झारखंड : जारी है एचईसी मज़दूरों की हड़ताल, साथ आए सभी विपक्षी दल
    03 Jan 2022
    एचईसी के मज़दूरों के टूल डाउन और हड़ताल को एक महीना हो गया है और अभी भी वो जारी है, ऐसा एचईसी के इतिहास में पहली बार हुआ है।
  • covid
    ऋचा चिंतन
    नहीं पूरा हुआ वयस्कों के पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य, केवल 63% को लगा कोरोना टीका
    03 Jan 2022
    पहले केंद्र ने दिसंबर 2021 के अंत तक भारत में सभी वयस्क आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल कर लेने का लक्ष्य घोषित किया था। जबकि हकीकत यह है कि करीब 9.73 करोड़ वयस्कों को अभी भी दोनों खुराक दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License