NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
ATM नक़दी संकटः अस्थायी कमी या पेमेंट बैंक इस्तेमाल करने के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है
जब मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी तो पीटीएम प्रमुख लाभार्थी बनकर उभरा। क्या ये नक़दी समस्या इसी तरह की पुरानी कंपनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए है।
टिकेंदर सिंह पंवार
18 Apr 2018
एटीएम

राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न शहरों और गांव के एटीएम कैश के बिना ख़ाली पड़े हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एटीएम और बैंक से कैश न मिलने से लोग परेशान हैं। उधर मामला सामने आने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि अस्थायी परेशानी है और प्रचलन में काफी मुद्रा है, कुछ विशेषज्ञों ने इसे नक़दी प्रवाह को कम करने के लिए एक जानबूझकर किया गया काम बताया है। इसने लोगों को नोटबंदी के समय को याद दिला दिया है जब बड़ी संख्या में लोग पैसा निकालने के लिए एटीएम और बैंक के बाहर लाइन में खड़े थें।

वित्त मंत्री ने इसे अस्थायी कमी कह सकते हैं लेकिन लोग नोटों की कमी की पीड़ा को महसूस कर रहे हैं। कई लोगों ने यह कहते हुए ट्वीट किया है कि भारी नक़दी की क़िल्लत है और एटीएम से बड़ा नोट निकल रहा है। नक़दी के क़िल्लत को क़रीब दो सप्ताह से ज़्यादा का वक़्त बीत गया है। उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार जैसे कुछ राज्यों में एटीएम ख़ाली पड़े है। यहां तक कि मोदी के गुजरात में भी यही हाल है।

यह बेहद ही चौंकाने वाला है कि नोटबंदी से पहले की 99.17% मुद्रा वापस चलन में आने के बावजूद एटीएम ख़ाली पड़े हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक़ फरवरी 2018 में कुल मुद्रा सर्कुलेशन 17.82 लाख करोड़ रुपए है। नोटबंदी के दौरान यह 17.97 लाख करोड़ रूपए था।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिया गया एकमात्र कारण यह है कि 2,000 रुपए के नोट को इकट्ठा किया जा रहा है। लेकिन, क्या यह सिर्फ नोटों को इकट्ठा करना है या देश के बड़े हिस्सों में वर्तमान परेशानी का कुछ और कारण है?

हम सभी जानते हैं कि नोटबंदी के समय लेन-देन को लेकर प्रमुख लाभार्थी पेटीएम था। काले धन, आतंकवादी के पैसे आदि को उजागर करने के सभी बातें बेकार साबित हुईं। नोटबंदी के बाद पेटीएम लेनदेन प्रतिदिन 5 मिलियन तक पहुंच गया। कुल लेन देन एक दिन में 24,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया और कंपनी ने कुल लेन देन में 700 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी और 1000 फीसदी वृद्धि पेटीएम वॉलेट में की थी।

साल 2016 में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा बड़े नोटों को बंद करने की घोषणा के बाद 9 नवंबर को अख़बारों में पूरे पेज का विज्ञापन छपा था जिसमें बताया गया था कैशलेश लेन देन के लिए लोग पेटीएम का इस्तेमाल करें। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह का बड़ा क़दम उठाने के लिए उनकी तारीफ़ भी की गई थी। और आख़िर क्यों न किया जाता। ठीक 15 दिनों के बाद इन्हीं अख़बारों की सुर्खियां थीं कि 'पेटीएम ने 70 लाख लेनदेन का नया रिकॉर्ड छू लिया है'। पेटीएम को नोटबंदी में सबसे ज़्यादा फ़ायदा हुआ। वर्तमान में पेटीएम का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में 50 करोड़ उपयोगकर्ता आधार तक पहुंचना है।

इसलिए कोई भी अनुमान लगा सकता है कि नोटबंदी से किसको फ़ायदा हुआ है। लेकिन वर्तमान संकट, अगर ये जानबूझ कर किया गया है, एक बार फिर से वही पुराने अलीबाबा कंपनी (पेटीएम) के लिए है? या कोई दूसरा है जो इस विशाल उपयोगकर्ता आधार की तलाश कर रहा है?

4 अप्रैल 2018 के अखबार की रिपोर्ट में यह कहा गया है, "जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड के भुगतान बैंक (पीबी) क्षेत्र में प्रवेश करने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बीच 70:30 के संयुक्त उद्यम जियो पेमेंट्स बैंक दो साल पुरानी एयरटेल पेमेंट्स बैंक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक और फिनो पेमेंट्स बैंक जैसे बैंक से प्रतिस्पर्धा करेगी। पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा द्वारा पेटीएम पेमेंट्स बैंक पिछले साल शुरू किया गया था जबकि फिनो पेमेंट्स बैंक इसके एक महीने बाद शुरू किया गया।"

यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मोबाइल संचालित भुगतान बैंक (पीबी) वित्तीय समावेशन के लिए वर्तमान वितरण का मंत्र हैं। इस प्रकार लोगों को वित्तीय लेनदेन के लिए पीबी का इस्तेमाल करने और मुद्रा प्रवाह को कम करने के लिए प्रेरित करने की अधिक संभावनाएं हैं।

यह आरोप लगाया गया है कि इन दो दिग्गजों का प्रोफाइल इनके समानांतर पेमेंट बैंक के दावेदारों को बौना बना देगा क्योंकि एसबीआई की संपत्ति 18.74 लाख करोड़ रुपए है और रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास 4.46 लाख करोड़ रुपए का कारोबार है। लेकिन कौन सबसे ज़्यादा फायदा उठाने वाला होगा यह सवाल एकदम नहीं है। क्योंकि यह निश्चित रूप से आरआईएल ही होगा।

रिलायंस जियो और वर्तमान सरकार का संबंध छिपा हुआ रहस्य नहीं है। पिछले चार साल से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा घोर पूंजीवादी व्यवस्था बनाने का काम किया जा रहा है। यह मोबाइल स्पेक्ट्रम हो या राफेल सौदा। इस तरह बीजेपी ने अपना असली रंग दिखाया है। संदेह होता है कि वर्तमान में एटीएम से जानबूझ कर कैश ग़ायब करने का प्रयास किया गया है जिससे लोग मोबाइल संबंधित बैंकिंग के इस्तेमाल के लिए मजबूर हो सकें।

एटीएम
cash crunch
मोदी सरकार
Bank

Related Stories

लोग हिंदुत्व के झांसे में फंसे हैं और बैंक में रखी उनकी मेहनत की कमाई ल़ूटी जा रही है!

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

बैंक और बीमा उद्योग के निजीकरण के ख़िलाफ़ कर्मचारियों का हड़ताल का ऐलान

बैंक लोन पुनर्गठन के लिए स्वतंत्र, लेकिन किस्त स्थगन के लिए क़र्ज़दारों को दंडित नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

बैंकों से धोखाधड़ी: क्या बैंकिंग व्यवस्था को गहरे आत्ममंथन की ज़रूरत है?

कहीं लोन मेला के नाम पर अमीरों की क़र्ज़माफ़ी तो नहीं की जायेगी ?

राइट ऑफ़ और क़र्ज़ माफ़ी: तकनीकी शब्दावली में मत उलझाइए, नीति और नीयत बताइए

‘चौकीदार’ की नाक के नीचे ‘लुट’ गए बैंक, फर्जीवाड़े से 41,168 करोड़ का नुकसान

सत्ता का मन्त्र: बाँटो और नफ़रत फैलाओ!

जी.डी.पी. बढ़ोतरी दर: एक काँटों का ताज


बाकी खबरें

  • पुलकित कुमार शर्मा
    आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?
    30 May 2022
    मोदी सरकार अच्छे ख़ासी प्रॉफिट में चल रही BPCL जैसी सार्वजानिक कंपनी का भी निजीकरण करना चाहती है, जबकि 2020-21 में BPCL के प्रॉफिट में 600 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। फ़िलहाल तो इस निजीकरण को…
  • भाषा
    रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग
    30 May 2022
    रालोद की ओर से रविवार को दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें राजद, जद (यू) और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश में जाति आधारित जनगणना…
  • सुबोध वर्मा
    मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात
    30 May 2022
    बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई से पैदा हुए असंतोष से निपटने में सरकार की विफलता का मुकाबला करने के लिए भाजपा यह बातें कर रही है।
  • भाषा
    नेपाल विमान हादसे में कोई व्यक्ति जीवित नहीं मिला
    30 May 2022
    नेपाल की सेना ने सोमवार को बताया कि रविवार की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए यात्री विमान का मलबा नेपाल के मुस्तांग जिले में मिला है। यह विमान करीब 20 घंटे से लापता था।
  • भाषा
    मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया
    30 May 2022
    पंजाब के मानसा जिले में रविवार को अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला (28) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार द्वारा मूसेवाला की सुरक्षा वापस लिए जाने के एक दिन बाद यह घटना हुई थी। मूसेवाला के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License