NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
समाज
भारत
राजनीति
औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा : वुमन मार्च फ़ॉर चेंज
लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले, गुरुवार, 4 अप्रैल को 20 राज्यों के 143 से अधिक ज़िलों में "औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा" के नारे के साथ वुमन मार्च फ़ॉर चेंज के बैनर तले प्रतिरोध मार्च निकाले जाएंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Apr 2019
औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा: वुमन मार्च फ़ॉर चेंज

देश में महिलाओ के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा और उनके संवैधानिक अधिकारों पर जिस तरह से हमला किया जा रहा है इसके ख़िलाफ़ लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले, गुरुवार, 4 अप्रैल को 20 राज्यों के 143 से अधिक ज़िलों में "औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा" के नारे के साथ वुमन मार्च फ़ॉर चेंज के बैनर तले प्रतिरोध मार्च निकाले जाएंगे। महिला संगठनों ने उम्मीद जताई है कि गांवों, ब्लॉकों, तालुकाओं, शहरों, कॉलेजों, बाज़ारों आदि में एक हज़ार स्थानों पर मार्च किया जाएगा। दिल्ली में ये मार्च सुबह 11 बजे मंडी हाउस से शुरू होगा और जंतर मंतर पर समाप्त होगा जहाँ एक सभा होगी।

इसको लेकर नई दिल्ली में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया गया था। जिसमें कई सामाजिक और महिला कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सभी ने वर्तमान सरकार को पूरे समाज के लिए ख़तरनाक बताया लेकिन महिलाओं के नाम पर इस सरकार ने केवल घोटाला किया है। उनके जो भी संवैधानिक अधिकार थे उसे कमज़ोर किया। इसलिए चुनाव से पहले पूरे समाज को बाँटने वाली ताक़तों को पहचानने और आधी आबादी को उनके अधिकारों के लिए जगाने के लिए यह मार्च है।

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि इस मार्च का उद्देश्य पूरे देश में महिलाओं को जागरुक करना है ताकि वे नफ़रत और हिंसा के मौजूदा माहौल को ख़ारिज करने और एक लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिकों के रूप में अपने संवैधानिक अधिकारों का दावा करने के लिए अपने वोट का उपयोग करें।

अंजलि भारद्वाज ने कहा कि असमानता देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गई है और यह महिलाओं और हाशिए के समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। आज हम ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं, जहाँ 9 परिवार देश की संपत्ति का 50% हिस्सा रखते हैं- यह सब पूंजीवादी सरकारों की कॉरपोरेट परस्त नीतियों के कारण ही हुआ है, जिसने उन सभी संस्थानों को कमज़ोर किया है जो लोगों के प्रति जवाबदेह बनती हैं। इसका परिणाम हम ऐसे देख रहे हैं कि आज 21वीं शताब्दी में भी भूख से बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं। 

सरकार ने महिलाओं के अधिकारों विशेष रूप से मौलिक अधिकारों को कैसे कमज़ोर किया है, इस बात पर प्रकाश डालते हुए दिप्ता भोग ने कहा, "इस सरकार का प्रमुख कार्यक्रम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ इस देश की महिलाओं और लड़कियों पर एक बड़ा घोटाला है क्योंकि 50% से अधिक का बजट  केवल योजना प्रचार पर ख़र्च किया गया है। जबकि आज भी लिंगानुपात गिरना जारी है, इस प्रवृत्ति को अब दक्षिणी राज्यों में भी देखा जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 40% से अधिक लड़कियाँ स्कूल से ड्रॉपआउट हैं। वास्तव में ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार आंकड़ों को दबा रही है और इसे सार्वजनिक नहीं कर रही है - जैसे कि मुस्लिम लड़कियों के स्कूल छोड़ने का प्रतिशत और भी अधिक है।"

महिला किसानों के मुद्दों को उठाते हुए सोमा केपी ने कहा, महिलाएँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जिसमें 60% से अधिक कृषि श्रमिक हैं, जिनमें से 81% दलित और आदिवासी हैं, लेकिन उनके अधिकारों और कार्यों को डेटा सिस्टम में मान्यता नहीं है। किसानों के लिए सरकारी योजनाओं की पहुँच केवल उन लोगों के लिए है जो भूमि के मालिक हैं, जो महिलाओं के पास शायद ही कभी हों। वन अधिकार कानून के तहत महिला वनवासियों के पास वन भूमि पर अधिकार हैं, लेकिन इन अधिकारों पर शायद ही कभी वो दावा कर सकें और इसके बजाय सरकारी तंत्र और कॉर्पोरेट क्षेत्र राज्य की शक्ति का उपयोग वन भूमि पर क़ब्ज़ा करने और आदिवासी महिलाओं को विस्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार की हिंसा का उपयोग करते हैं।"

नंदिनी राव ने कहा, "महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हिंसा के इन मामलों पर हमारे निर्वाचित प्रतिनिधियों की जो प्रतिक्रिया है वो बहुत ही नई और बेहूदा है। कठुआ इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक छोटी लड़की के साथ हिंसा हुई और लोगों द्वारा उसके बलात्कार और हत्या का जश्न मनाया गया। महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर सज़ा की दर कम होने के साथ-साथ अपराध की दर बढ़ रही है। ट्रांसजेंडर लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा दर्ज भी नहीं की जाती है।"

पूर्णिमा गुप्ता ने कहा कि यह देश में फैली नफ़रत और फूट को पहचानने का समय है। हिंसा के सबसे अधिक शिकार महिलाएँ ही होती हैं। 

इसलिए इन विभाजनकारी ताक़तों को हराने का आह्वान किया गया है। 

"औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा 

ज़ुल्म करने वाला सीना-ज़ोर बनता जाएगा" 

                            -सफ़दर हाशमी 

women march for change
women empowerment
loksabha elections 2019
AIDWA
womens rights
BJP
Manusmriti
Women united

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: गर्मी व सूखे से मचेगा हाहाकार
    29 Apr 2022
    जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के कई इलाके इस समय भीषण सूखे की चपेट में हैं। सूखे के कारण लोगों के पलायन में 200 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है।
  • भाषा
    दिल्ली दंगा : अदालत ने ख़ालिद की ज़मानत पर सुनवाई टाली, इमाम की याचिका पर पुलिस का रुख़ पूछा
    29 Apr 2022
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशद्रोह के कानून की संवैधानिक वैधता पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष आगामी सुनवाई के मद्देनजर सुनवाई टाल दी और इसी मामले में शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर दिल्ली पुलिस का रुख पूछा।
  • विजय विनीत
    इफ़्तार को मुद्दा बनाने वाले बीएचयू को क्यों बनाना चाहते हैं सांप्रदायिकता की फैक्ट्री?
    29 Apr 2022
    "बवाल उस समय नहीं मचा जब बीएचयू के कुलपति ने परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और अनुष्ठान किया। उस समय उन पर हिन्दूवाद के आरोप चस्पा नहीं हुए। आज वो सामाजिक समरसता के लिए आयोजित इफ़्तार…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    उत्तर प्रदेश: बुद्धिजीवियों का आरोप राज्य में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का फ़ैसला मुसलमानों पर हमला है
    29 Apr 2022
    राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा धार्मिक उत्सवों का राजनीतिकरण देश के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देगा।
  • कुमुदिनी पति
    नई शिक्षा नीति से सधेगा काॅरपोरेट हित
    29 Apr 2022
    दरअसल शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से सरकार द्वारा बिना संसद में बहस कराए ताबड़तोड़ काॅरपोरेटाइज़ेशन और निजीकरण किया जा रहा है, उससे पूरे शैक्षणिक जगत में असंतोष व्याप्त है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License