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न्यूज़क्लिक डेस्क

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  • माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    17 Jan 2021
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं संजीव गौतम के नए ग़ज़ल संग्रह ‘बुतों की भीड़ में’ से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें जो हालात-ए-हाज़रा का आईना हैं।
  • cartoon click
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...डटके वो खड़ा है अब हुक्मरां के सामने
    09 Jan 2021
    8वें दौर की वार्ता भी विफल हुई। 9वीं से भी कोई उम्मीद नहीं। लेकिन किसान डटा है और कह रहा है कि अब तो आर-पार है...।
  • सावित्रीबाई फुले
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सावित्रीबाई फुले : खेती ही ब्रह्म, धन-धान्य है देती/अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म
    03 Jan 2021
    आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। वे एक शानदार कवि भी थीं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी कुछ कविताओं के अंश-
  • Gauhar Raza
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    तुम किसानों को सड़कों पे ले आए हो/ अब ये सैलाब हैं/ और सैलाब तिनकों से रुकते नहीं
    16 Dec 2020
    “ये जो सड़कों पे हैं ख़ुदकशी का चलन छोड़ कर आए हैं/ बेड़ियां पांव की तोड़ कर आए हैं….” वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा ने एक बार फिर अपने क़लम से जनता की आवाज़ बुलंद की है। इस समय चल रहे किसान आंदोलन के…
  • मंगलेश डबराल
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है
    13 Dec 2020
    हमारे प्यारे कवि मंगलेश डबराल इसी 9 दिसंबर को हमें छोड़कर चले गए। अब उनका नंबर भी मिलाने पर भी यही आवाज़ आएगी- दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी यही…
  • मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई…”
    22 Nov 2020
    भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़ की 21 नवंबर को दूसरी बरसी थी। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी एक मशहूर नज़्म।
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ
    08 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं मशहूर शायर हबीब जालिब की वो मशहूर ग़ज़ल जो हर राजनीतिक और सामाजिक जलसे में सबसे ज़्यादा दोहराई जाती है। ख़ासकर मतला जो यूं है- “तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त…
  • बिहार
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    बिहार के मतदाताओं से देश के 117 लेखकों की अपील
    26 Oct 2020
    “बिहार ने कई बार देश को रास्ता दिखाया है और बुनियादी परिवर्तन का आगाज़ किया है। हमें उम्मीद है कि इस मशाल को राज्य के मतदाता जलाए रखेंगे।”
  • कुर्सीनामा
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    कुर्सीनामा : कुर्सी ख़तरे में है तो देश ख़तरे में है… कुर्सी न बचे तो...
    25 Oct 2020
    बिहार में चुनाव हैं और इसी सिलसिले में याद आया जनकवि गोरख पांडेय का 1980 में लिखा कुर्सीनामा। जिसमें वे कहते हैं कि “महज ढाँचा नहीं है/ लोहे या काठ का/ कद है कुर्सी...” और ये कुर्सी क्या खेल करती है…
  • poem
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वो राजा हैं रियासत के, नफ़ा नुकसान देखेंगे/ नियम क़ानून तो उनके बड़े दीवान देखेंगे
    18 Oct 2020
    आगरा के रहने वाले और भारतीय खाद्य निगम से उप महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए अशोक रावत हमारे दौर के एक ऐसे गंभीर और विश्वसनीय शायर हैं जिनका क़लम न केवल दौरे हाज़िर का बयान करता है, बल्कि एक ज़रूरी…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License