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न्यूज़क्लिक डेस्क

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  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हम बच तो जाएंगे, लेकिन कितना बच पाएंगे ?
    03 May 2020
    “कितना बचेगा धरती पर धैर्य/ और थाली में अनाज/ थाली पीटने के काम आएगी या रोटी परोसने के...?” ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कवि और पत्रकार श्रुति कुशवाह की नई कविता, जो इस कोरोना समय की क्रूर…
  • सन्नाटा
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सन्नाटा बरस रहा है देश में...
    26 Apr 2020
    “सन्नाटा शोर मचाता/ मेरे भीतर धंस रहा है/ घाव देते दृश्य/ दर्द के जलते-सुलगते, बिलखते बिंब…।” ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं इस ‘कोरोना समय’ की सच्चाई को उकेरती वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी शोभा…
  • Sunday Poem
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    मुंह को ढक लो मगर ज़ेहन को खोल लो...
    19 Apr 2020
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं कोरोना संकट के कई आयाम खोलती मुकुल सरल की ताज़ा ग़ज़ल।
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    अब आप यहाँ से जा सकते हैं, यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ...
    12 Apr 2020
    ‘इतवार की कविता’ : जनकवि गोरख पाण्डेय ने 1982 में दिल्ली में हुए एशियन गेम्स (एशियाड) के बाद ‘स्वर्ग से बिदाई’ शीर्षक से एक लंबी कविता लिखी थी। जो आज भी बहुत प्रासंगिक है। इसे अमेरिकी राष्ट्रपति…
  • Sunday Poem
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सितम के मारे हैं फिर भी सितमगर पर भरोसा है...
    05 Apr 2020
    ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम की ताज़ा ग़ज़ल। जो हालात-ए-हाज़रा का बख़ूबी बयान करती है।
  • lockdown
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …तब भूख एक उलझन थी, अब एक बीमारी घोषित हो चुकी है
    29 Mar 2020
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज के शिक्षक सौम्य मालवीय ने कोरोना संकट के दौरान ‘पैदा हुईं’ और ‘पैदा की गईं’ आपात स्थितियों का बहुत सीटक मानवीय विश्लेषण किया है।
  • ‘जा रहे हम’
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...जैसे आए थे वैसे ही जा रहे हम
    29 Mar 2020
    वरिष्ठ पत्रकार संजय कुंदन एक बेहद संवेदनशील कवि भी हैं। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कोरोना संकट के दौरान महानगरों से पलायन को मजबूर हुए मेहनतकश मज़दूरों की मार्मिक कथा पर लिखी गई उनकी नयी कविता…
  • bhagat singh
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है...
    22 Mar 2020
    आइए आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं एक ऐसी ग़ज़ल जो अमर शहीदों के तेवर से मेल खाती है और जिसके कई शेर भगतसिंह को बहुत पसंद थे। और उन्हीं के नाम से मंसूब हो गए।
  • Karl Marx
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...आओ, क्योंकि छिछला, निरुदेश्य और लक्ष्यहीन जीवन हमें स्वीकार नहीं
    15 Mar 2020
    महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता कार्ल मार्क्स की 14 मार्च को पुण्यतिथि थी। 5 मई सन् 1818 को उनका जन्म ट्रायर, जर्मनी में हुआ था, जबकि…
  • International Women's Day
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    मैं हिन्दुस्तान की बेटी हूं... हर रंग में मैं मिलती हूं
    08 Mar 2020
    महिला दिवस की मुबारकबाद के साथ ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उम्मे कुलसुम की नज़्म जो उन्होंने लखनऊ के घंटाघर में सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान सुनाई।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License