NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अयोध्या केस : गैर-विवादित भूमि के बहाने एक नए विवाद की कोशिश!
चुनावी साल में मंदिर के लिए ‘गंभीर’ दिखने की एक और कोशिश करते हुए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर राम जन्मभूमि न्यास व अन्य को गैर-विवादित जमीन देने की अनुमति मांगी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Jan 2019
सांकेतिक तस्वीर

केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि न्यास और अन्य मूल मालिकों को 67 एकड़ गैर-विवादित भूमि का हिस्सा देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। केंद्र सरकार ने अधिग्रहित 67 एकड़ गैर-विवादित भूमि पर यथास्थिति बरकरार रखने के 31 मार्च, 2003 के आदेश में संशोधन की मांग के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया है। 

राम जन्मभूमि न्यास का 67 एकड़ में से 42 एकड़ भूमि पर अधिकार है, जिसे 1993 में वापस अधिग्रहित कर लिया गया था। 

न्यास ने सरकार से उस 42 एकड़ जमीन वापस करने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र ने मंगलवार को अपने आवेदन में 'अतिरिक्त' बताया है। 

केंद्र ने कहा कि केवल 0.312 एकड़ भूमि विवादित है। केंद्र सरकार को राम जन्मभूमि न्यास के साथ ही अन्य मूल स्वामियों को अतिरिक्त जमीन लौटाने में सैद्धांतिक रूप से कोई आपत्ति नहीं है। 

केंद्र ने 31 मार्च, 2003 की यथास्थिति में उपयुक्त संशोधन की मांग की, ताकि वह अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सके और राम जन्मभूमि न्यास और अन्य मूल मालिकों को निर्विवादित भूमि को बहाल कर सके। 

आपको बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 1993 में 67 एकड़ जमीन का सरकार ने अधिग्रहण किया था। विवादित जमीन के आसपास की जमीन का अधिग्रहण इसलिए किया गया था ताकि विवाद के निपटारे के बाद उस विवादित जमीन पर कब्जे या उपयोग में कोई बाधा नहीं हो। इसमे करीब 42 एकड़ की जमीन रामजन्म भूमि न्यास की बताई जाती है।

1994 में इस्माइल फारूकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन पर कोर्ट का फैसला आने के बाद गैर विवादित जमीन को उनके मूल मालिकों को वापस लौटाने पर विचार कर सकती है।

1996 में सरकार ने रामजन्म भूमि न्यास की मांग ठुकरा दी। इसके बाद न्यास ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे कोर्ट ने 1997 में खारिज कर दिया।

2002 में जब गैर-विवादित जमीन पर पूजा शुरू हो गई तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस याचिका पर सुनवाई के बाद 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने 67 एकड़ पूरी जमीन पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।

2003 में असलम भूरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने अधिग्रहित जमीन वापसी पर पक्षकारों से अर्जी मांगी। राम जन्मभूमि न्यास ने अपनी गैरविवादित जमीन 42 एकड़ पर अपना मालिकाना हक हासिल करने के लिए सरकार से गुहार लगाई।

इसी को लेकर अब 2019 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास ने अपने हिस्से की गैर विवादित जमीन की मांग की है।

मोदी सरकार के इस कदम को एक राजनीतिक खेल और चुनावी प्लान के तहत देखा जा रहा है। दरअसल बाबरी मामले में ज़मीन पर मालिकाना हक के लिए अभी नियमित सुनवाई शुरू नहीं हो पाई है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद और अन्य सहयोगी संगठनों ने मंदिर के दबाव तेज़ कर दिया है। जानकार मानते हैं कि मोदी सरकार ये दिखाना चाहती है कि वो मंदिर को लेकर काफी गंभीर है और इसके लिए हर तरह की कोशिश कर रही है। इसी के तहत ये अर्जी दायर की गई है। लेकिन यहां यह ध्यान रखना होगा कि 2003 में असलम भूरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता। इसलिए जब तक विवादित ज़मीन पर फैसला नहीं हो जाता तब तक केवल एक पक्षकार की मांग या अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट कोई संज्ञान लेगा, ये शायद मुश्किल ही है।   

(कुछ इनपुट आईएएनएस)

Ayodhya Case
babri masjid
Ram Mandir
Modi Govt
BJP-RSS
Ram Janamabhoomi – Babri Masjid
2019 आम चुनाव
General elections2019
Hindutva Agenda

Related Stories

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 

मोदी सरकार 'पंचतीर्थ' के बहाने अंबेडकर की विचारधारा पर हमला कर रही है

लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License