NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अयोध्या विवाद : न्यायालय ने निर्मोही अखाड़े से पूछा, कब्ज़ा साबित करने के लिए कोई साक्ष्य है?
संविधान पीठ ने कहा, ‘‘अब, हम कब्जे के मुद्दे पर हैं। आपको अपना कब्जा साबित करना है। यदि आपके पास अपने पक्ष में कोई राजस्व रिकार्ड है तो यह आपके पक्ष में बहुत अच्छा साक्ष्य है।’’
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Aug 2019
अयोध्या विवाद
Image Courtesy: MyNation

 


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े से जानना चाहा कि विवादित स्थल पर अपना कब्जा साबित करने के लिये क्या उसके पास कोई राजस्व रिकार्ड और मौखिक साक्ष्य है।

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की नियमित सुनवाई कर रहा है। आज बुधवार को नियमित सुनवाई का दूसरा दिन था।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मूल वादकारों में शामिल निर्मोही अखाड़े की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन से कहा कि चूंकि वह इस समय कब्जे के बिन्दु पर है, इसलिए हिन्दू संस्था को अपना दावा ‘साबित’ करना होगा।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

संविधान पीठ ने कहा, ‘‘अब, हम कब्जे के मुद्दे पर हैं। आपको अपना कब्जा साबित करना है। यदि आपके पास अपने पक्ष में कोई राजस्व रिकार्ड है तो यह आपके पक्ष में बहुत अच्छा साक्ष्य है।’’

निर्मोही अखाड़ा विभिन्न आधारों पर विवादित स्थल पर देखभाल करने और मालिकाना हक का दावा कर रहा है। अखाड़ा का कहना है कि यह स्थल प्राचीन काल से ही उसके कब्जे में है और उसकी हैसियत मूर्ति के ‘संरक्षक’ की है।

पीठ ने जैन से सवाल किया, ‘‘राजस्व रिकार्ड के अलावा आपके पास और क्या साक्ष्य है और कैसे आपने ‘अभिभावक’ के अधिकार का इस्तेमाल किया।’’ जैन ने इस तथ्य को साबित करने का प्रयास किया कि इस स्थल का कब्जा वापस हासिल करने के लिये हिन्दू संस्था का वाद परिसीमा कानून के तहत वर्जित नहीं है।

जैन ने कहा, ‘‘यह वाद परिसीमा कानून, 1908 के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत आता है। यह संपत्ति दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत मजिस्ट्रेट के कब्जे में थी। परिसीमा की अवधि मजिस्ट्रेट के अंतिम आदेश के बाद शुरू होती है। चूंकि मजिस्ट्रेट ने कोई अंतिम आदेश नहीं दिया है, इसलिए कार्रवाई की वजह जारी है, अत: परिसीमा द्वारा वर्जित होने का कोई सवाल नहीं उठता है।’’

उन्होंने कहा कि हमारा वाद तो मंदिर की देखभाल के लिये संरक्षक के अधिकार की बहाली का है और इसमें प्रबंधन और मालिकाना अधिकार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि 1950 में जब कब्जा लिया गया तो अभिभावक का अधिकार प्रभावित हुआ और इस अधिकार को बहाल करने का अनुरोध कब्जा वापस दिलाने के दायरे में आयेगा।

जैन से कहा कि कब्जा वापस लेने के लिये परिसीमा की अवधि 12 साल है। हमसे कब्जा लेने की घटना 1950 में हुयी। इस मामले में1959 में वाद दायर किया गया और इस तरह से यह समय सीमा के भीतर है।

इसे भी पढ़ें : अयोध्या विवाद : सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन की सुनवाई शुरू, निर्मोही अखाड़ा ने कहा- जमीन पर हमारा हक़

संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीनों पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान खोजने के प्रयास विफल होने के बाद संविधान पीठ ने छह अगस्त से सारी अपीलों पर सुनवाई शुरू की है।

आपको बता दें कि इस स्थल पर स्थापित बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर, 1992 को उग्र कार सेवकों ने ध्वस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुये अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Ayodhya Case
Ram Mandir
babri masjid
hindu-muslim
UP
BJP
Indira jaising
Supreme Court

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License