NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 50 साल, लेकिन...
बैंकों के राष्ट्रीयकरण की स्वर्ण जयंती है, लेकिन क्या इसका जश्न मनाया जा सकता है क्योंकि आज पूरी प्रक्रिया रिवर्स गेयर में दिखाई दे रही है। यानी सरकार एक बार फिर बैंकों के निजीकरण के तरफ़ बढ़ती दिख रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Jul 2019
 bank nationalisation
Image Courtesy: Scroll.in

देश के बैंकिंग इतिहास में आज के दिन का एक खास महत्व है। दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्ज़ा था। आज इसे पचास बरस हो गए हैं। लेकिन आज पूरी प्रक्रिया रिवर्स गेयर में दिखाई दे रही है। यानी सरकार एक बार फिर बैंकों के निजीकरण के तरफ़ बढ़ती दिख रही है।

राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में आया, जिसके तहत सात और बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीयकरण के बाद भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।

इस समय भारत में बहुत से विदेशी और निजी क्षेत्र के बैंक सक्रिय हैं, लेकिन एक अनुमान के अनुसार बैंकों की सेवाएँ लेने वाले लगभग 90 फ़ीसदी लोग अब भी सरकारी क्षेत्र के बैंकों की ही सेवाएँ लेते हैं। इस समय भारत में 27 बैंक राष्ट्रीयकृत हैं।

बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैसला एक संकटपूर्ण समय में आया था। भारत इससे पहले दो युद्ध झेल चुका था, एक 1962 में चीन के साथ और दूसरा 1965 में पाकिस्तान के साथ। इसके अलावा देश सूखे की भी मार झेल रहा था।

इंदिरा गांधी ने 29 जुलाई 1969 को लोकसभा में बताया कि बैंकों के राष्ट्रीयकऱण का उद्देश्य कृषि, छोटे उद्योग तथा निर्यात में वृद्धि को बढ़ावा देना, नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करना था सभी पिछड़े क्षेत्रों को विकसित करना है।

उनका कहना था "बैंकिंग प्रणाली जैसी संस्था, जो हजारों-लाखों लोगों तक पहुंचती है और जिसे लाखों लोगों तक पहुंचाना चाहिए, के पीछे आवश्यक रूप से कोई बड़ा सामाजिक उद्देश्य होना चाहिए जिससे वह प्रेरित हो और इन क्षेत्रों को चाहिए कि वह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं तथा उद्देश्यों को पूरा करने में अपना योगदान दें।"

विशेषज्ञ कहते हैं कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ा। 1970 के दशक में राष्ट्रीय आय के प्रतिशत के तौर पर सकल घरेलू बचत लगभग दोगुनी हो गई।

लेकिन बाद में इसमें काफी उतार-चढ़ाव आए। बैंकिंग सेवा के विस्तार और अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य के अलावा इस राष्ट्रीयकरण का एक उद्देश्य बेरोज़गारी की समस्या से निपटना, समाज के कमजोर वर्गों तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के लोगों का बैंकिंग सेवाओं एवं सुविधाओं के माध्यम से उत्थान करके देश की आर्थिक उन्नति को एक नई दिशा प्रदान करना था।

अपने सभी उद्देश्यों में तो ये राष्ट्रीयकरण कामयाब नहीं हो पाया लेकिन फिर भी ये एक ऐतिहासिक और अच्छा फैसला माना गया। जैसे ऊपर भी बताया गया कि आज भी बैंकों की सेवाएँ लेने वाले लगभग 90 फ़ीसदी लोग सरकारी क्षेत्र के बैंकों की ही सेवाएँ लेते हैं।

मगर अब इसे धीरे-धीरे फेल करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी बैंकों का मर्जर किया जा रहा है। उनकी अपेक्षा निजी बैंकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

आईडीबीआई बैंक का उदाहरण इसे समझने के लिए बेहतर उदाहरण है। आईआरडीएआई ने एलआईसी को आईडीआईबी बैंक के 51% शेयरों को खरीदने के लिए मंजूरी दीI यह पहला सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है जिसे सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण से बाहर निकाल दिया गया है।

मोदी सरकार के पिछले पांच सालों में बैंकों के साथ फर्जीवाड़े में लगातार बढ़ोतरी हुई है और यह घटनाएँ कांग्रेस की पिछली सरकार की तुलना में चार गुना बढ़ गई है। वर्ष 2013-14 में फर्जीवाड़े के चलते कुल 10,170 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जो वर्तमान में बढ़कर 41,168 करोड़ रुपये हो गया है।

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों को फर्जीवाड़े के चलते वर्ष 2017-18 में 41,168 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 2016-17 की तुलना में यह नुकसान 72 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2017-18 में बैंकों के साथ फर्जीवाड़े की कुल 5,917 घटनाएं हुईं जबकि इससे पहले 2016-17 में कुल 5,096 फर्जीवाड़े हुए थे, जिसमें 23,934 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को माना है कि  बैंकों के साथ होने वाले फर्जीवाड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के एक गंभीर समस्या है। रिजर्व बैंक ने कहा कि “धोखाधड़ी प्रबंधन में सबसे गंभीर चिंता का विषय बन गई है, जिसका 90 प्रतिशत हिस्सा बैंकों के क्रेडिट पोर्टफोलियो में स्थित है”। आरबीआई के अनुसार अधिकतर फर्जीवाड़ा करेंट अकाउंट के जरिये किया गया।

इतना ही नहीं पूंजीपतियों ने बैंकों का लाखों करोड़ रुपया गबन किया हुआ है और फरार हो गए हैं। नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या के उदाहरण हमारे सामने हैं।

बड़े डिफाल्टरों को बड़े बेल आउट पैकेज भी दिए गए लेकिन वो भी डूब गए। सरकार ने अपने धन की वसूली करने की बजाय जमाकर्ताओं यानी आम जनता के पसीने की कमाई को पूंजीपतियों के बढ़ावे के लिए इस्तेमाल किया।

इतना ही नहीं सरकार बैंकों की निगरानी करने वाली सबसे बड़ी संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के काम में भी लगातार हस्तक्षेप कर रही है। वैधानिक तौर पर आरबीआई सरकारी हस्तक्षेप के बिना काम करने वाली स्वायत्त संस्था है। लेकिन मोदी सरकार ने आजादी के बाद से लेकर अभी तक इस्तेमाल नहीं की गई आरबीआई आधिनियम की धारा 7 का भी पहली बार उपयोग किया। आरबीआई अधिनियम की धारा-7 सरकार को यह अनुमति देती है कि वह जनहित में आरबीआई को अपने निर्देशों के आधार पर काम करने के लिए कहे। आजादी से लेकर अब तक इस धारा का इस्तेमाल नहीं किया गया था। जिसका मतलब यह था कि यह कहा जा सकता था कि आरबीआई की स्वायत्तता के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि आरबीआई की आजादी को खुले तौर पर हड़पने की कोशिश की गई।

चौकीदार ही चोर है: भाग 1 - नितिन गडकरी के लिए एक "स्वीट" डील

चौकीदार चोर है: भाग 2 - कैसे मोदी से जुड़ी एक फ़र्म ने बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र का पैसा गबन किया

Bank Nationalisation
Rising NPAs
International Finance Capital
SBI
RBI
Privatization of banks

Related Stories

लंबे समय के बाद RBI द्वारा की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्या मतलब है?

आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!

महंगाई 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर, लगातार तीसरे महीने पार हुई RBI की ऊपरी सीमा

रिपोर्टर्स कलेक्टिव का खुलासा: कैसे उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए RBI के काम में हस्तक्षेप करती रही सरकार, बढ़ती गई महंगाई 

आज़ादी के बाद पहली बार RBI पर लगा दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने का आरोप: रिपोर्टर्स कलेक्टिव

स्वतंत्रता दिवस को कमज़ोर करने एवं हिंदू राष्ट्र को नए सिरे से आगे बढ़ाने की संघ परिवार की योजना को विफल करें: येचुरी 

ख़बरों के आगे-पीछे: 23 हज़ार करोड़ के बैंकिंग घोटाले से लेकर केजरीवाल के सर्वे तक..

गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी

DCW का SBI को नोटिस, गर्भवती महिलाओं से संबंधित रोजगार दिशा-निर्देश वापस लेने की मांग

RBI कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे: अर्थव्यवस्था से टूटता उपभोक्ताओं का भरोसा


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License