NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बारिश से भारी तबाही के बावजूद केरल की मांग को केंद्र ने किया नज़रअंदाज़
साल 1924 के बाद से केरल में इस साल बाढ़ से भारी तबाही। इस साल मौतों की संख्या अब तक 186 तक पहुंच गई।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Aug 2018
Kerala floods

केरल में भारी बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है जिसके चलते यहां जनजीवन अस्त व्यस्त है। यहां भूस्खलन के कई मामले सामने आए हैं। हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तत्काल राहत के रूप में राज्य को पहले की घोषित सहायता राशि 160.50 करोड़ रुपए में से महज़ 100 करोड़ रुपए देने को मंज़ूरी दी है। तत्काल राहत के रूप में यह अनुदान राज्य की 1,220 करोड़ रुपए की मांग को नज़रअंदाज़ करता है।

तीव्र दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के चलते हुई इस आपदा से राज्य में 39 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा हजारों लोग बेघर हो गए हैं। भूमि सहित किसानों की सभी संपत्तियां इस बाढ़ से तबाह हो गई हैं। कई जगहों पर सड़कें बह गई और इमारतें गिर गई। इन सभी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 8,316 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया था और मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने तत्काल राहत के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत निधि से 1,220 करोड़ रुपए का अनुरोध किया था। हालांकि, बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने रविवार को 100 करोड़ के अनुदान की घोषणा की जो राज्य द्वारा अनुरोध की गई कुल राशि का केवल 8प्रतिशत है।

पहले चरण में हुए मानसून से नुकसान के लिए 1,220 करोड़ रुपए में से 820 करोड़ रुपए की मुआवज़े के रूप में मांग की गई थी। एनडीआरएफ दिशानिर्देशों के तहत केंद्रीय टीम द्वारा ये सिफारिश की गई थी। इस टीम ने राज्य का दौरा किया था। केरल में दूसरे चरण के दौरान होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय टीम को फिर से भेजने का अनुरोध किया है। पिनाराय विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में ये अनुरोध किया है।

ज्ञात हो कि केरल में साल 1924 के बाद इस मॉनसून में सबसे ज़्यादा बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है। इसके कुल चौदह ज़़िलों में से दस ज़िले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बाढ़ की स्थिति ख़तरनाक होने के चलते 27 बांध को खोलना पड़ा। 9 से 12 अगस्त के बीच क़रीब 39 लोगों की मौत हो गई है, और इस साल में अब तक कुल मौतों की संख्या 186 हो गई है। राज्य भर में क़रीब 60,000 से ज़्यादा लोग विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे हैं। वहीं 211 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई है। लगभग 20,000 घर बर्बाद हो गए हैं, वहीं क़रीब 10,000 किमी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, "केरल को इस आपदा के प्रभाव को लंबे समय तक झेलना पड़ेगा।"

हालांकि आपदा के वास्तविक नुकसान को अभी आकना बाकी है। कृषि क्षेत्र को आने वाले मौसम में उत्पादन में बड़े नुकसान की संभावना है। चाय के क्षेत्र में अकेले मन्नार में 50 प्रतिशत उत्पादन कम होने की उम्मीद है। मन्नार चाय बागानों का केंद्र है जो इडुक्की ज़िले में है जहां काफी नुकसान हुआ है। इससे पहले एसोसिएशन ऑफ प्लांटर्स ऑफ केरल ने कहा था कि अनियमित मौसम की स्थिति के कारण इस क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 100-125 किलोग्राम चाय का नुकसान हुआ था।

राज्य में लगातार बारिश के चलते प्रमुख नकदी फसलों में से एक रबड़ के पेड़ को भी पत्ते गिरने वाली बीमारी का सामना करना पड़ रहा है जिससे आने वाले महीनों में उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। लगातार बारिश के कारण न केवल रबड़ और चाय बल्कि और भी फसलें प्रभावित हुई हैं जिसका परिणाम उत्पादन और बाज़ारों में दिखाई देगा।

हालांकि सत्ताधारी गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के अधीन राज्य की पूरी मशीनरी और विपक्षी दल प्रभावित क्षेत्रों से सभी लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार प्रभावित राज्य के लिए कोई ज़्यादा उदार नहीं दिखाई दे रही है।

इस मामले में राज्य वित्त मंत्री थॉमस इस्साक ने अपने ट्विटर वॉल पर प्रतिक्रिया दिया, "केरल में बाढ़ से क़रीब 8000 करोड़ रूपए के आसपास का कुल नुकसान है। तत्काल राहत के लिए 3000 करोड़ रूपए के क़रीब ख़र्च है। और केंद्र का 100 करोड़ रूपए अनुदान बहुमूल्य है।"

इससे पहले दिसंबर 2017 में ओखी चक्रवात के वक़्त भी केंद्र ने तमिलनाडु के साथ केरल को नज़रअंदाज़ कर दिया था। इन राज्यों में भारी तबाही हुई थी और गुजरात की तुलना में इन्हें अनुदान कम दिए गए। उस समय केंद्र ने केरल के लिए एनडीआरएफ से 133 करोड़ रुपए जारी करने के लिए अग्रिम मंज़ूरी दिया था हालांकि राज्य ने 422 करोड़ रुपए की सहायता राशि की मांग की थी। इसके अलावा राज्य ने पुनर्वास पैकेज के लिए 7,340 करोड़ रुपए का अनुरोध किया था जिसे नकार दिया गया था।

https://www.thehindu.com/news/national/kerala/centre-releases-133-crore…

हालांकि, एमईटी सेंटर के निदेशक जयंत सरकार के अनुसार गुजरात तट पर पहुंचने से पहले ये चक्रवात पर समुद्र में ही कमज़ोर पर गया था, फिर भी राज्य को राहत राशि मिली थी। बाढ़ राहत निधि के रूप में इसे 1,055 करोड़ रुपए मिला।

https://www.business-standard.com/article/current-affairs/cyclone-ockhi-spared-poll-bound-gujarat-and-top-other-developments-117120700599_1.html

अब सवाल उठता है कि केंद्र ऐसे राज्य के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए इतना अनिच्छुक क्यों है जो केंद्र के साथ अपने करों को साझा करता है?

इस साल की शुरुआत में यानी अप्रैल महीने में दक्षिण भारतीय वित्त मंत्रियों के कॉन्क्लेव (तमिलनाडु और तेलंगाना को छोड़कर) में 15 वीं वित्त आयोग के बिंदुओं पर चर्चा की गई। सम्मेलन मे इन मंत्रियों ने पाया कि बीजेपी के नेतृत्व वाले केंद्र ने इन राज्यों को आवंटित किए जाने वाले फंडों में केंद्र के हिस्से में कटौती करने का एक सचेत प्रयास कर मनमाने ढंग से इन बिंदुओं को तैयार किया है।

https://www.thehindu.com/news/national/15th-finance-commission-terms-of…

उस समय केरल के वित्त मंत्री डॉ इस्साक ने बताया था कि केंद्र अपनी योजनाओं को फंड करने के लिए इन राज्यों के हिस्से को कम करने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने यह भी पाया था कि आयोग का कार्य राज्यों के प्रदर्शन को आंकना नहीं बल्कि करों को बांटना करना था।

Kerala
floods
rajnath singh
NDRF
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    दलितों में वे भी शामिल हैं जो जाति के बावजूद असमानता का विरोध करते हैं : मार्टिन मैकवान
    12 May 2022
    जाने-माने एक्टिविस्ट बताते हैं कि कैसे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी दलित को जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म और आस्था से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,827 नए मामले, 24 मरीज़ों की मौत
    12 May 2022
    देश की राजधानी दिल्ली में आज कोरोना के एक हज़ार से कम यानी 970 नए मामले दर्ज किए गए है, जबकि इस दौरान 1,230 लोगों की ठीक किया जा चूका है |
  • सबरंग इंडिया
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल
    12 May 2022
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ एमपी के आदिवासी सड़कों पर उतर आए और कलेक्टर कार्यालय के घेराव के साथ निर्णायक आंदोलन का आगाज करते हुए, आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की मांग की।
  • Buldozer
    महेश कुमार
    बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग
    11 May 2022
    जब दलित समुदाय के लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के दलित समुदाय में गुस्सा है।
  • Professor Ravikant
    न्यूज़क्लिक टीम
    संघियों के निशाने पर प्रोफेसर: वजह बता रहे हैं स्वयं डा. रविकांत
    11 May 2022
    लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ आरएसएस से सम्बद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता हाथ धोकर क्यों पड़े हैं? विश्वविद्यालय परिसरों, मीडिया और समाज में लोगों की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License