NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
बौनेपन से निपटना भारत के लिए होगी चुनौती!
फूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 तक भारत में तीन में से एक बच्चा कद में बौना रह जाएंगे।
अजय कुमार
26 Jun 2019
malnutrition

भारत दुनिया में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनापन रोकने के मामलें में तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे पीछे है।

फूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी के विश्लेषण से मिली जानकारी के तहत भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की दर में एक फीसदी की दर से कमी आ रही है, जो कि दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यस्थाओं में सबसे सबसे कम है। 

अगर यह ऐसी ही चलता रहा तो साल 2022 तक भारत में तीन में से एक बच्चा कद में बौना रह जाएंगे। यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों में तकरीबन 32 फीसदी बच्चे बौने रह जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 तक इसे 25 फीसदी तक लाने के लिए भारत को अपने कोशिशों में दोगुनी दर से काम करने की जरूरत है।  

जरा इस बात पर सोचिए कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सही से पोषण नहीं मिला तो क्या हो सकता है? उनकी पूरी जिंदगी बीमारियों की चपेट में गुजरने के लिए अभिशप्त हो जाती है। 

कुपोषण के चलते हुई स्टंटिंग और वेस्टिंग जैसी बीमारियां पूरे शरीर को उम्र भर के लिए कमजोर कर देती है। स्टंटिंग का मतलब होता है उम्र के हिसाब से कद में कमी और वेस्टिंग का मतलब होता है कद के हिसाब से वजन में कमी। यह दोनों स्थितियां कुपोषण यानी पोषण की कमी की वजह से पैदा होती है। 

शरीर हद से अधिक कमजोर हो जाता है। शरीर की मांसपेशियां बहुत अधिक कमजोर हो जाती हैं। शरीर संक्रमण के जाल में फंस जाता है। एक के एक बाद बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है। अगर यह स्थिति बनी रही और नौजवानी में पोषण स्तर बढ़ाने की कोशिश की गयी तो शरीर  डायबिटीज, हाइपर टेंशन और मांसपेशिओं से जुडी बीमारियों का घर बनने लगता है।  

विडंबना यह है कि पिछले दो दशकों में देश में अनाज के पैदावार में तकरीबन 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। फिर भी देश की बड़ी आबादी को सही पोषण नहीं मिल पाता है। कारण जगजाहिर है। गरीबी और आर्थिक असमानता की खाई इतनी बड़ी है कि महंगाई से नहीं लड़ पाती है। 

अनाज होते हुए भी अनाज नहीं मिल पाता है। साथ में अनाज की बर्बादी और अनाज से जुड़े आयात-निर्यात के मसले का खराब प्रशासन, स्थिति को और अधिक गंभीर बना देता है। ऐसे स्थिति में गरीबी में जीने वाले लोगों की हालत जोड़ लीजिये।  तकरीबन 30 फीसदी सबसे अधिक गरीब लोग अपने पोषण से हर दिन केवल 1,811 किलोकैलोरी ऊर्जा ले पाते हैं, जो औसत ऊर्जा  2,155 किलोकैलोरी की प्रति दिन की खपत से बहुत कम है। 

फ़ूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी के ही आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक गरीब लोगों के बच्चों में तकरीबन 52 फीसदी बच्चे स्टंटिंग से जूझ रहे हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी में तकरीबन 43 और 44 फीसदी बच्चें स्टंटिंग से परेशान है। अशिक्षित मांओं में से तकरीबन 51 फीसदी मांओं के बच्चे स्टंटिंग से जूझ रहे हैं।  

जन स्वास्थ्य अभियान के डॉक्टर गार्गिया कहते हैं कि अफ़्रीकी देशों में पहले लोग बहुत लम्बे और मजबूत हुआ करते थे, लेकिन गृह कलहों, नस्लीय लड़ाइयों की वजह से अफ्रीकी समाज बहुत अधिक बर्बाद हो गया। अब स्थिति यह है कि अफ्रीका कुपोषण से हर वक्त जूझता रहता है।  वहां पर बड़ी संख्या में बच्चे पैदा होते ही मर जाते हैं। जो जीवन को जीते रहते है, वह जीवन भर बीमारियों से जूझते रहते हैं। इस तरह से कुपोषण से जुड़ा मसला केवल सेहत से जुड़ा मसला नहीं है। यह स्थिति बताती है कि एक समाज के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक स्थिति बहुत अधिक खराब है।  इसलिए कुपोषण का मसला सेहत से होता हुआ पूरे भारतीय समाज को चलाने वाली व्यवस्थाओं पर गहरा सवालिया निशान खड़ा करता है।
 

stunting
wasting
malnutrition in India
food and nutrition analysis

Related Stories

बंपर उत्पादन के बावजूद भुखमरी- आज़ादी के 75 साल बाद भी त्रासदी जारी

भुखमरी से मुकाबला करने में हमारी नाकामयाबी की वजह क्या है?

भूखे पेट ‘विश्वगुरु’ भारत, शर्म नहीं कर रहे दौलतवाले! 

विश्वगुरु बनने की चाह रखने वाला भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107 देशों में 94वें पायदान पर

कोरोना संकट से भारत में भुखमरी की समस्या कितनी बड़ी है?

रामचरण मुंडा की मौत पर दो मिनट का मौन!


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
    30 May 2022
    जापान हाल में रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने वाले अग्रणी देशों में शामिल था। इस तरह जापान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना
    30 May 2022
    पूर्व में बाग़ी रहे नेता गुस्तावो पेट्रो पहले दौर में अच्छी बढ़त के साथ सबसे आगे रहे हैं। अब सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले शीर्ष दो उम्मीदवारों में 19 जून को निर्णायक भिड़ंत होगी।
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली
    30 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद के वरिष्ठ अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कोर्ट में यह भी दलील पेश की है कि हमारे फव्वारे को ये लोग शिवलिंग क्यों कह रहे हैं। अगर वह असली शिवलिंग है तो फिर बताएं कि 250 सालों से जिस जगह पूजा…
  • सोनिया यादव
    आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?
    30 May 2022
    बहुत सारे लोगों का मानना था कि राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के चलते आर्यन को निशाना बनाया गया, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन
    30 May 2022
    हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में मनरेगा मज़दूरों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। पूरे  ज़िले में यही स्थिति है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License