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भारत
राजनीति
बीएसएनएल की कीमत पर रिलायंस जियो की तरक्की!
बीएसएनएल कर्मी आज सोमवार से तीन दिन की हड़ताल पर हैं। वे क्या मांग रहे हैं। वे मांग रहे हैं 4जी स्पेक्ट्रम ताकि देश की बेहतर सेवा कर सकें, मगर सरकार उसकी अनुमति नही दे रही, ताकि 4जी सिर्फ रिलायंस जियो के पास रहे और अम्बानी पूरे बाजार कब्जा कर सके। अब भी कोई शक़ है क्या कि सरकार किसकी है?
बादल सरोज
18 Feb 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy:NewsTrack (File Photo)

18 फरवरी से शुरू हुयी बीएसएनएल कर्मियों की तीन दिनी हड़ताल कोई आम हड़ताल नहीं है। यह देश की सुरक्षा चौकी पर मुस्तैद खड़े बिन वर्दी वाले सिपाहियों की अपने देश की जनता से गुहार है : अपनी नौकरी बचाने या तन्खा बढ़ाने की नहीं, मुल्क की संचार प्रणाली को बचाने की गुहार।
सरकारी कम्पनी बीएसएनएल के कर्मचारी मांग रहे हैं 4 जी स्पेक्ट्रम ताकि देश की बेहतर सेवा कर सकें, मगर सरकार उसकी अनुमति नही दे रही, ताकि 4 जी सिर्फ रिलायंस जियो के पास रहे और अम्बानी पूरे बाजार कब्जा कर सके। अब भी कोई शक़ है क्या कि सरकार किसकी है? 
गाँव, पहाड़, जंगल, पिछड़े इलाकों तक टेलीफोन सुविधा पहुँचाने और भारतीय सेना को विश्वस्तरीय ऑप्टिक केबल नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए बीएसएनएल को भारत रत्न का सम्मान मिलना चाहिए था ; मगर मिली सजा-ए-मौत!! 
अम्बानियों के लिए खुद सरकार अपनी ही कम्पनियों का किस तरह कत्लेआम करती है भारत संचार निगम लिमिटेड इसका क्रूरतम उदाहरण है। धमनियां काट कर इसका लहू भी बहाया गया - विस्तार और आधुनिकीकरण रोक कर सांस भी घोंटी गयी। 
कुछ ही उदाहरण काफी हैं कॉर्पोरेट की शूटर बनी सरकारों के ; 
2007-2012
के बीच नए उपकरण खरीदने से सरकार बीएसएनएल को रोकती रही - ताकि निजी कम्पनियां आगे निकल जाएँ। उस पर 3 जी के 18000 करोड़ रुपये एकमुश्त वसूल लिए।
1999 में वाजपेयी सरकार ने निजी कम्पनियों की लाइसेंस फीस घटाकर 43000 करोड़ रूपये की चपत अलग से लगा दी।
2 जी स्कैम करके अम्बानियों को मालामाल और बीएसएनएल को कंगाल कर दिया।
इसके बाद भी बीएसएनल कर्मचारी-अधिकारियों ने जीतोड़ मेहनत कर इसका ऑपरेशनल प्रॉफिट 2014-15 में बढ़ाकर 672 करोड़ रुपये, 2015-16 में 3854 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। घाटे घटते गये : मुनाफे बढ़ते गये।

कि तभी ब्रह्मा जी खुद जियो का विज्ञापन करने के लिए मॉडल बन कर आ गए और रिलायंस की जियो ने बाकी सब कंपनियों और खुद सरकार की कम्पनी बीएसएनएल का भट्टा बिठा दिया। ऐसे दोस्त हों तो फिर दुश्मन की जरूरत ही कहाँ रहती है।
एक कुल 2 करोड़ की घोषित संपत्ति वाली कम्पनी इंफोटेल ने 1200 करोड़ रुपये में देश भर के सर्किल्स की 4 जी खरीद ली। बीएसएनएल को बोली तक नहीं लगाने दी गयी। इस इंफोटेल पर जियो ने कब्जा कर लिया, अम्बानी को 4 जी मिल गया - मगर बीएसएनएल को आज भी नहीं लेने दे रही है सरकार।
ब्रह्मा जी के विज्ञापन वाला जियो का लाइसेंस सिर्फ इंटरनेट का था मगर जब चाकर हुआ कोतवाल तो फिर डर काहे का? सो वॉइस कॉल्स में भी कूद पड़े महामहिम!! मजाल कि कोई पूछ ले?
बीएसएनएल की उपकरण बनाने की फैक्टरियां भी हैं। उन्हें भी उपकरण बनाने से रोक दिया गया। बाहर से उपकरण आ रहे हैं, जिनमे आपकी सारी बातचीत और डाटा के भी बाहर जाने का जोखिम है।
डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम से बीएसएनएल बना था। कायदे से इसकी सारी संपत्ति ट्रान्सफर की जानी थी। मगर देश भर में कुछ लाख करोड़ रुपयो के बाजार मूल्य वाली जमीन और संपत्तियां अभी तक बीएसएनएल को नहीं मिलीं। 
नतीजा यह है कि तकनीकी उन्नति के इन अवरोधों और निजीकरण के चलते जब बीएसएनएल की कनेक्टिविटी में असुविधा आती है तो उसे गालियां और अम्बानियों को बाजार मिलता है। इस सबके चलते संचार और सूचना की प्रगति के मामले में हम 176 देशों में 134 पर आ गये।
18 से 20 फरवरी की हड़ताल पर गया बीएसएनएल परिवार देश, जनता,  संचार प्रणाली और सुरक्षा के लिए लड़ रहा है। उसका साथ दीजिये ।
अपने को क्या फर्क पड़ता है सिंड्रोम से बाहर आना जरूरी है। 
वरना वन डे ठग वन्देमातरम का शोर मचाकर सब कुछ बेच खाएंगे, जैसे डिफेन्स के कारखानों का उत्पादन ठप्प करके, उन्हें खोखला करके इधर अम्बानी अडानी को यहां के भी लाइसेंस दे रहे हैं उधर रफाल करके हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लि. को सुखा रहे हैं। रेल नेटवर्क भी यही ठिकाने लगा रहे हैं ।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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