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बिहार बोर्ड के परिणाम घोषित ,परन्तु विवादों से पीछा न छूटा
बिहार बोर्ड के मैट्रिक की 42000 उत्तरपुस्तिकाओं को 8500 रुपये में कबाड़ी को बेचा गया |
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Jun 2018
bihar board

बिहार बोर्ड के परीक्षाओं और विवादों का नाता चोली और दामन का है | इस बार भी परिणाम घोषणा से पूर्व ही बोर्ड पर कई गंभीर आरोप लगे | इन सब में सबसे बड़ा प्रश्न है कि जो बिहार के गोपालगंज मूल्यंकन केंद्र से उत्तरपुस्तिकाएँ गायब हुई हैं उनका क्या होगा ?

इस पूरे मामले में अभी जाँच चल रही है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गोपालगंज के एसएस बालिका विद्यालय के मूल्यांकन केंद्र से बिहार बोर्ड के मैट्रिक की 42000 उत्तरपुस्तिकाए 8500 रुपए में कबाड़ी को बेची गई थी| इसको लेकर कबाड़ी वाले ने खुलासा करते हुए अपना अपराध स्वीकार किया है|

 

इसे भी पढ़े : बिहार: हाईस्कूल के परिणाम आने से पहले 42 हज़ार मूल्यांकित कॉपियाँ गायब

उसने बताया कि विद्यालय के चपरासी छट्ठू सिंह ने 8500 रुपये में उत्तरपुस्तिकाएँ बेच दी थीं | "मैं एक ऑटोरिक्शा में देर रात बैठकर स्कूल पहुंचा था जहां से छट्ठू सिंह ने मुझे कॉपियां दीं और मैं ऑटोरिक्शा से उत्तरपुस्तिकाए ले आया था|" इस मामले में ऑटो चालक संतोष कुमार और कबाड़ी वाले पप्पू गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है |

इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से एक महीने के अंदर पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है|

 

इसे भी पढ़े : बिहार : उत्तरपुस्तिका गायब होने का मामला हाईकोर्ट पहुँचा

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बिहार परीक्षा मूल्यांकन समिति के सदस्य श्री शाहज़फर इमाम ने बतया कि “उत्तरपुस्तिकाओं के गयब होने के मामले में जो भी दोषी हो उन पर कठोर करवाई हो, हम उसका समर्थन करते हैं लेकिन अभी तक की पूरी जाँच के दौरान ऐसा लग रहा है कि सरकार, इस पूरे खेल के छोटे खिलाडियों को गिरफ्तार करके मामले को रफा दफा करने में लगी हुई है | जबकी इसके मुख्य दोषियों पर कोई करवाई नहीं हो रही है | इन उत्तरपुस्तिकाओं  की सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी बिहार बोर्ड परीक्षा समिति की होती है जिन पर अब तक कोई करवाई नहीं हुई है” |

बिहार बोर्ड ने गुरुवार को मैट्रिक परीक्षा 2018 का रिजल्ट जारी कर दिया। इस साल 17 लाख 58 हजार 797 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें से 12 लाख 11 हजार 617 पास हुए हैं। जबकि 5 लाख 38 हजार 825 फेल हो गए। सफलता का प्रतिशत 68.89 रहा। पिछले साल 50.12 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए थे।  इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण परीक्षा के पैटर्न में बदलाव को माना जा रहा है। पहली बार मैट्रिक परीक्षा में 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए थे। इसे कई लोग बोर्ड के परिणाम बेहतर करने की तरकीब के रूप में देख रहें है |

 

इस भी पढ़े : बिहार: सुशासन बाबू के राज में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल

सरकार और बोर्ड ने इस बार परिणाम घोषणा से पूर्व बिहार के टॉपरों की स्क्रूटिनी का निर्णय किया परन्तु उन में से 12 उत्तरपुस्तिकाएं  गायब मिली थी इस पर भी  कोई साफ उत्तर नही दिया कि बिना उत्तरपुस्तिकाओ के उनकी स्क्रूटिनी कैसे हुई ?

 

28 जून से 5 जुलाई तक छात्र  स्क्रूटिनी के लिए करें आवेदन कर सकते हैं
रिजल्ट से असंतुष्ट छात्र स्क्रूटिनी के लिए 28 जून से 5 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। बोर्ड अध्यक्ष ने कल अपनी प्रेसवार्ता में बताया कि वैसे परीक्षार्थी जो एक विषय अथवा दो विषय में अनुत्तीर्ण हुए हों, उन्हें कंपार्टमेंटल परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए 28 जून, से 05 जुलाई के बीच ऑनलाइन फार्म भरने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। कंपार्टमेंटल परीक्षा की तारीख भी जल्द ही घोषित होगी।

लेकिन इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया कि जिन छात्रों की उत्तरपुस्तिकाएं ही गायब हो गई है ,अगर वो अपने घोषित परिणाम से असंतुष्ट हैं और वो अपने उत्तरपुस्तिका का पुन:मूल्यंकन चाहते है तो उनके लिए क्या उपाय है ? इस प्रश्न का कोई भी संतोषजनक जबाब देने में वो असफल रहे हैं | बिहार में फिर से बोर्ड परीक्षा का कबाड़ा निकल गया इस बार तो इस कबाड़े  में कबाड़ी भी शामिल है |

बिहार बोर्ड के द्बारा गुरुवार को मैट्रिक परीक्षा 2018 का रिजल्ट जारी होने के बाद बोर्ड और सरकार अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है। वजह ये है कि  पिछले वर्ष की तुलना में परिणामो में वृद्धि हुई है | जबकी इसका एक दूसरा पक्ष यह भी है कि रिजल्ट सुधार पर भी 10% परीक्षार्थियों को ही 60 या 60% से ज्यादा अंक आए हैं |

रिजल्ट ने परीक्षा बोर्ड को खुश होने का मौका प्रदान किया है। लेकिन, हकीकत यह है कि रिजल्ट में वृद्धि का बड़ा कारण परीक्षा पैटर्न में बदलाव है। वर्ष 2017 के मुकाबले इस साल रिजल्ट में सुधार है। वर्ष 2017 में 50.12, 2016 में 47.15% परीक्षार्थियों ने सफलता दर्ज की थी। वर्ष 2016 में खराब रिजल्ट के बाद बोर्ड की खूब किरकिरी हुई। इसके बाद 2017 में ग्रेस अंक देकर रिजल्ट में सुधार कराया गया। इस बार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा में भी इंटर की तर्ज पर वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को शामिल कर दिया, वह भी 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को शामिल किया गया था । इस बदलाव की पहले से अपेक्षा थी कि रिजल्ट में भारी उछाल आएगा। हालांकि बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर इसे सरकार के शैक्षणिक सुधारों व कार्यों का परिणाम बता रहे हैं। जबकि प्रथम श्रेणी से महज 10.76% परीक्षार्थी पास हुए हैं। द्वितीय श्रेणी से 37.74 और तृतीय श्रेणी से 20.30 फीसदी परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए।

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