NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार में बढ़ते अपराधः सत्ताधारी जेडीयू के मुताबिक़ सबकुछ ठीक, लेकिन आंकड़ें कुछ और बयां करते हैं
बिहार पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में जुलाई 2016 से जून 2017 की तुलना में जुलाई 2017 से जून 2018 तक संज्ञेय अपराध में 21% की वृद्धि दर्ज की गई है।
तारिक़ अनवर
27 Sep 2018
bihar crime

बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने अपराधियों से अपील किया है कि कम से कम पितृ पक्ष (23 सितंबर से 8 अक्टूबर) के दौरान अपराध न करे। मोदी के इस बयान को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह अपराधियों के सामने घुटने टेक रही है। ज्ञात हो कि पितृ पक्ष के दौरान हिंदू समाज के लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।

उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाली जनता दल (यूनाइटेड) और बीजेपी गठबंधन की सरकार ने यह कहते हुए विपक्ष पर हमला किया है कि"ग़लत मंशा से विपक्ष यह धारणा पैदा कर रहा है कि बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है।" हालांकि सरकार के आंकड़े कुछ अलग ही हैं।

बिहार पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक़, राज्य में जुलाई 2016 से जून 2017 तक घटित कुल 2,07,558 संज्ञेय अपराधों की तुलना में जुलाई 2017 से जून2018 तक संज्ञेय अपराधों में 21% (2,52,165 मामले) की वृद्धि दर्ज की गई है।

आंकड़ों के मुताबिक़ हत्या के मामले में 10% तक की वृद्धि हुई है। जहां जुलाई 2016 से जून 2017 के दौरान हत्या के मामलों की संख्या 2,674 थी वहीं जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच इसकी संख्या बढ़कर 2,933 हो गई।

रेप के मामलों में भी 21% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच रेप के मामले 1,134 थे वहीं जुलाई 2017 से जून 2018के बीच ये बढ़कर 1,373 हो गई। उधर डकैती के मामले में भी लगभग इतना ही वृद्धि देखी गई है। जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच जहां 1,401मामले थे वहीं जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच 1,694 मामले दर्ज किए गए।

वहीं फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में 26% की वृद्धि दर्ज की गई। इस तरह के मामलों की कुल संख्या जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच 38 दर्ज की गई जबकि जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच 48 तक पहुंच गई।

अपहरण के मामलों में 17% की वृद्धि दर्ज की गई। जुलाई 2016-जून 2017 के बीच जहां 8,195 अपहरण के मामले थे वहीं जुलाई 2017-जून 2018 के बीच 9,574 दर्ज किए गए।

सड़कों पर लूट के मामले में सबसे ज़्यादा 29% तक वृद्धि दर्ज की गई। जुलाई 2016-जून 2017 के दौरान सड़क पर लूट के मामलों जहां 1,105 थे वहीं जुलाई 2017 से जून 2018 के दौरान 1,423 मामले दर्ज हुए।

वहीं चोरी की घटना में 23% की वृद्धि दर्ज की गई। जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच जहां 23,863 मामले सामने आए थे वहीं जुलाई 2017 से जून2018 के बीच 29,292 मामले दर्ज किए गए।

हालांकि, नीतीश कुमार सरकार का तर्क है कि इधर-उधर "पृथक घटनाओं" का ये कतई मतलब नहीं है कि क़ानून-व्यवस्था बहुत ख़राब हो गई है। जेडी(यू)प्रवक्ता अजय आलोक ने न्यूजक्लिक से कहा "क़ानून-व्यवस्था हमारी सरकार का यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) है। यह विपक्ष की ग़लत धारणा है कि हम इसे खो रहे हैं। यह कोई मामला नहीं है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया पूरी तरह स्टोरी पेश नहीं कर रहा था। उन्होंने कहा, "कार्रवाई हो रही है, गिरफ़्तारी 24 घंटे के भीतर हो रही है और अपराधियों को पकड़ा जा रहा है। यही वह चीज़ है जिसे आप क़ानून-व्यवस्था कहते हैं। आप किसी भी राज्य में अपराध-मुक्त समाज का वादा नहीं कर सकते हैं। शासन से आपका क्या मतलब है? अगर कोई अपराध किया जाता है, तो आपको अपराधियों को पकड़ना चाहिए। और यही वह चीज़ है जो हम कर रहे हैं। लेकिन यहां मुद्दा यह है कि मीडिया अपराध को उजागर कर रहा है लेकिन दोषियों की गिरफ़्तारी, उसके स्पीडी ट्रयल आदि जैसे कार्रवाईयों को नहीं बता रहा है।"

आलोक ने पुलिस के कामकाज में "दख़ल देने" को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) पर भी आरोप लगाया है। उनके अनुसार इस तरह का हस्तक्षेप अपराधों की संख्या में वृद्धि को योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा, "एनएचआरसी और अन्य संगठनों की बढ़ते हस्तक्षेप के कारण, पुलिस बल मुठभेड़ जैसे सख़्त कदम उठाने से बचती है। यह अपराधियों को बढ़ावा दे रहा है, उन्होंने आरोप लगाया कि "अगर वे (अपराधी) पकड़े जाते हैं तो वे ज़मानत लेने में कामयाब होते हैं। पिछले एक साल में, ज़्यादातर अपराध उनके द्वारा किए गए हैं जो ज़मानत पर बाहर हैं। इसलिए, अब बिहार सरकार की नई रणनीति उन पर अपराध नियंत्रण अधिनियम लगाना है ताकि ज़मानत नहीं दी जाए। इन सभी को ध्यान में रखा जाना चाहिए"।

इस बीच, गया में 23 सितंबर को "पितृ पक्ष" कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान सुशील मोदी के दिए गए बयान को लेकर उनकी चारों तरफ आलोचना हो रही है। मोदी ने अपराधियों से अपील किया था कि "मैं सभी अपराधियों से हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि वे अगले 10 से 15 दिनों तक कम से कम कोई अपराध में शामिल न हों। बाकी दिन आप ये सब करते रहते हैं और पुलिस आपका पीछा करती है। लेकिन कम से कम 'पितृ पक्ष' के दौरान कृपया आपराधिक गतिविधियों में शामिल न हों।"

मुज़फ्फरपुर के पूर्व महापौर समीर कुमार और उनके चालक रोहित कुमार की हत्या के तुरंत बाद उनका ये विवादास्पद बयान आया। रिपोर्ट के अनुसार,अपराधियों ने एके -47 से कम से कम 16 गोलियां महापौर को मारी। वहीं उनके ड्राइवर को 12 गोली मारी गई।

मोदी के बयान के फौरन बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला कर दिया। बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा, "यह कोई चौंकाने वाला नहीं होगा कि भविष्य में सुशील मोदी के साथ-साथ नीतीश कुमार अपराधियों के पैरों पर गिरेंगे। खुलासा और दिलासा मास्टर की कुख्यात जोड़ी डर के मारे कुछ दिनों में अपराधियों के पैर भी पकड़े तो अचम्भित नहीं होना।"

तेजस्वी ने कहा; "भय का कारण यह है कि बिहार में अपराधियों के पास पुलिसकर्मियों से ज़्यादा एके -47 राइफल है। नीतीशजी की विफलता से बिहार में एके -47 एक आम हथियार बन रहा है।"

हाल ही में, पुलिस ने मुंगेर में एके -47 के खेप को भी ज़ब्त किया है।

पटना के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर जो पिछले दो दशकों से राज्य में अपराध को कवर कर रहे हैं वे भी सत्तारूढ़ पार्टी के तर्कों से सहमत नहीं थे। उन्होने न्यूज़़क्लिक से कहा, "सिस्टम ढह गई है। एसपी (पुलिस अधीक्षक) डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) की तरह बर्ताव करते हैं। वे अब इलाक़े में नहीं जाते हैं, वे सिर्फ आदेश जारी करते हैं। संगठित अपराध और संगठित गिरोहों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होती है।"

उन्होंने कहा कि पटना के डीआईजी (डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल) ने हाल ही में सिटी एसपी से छापा मारने और रुट मार्च करने को लेकर एक आदेश दिया था। उन्हें अपने साथ दोपहर का भोजन ले जाने का भी निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा, "यह मीडिया-फ्रेंडली आदेश हो सकता है, लेकिन यह अपराध को रोक नहीं सकता है। आप अपने गतिविधियों को पहले से ही प्रचारित करके अपराधियों को पकड़ नहीं सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के" विचित्र"आदेश इन दिनों प्रचलित हैं।

ज्ञानेश्वर के अनुसार, राज्य में अपराधों में वृद्धि के पीछे दूसरा महत्वपूर्ण कारण शराब पर प्रतिबंध और रेत खनन पर रोक लगाना है। उन्होंने कहा, "हालांकि शराब बेचने और इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगने से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जैसे सड़क दुर्घटनाओं में कमी, समाज में लड़ाई और घरेलू हिंसा में कमी आई है फिर भी यह बेरोज़गारी का कारण बन गया है। ऐसे सभी समाज-विरोधी लोग शराब व्यवसाय में शामिल थे और इसलिए अपराध कम था। इसके ग़ैरक़ानूनी घोषित किए जाने के बाद, उनके पास हथियार उठाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।"

यह पूछे जाने पर कि हाल के दिनों में अपराध नियंत्रण से बाहर क्यों हो गया, तो उन्होंने कहा, "राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकार के पहले 10 वर्षों में अजय कुमार और राजविंदर सिंह भट्टी जैसे पेशेवर और साहसी अधिकारी की मदद से नीतीश कुमार अपराध को रोकने और क़ानून- व्यवस्था की स्थिति में सुधार करने में कामयाब थें। सब कुछ ठीक था जब उनकी कार्रवाई सत्तारूढ़ पार्टी के हितों को प्रभावित नहीं कर रहे थे। लेकिन ईमानदार अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। जब इन दो और अन्य अधिकारियों ने सत्तारूढ़ दलों [बीजेपी और जेडी (यू)] से जुड़े कुछ नेताओं पर कार्रवाई शुरू किया, तो उन्हें डिप्युटेशन पर सेंट्रल में भेज दिया गया। राज्य के पुलिस महकमे में अब ऐसे कोई अधिकारी नहीं हैं। नतीजतन, हाल में अपराध में वृद्धि हुई है।"

Bihar
jdu
BJP
Nitish Kumar
crimes in bihar

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • BJP
    अनिल जैन
    खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं
    01 May 2022
    राजस्थान में वसुंधरा खेमा उनके चेहरे पर अगला चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके खिलाफ है। ऐसी ही खींचतान महाराष्ट्र में भी…
  • ipta
    रवि शंकर दुबे
    समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा
    01 May 2022
    देश में फैली नफ़रत और धार्मिक उन्माद के ख़िलाफ़ भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मोहब्बत बांटने निकला है। देशभर के गावों और शहरों में घूम कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
  • प्रेम कुमार
    प्रधानमंत्री जी! पहले 4 करोड़ अंडरट्रायल कैदियों को न्याय जरूरी है! 
    01 May 2022
    4 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं तो न्याय व्यवस्था की पोल खुल जाती है। हाईकोर्ट में 40 लाख दीवानी मामले और 16 लाख आपराधिक मामले जुड़कर 56 लाख हो जाते हैं जो लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की…
  • आज का कार्टून
    दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई
    01 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान की नज़र में एक मई का मतलब।
  • राज वाल्मीकि
    ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना
    01 May 2022
    “मालिक हम से दस से बारह घंटे काम लेता है। मशीन पर खड़े होकर काम करना पड़ता है। मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा है। आठ घंटे की मजदूरी के आठ-नौ हजार रुपये तनखा देता है। चार घंटे ओवर टाइम करनी पड़ती है तब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License