NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
बिहार : निजी अस्पताल ने बिल न चुकाने पर शव देने से किया मना, भाकपा माले का प्रदर्शन
सरकारों को यह सुनिधचित करना होता है कि स्वास्थ्य सेवाएँ सभी लोगों को मिलें लेकिन सरकारों की विफलता ने लोगों को निजी स्वास्थ्य प्रणाली के दैत्यों के चंगुल में धकेल दिया है। यह हालत पूरे देश की है लेकिन उसमें बिहार की हालत और भी दयनीय है।
मुकुंद झा
17 Aug 2019
Private hospital

बिहार के दरंभगा के पारस हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर हो रही डकैती, मृत हालत में पड़े रमेश पंडित के परिजनों के साथ कथित दुर्व्यवहार करने, मृत हालत में रहने के बाद भी लाखों रुपये की कथित उगाही के चलते लाश को परिजनों को नही सौंपने के ख़िलाफ़ कल यानी 16 अगस्त को भाकपा(माले) के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने अल्लपट्टी स्थित पारस हॉस्पिटल के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार, उपेंद्र पंडित आदि ने किया। प्रदर्शनकारी कर्पूरी चौक से जुटकर जुलूस की शक्ल में "इलाज के नाम पर डकैती बंद करो", "रमेश पंडित के लाश को उसके परिजनों को सौंपा क्यों नहीं?जवाब दो" "पारस हॉस्पिटल गुंडागर्दी करना बंद करो" आदि नारे लगाते हुए पारस हॉस्पिटल के गेट पर आकर इकट्ठा हुए।

सभा को रमेश पंडित के पिता प्रमोद पंडित ने बताया, "डीएमसीएच से पटना रेफ़र करने के बाद जान बचाने की नीयत से पैसे की परवाह किये बग़ैर पारस हॉस्पिटल में भर्ती किया। तीन लाख से ऊपर दे देने के बाद तीन दिन पहले डॉक्टर ने उन्हें बुलाकर कहा कि एक लाख 58 हज़ार रुपये जमा करके अपने बेटे को ले जाईये अब आपका बेटा लगभग मर चुका है। उसके बाद जब किसी तरह लगभग उतने रुपये लेकर गए तो हॉस्पिटल के कैश काउंटर पर पहुंचे उस पैसे को फेंक दिया गया और पूरी राशि देने के बाद ही छोड़ने की बात कही गई।"

उपेंद्र पंडित की अध्यक्षता में आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार ने कहा, "पारस हॉस्पिटल गुंडागर्दी कर रहा है, तीन दिनों से रमेश पंडित के लाश को उसके परिजनों को नहीं दिया जा रहा है। 10 अगस्त को ही भर्ती होने के बाद से क़रीब-क़रीब लगभग 4 लाख रुपये ले जाने के बाद भी कुछ रुपये के चलते शव ना देना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है।"

आगे उन्होंने बताया, "घर-घरारी (घर-ज़मीन) बेच कर रमेश पंडित के पिता ने क़रीब चार लाख दे दिया कि उसका बेटे की जान बच जाए। लेकिन जान बचाने के बदले हॉस्पिटल में ख़ून चूसा जा रहा है।"

प्रदर्शन के बाद लहेरियासराय इंस्पेक्टर एच.एन सिंह और सदर बीडीओ ने आकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उस आधार पर हॉस्पिटल ऑथरिटी से बात की। घंटों हो हल्ला के बाद रमेश पंडित को मृत हालत में परिजनों को सौंपा गया।

माकपा(माले) ने रमेश पंडित के पूरे इलाज व बिल की सम्पूर्ण जांच सिविल सर्जन के स्तर पर करने की मांग की है।

ये घटना बिहार की ख़स्ता स्वाथ्य सेवाओं के हालात बयान करती है। 55वर्षीय राजकुमार जो बिहार के दरभंगा ज़िले के हैं, वो अपने पिता को लेकर दिल्ली के एम्स में बीते 6 महीने से इलाज करवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया, "बिहार में इलाज के नाम पर पैसों की उगाही होती है। दरभंगा जिसकी आबादी लाखों लाख है वहां केवल एक अस्पताल डीएमसीएच है, उसमें न तो पूरे डॉक्टर हैं न ही दवाई है। मरीज़ों का इलाज भगवान भरोसे ही रहता है।"

सरकारी अस्पतालों स्वास्थ्य सेवा की मूलभूत सुविधा भी नहीं है। सरकारों को यह सुनिधचित करना होता है कि स्वास्थ्य सेवाएँ सभी लोगों को मिलें लेकिन सरकारों की विफलता ने लोगों को निजी स्वास्थ्य प्रणाली के दैत्यों के चंगुल में धकेल दिया है। यह हालत पूरे देश की है लेकिन उसमें बिहार की हालत और भी दयनीय है।

सांख्यिकी इण्डिया 2018 में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सरकारी अस्पतालों की कुल संख्या 14,379 है। ये संख्या 31 दिसंबर, 2014 से 31 दिसंबर, 2017 अवधि की है।

सांख्यिकीय एल्बम में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, देश भर के 14,379 सरकारी अस्पतालों में, बेड की कुल संख्या 6,34,879 है। इसी संदर्भ अवधि के लिए, सरकारी एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 1,13,328 है।

table 1.PNGअनुमानित जनसंख्या को तकनीकी समूह की रिपोर्ट से लिया गया है जनसंख्या अनुमान मई 2006, राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग,भारत के रजिस्ट्रार जनरल

देश भर के 29 राज्यों और 14 केंद्र शासित प्रदेशों में से 14 में, प्रति सरकारी अस्पताल के बिस्तर की आबादी औसत से अधिक है। बिहार में स्थिति सबसे ख़राब है  जहां 8645.31 लोगों पर एक बिस्तर है, जो देश भर में औसत से 377.69% से काफ़ी अधिक है। बिहार के बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड का स्थान है।

table 2.PNG

डॉक्टरों की उपलब्धता का भी यही हाल है। जबकि कुछ राज्यों के लिए औसतन प्रत्येक चिकित्सक द्वारा सेवा की जा रही लोगों की संख्या देश की औसत से बेहतर है। 29 में से 15 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में, प्रति सरकारी एलोपैथिक डॉक्टर की आबादी देश के औसत से अधिक है। लेकिन बिहार फिर से सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वालों में टॉप पर है, इसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश हैं। बिहार में, एक सरकारी एलोपैथिक डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली जनसंख्या29057.05 है, जो देश भर में औसत से 219.8% अधिक है।

table 3.PNG

ये औसत एक डॉक्टर पर कितनी जनसंख्या का भार है, उससे दिखता है कि देश की स्वाथ्य सेवा क्षेत्र के हालात कितने गंभीर हैं। जहाँ देश का असौत प्रति डॉक्टर पर 9085.9 जनसंख्या का भार है लेकिन बिहार का यह असौत 29,057.05 है। वहीं सरकारी अस्पताल में एक सरकारी अस्पताल के बेड पर 1809.8 की जनसंख्या का भार है, वहीं बिहार में यह संख्या बढ़कर 8645.3 हो जाती है।

ये आंकड़े यह बताने के लिए काफ़ी हैं कि बिहार में सार्वजानिक स्वास्थ्य सेवा ख़ुद आईसीयू में है।

government hospitals
Public-funded Healthcare
Indian Healthcare System
IMA
National Health Profile
Health Ministry
WHO
National Health Mission
Bihar
cpml
Bihar government

Related Stories

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

बिहारः पिछले साल क़हर मचा चुके रोटावायरस के वैक्सीनेशन की रफ़्तार काफ़ी धीमी

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

WHO की कोविड-19 मृत्यु दर पर भारत की आपत्तियां, कितनी तार्किक हैं? 

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

शर्मनाक : दिव्यांग मरीज़ को एंबुलेंस न मिलने पर ठेले पर पहुंचाया गया अस्पताल, फिर उसी ठेले पर शव घर लाए परिजन


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License