NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
बिहार : रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ छात्र–युवा रेल पटरियों पर!
25 अक्टूबर को मोदी सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण और उनके द्वारा नौकरियों में की जा रही कटौतियों के ख़िलाफ़ बिहार के सासाराम समेत प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर छात्र–युवाओं ने रेल की पटरियों पर प्रदर्शन किया।
अनिल अंशुमन
30 Oct 2019
रेलवे के निजीकरण

अमूमन छात्र–युवा समुदाय जब भी अपने सवालों को लेकर सड़कों पर उतरते हैं तो आम समाज के लोग समझते हैं कि ये उनका अपना ही कोई मसला होगा। लेकिन 25 अक्टूबर को मोदी सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण और उनके द्वारा नौकरियों में की जा रही कटौतियों के ख़िलाफ़ बिहार के सासाराम समेत प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर छात्र–युवाओं ने रेल की पटरियों पर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल सभी पढ़ने लिखने वाले और प्रतियोगिताओं की तैयारी करने वाले वे छात्र और परीक्षार्थी थे, जो अपनी नौकरी पाने के सुनहरे भविष्य पर सरकार द्वारा खुलेआम डाका डाले जाने की सुनियोजित हरकत से आक्रोशित थे। ये विरोध प्रदर्शन उस वक़्त हुआ जबकि देश के अन्य हिस्सों के छात्र–युवा इस गंभीर मसले पर या तो सिर्फ़ अंदर ही अंदर सुलग रहें हैं अथवा सत्ता भक्ति में मदहोश हैं।

'गोदी मीडिया' द्वारा ख़बर को बहुत तवज्जो नहीं दिये जाने के बावजूद कई अन्य सूत्रों से प्रसारित ख़बरों के अनुसार 25 अक्टूबर के दिन 11 बजे सहसा सैकड़ों छात्र–युवाओं के हुजूम ने वर्तमान मोदी सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण और उसकी नौकरियों में कटौती किए जाने के विरोध में सासाराम रेलवे स्टेशन पर इकट्ठे होकर रेल पटरी को जाम कर दिया। ‘रेलवे का निजीकरण बंद करो’, 'रेलवे जनता की है, रेलवे को बेचना बंद करो!’ जैसे नारे लगाते हुए ऐलानिया स्वर में मोदी सरकार से रेलवे को निजी कंपनियों के हवाले करने के फ़ैसले को फ़ौरन वापस लेने की मांग कर रहे थे।

छात्र आंदोलन 2.jpg

ग़ौरतलब है कि ये सभी छात्र–युवा न तो किसी राजनीतिक दल विशेष अथवा नेता के बुलावे पर पहुंचे थे और ना ही किसी के बहकावे पर इकट्ठा हुए थे। सोशल मीडिया से वायरल तथा कुछेक अख़बारों के स्थानीय एडिशन में छपी इस ख़बर में न तो कोई बैनर दिखा और न ही कोई नेता। मेनस्ट्रीम मीडिया ने छात्र–युवाओं के इस आक्रोश प्रदर्शन को महज़ एक अराजक कार्रवाई के रूप में ही चित्रित कर दिखाया कि किस प्रकार से उत्पाती छात्रों की अराजक भीड़ ने रेल पटरी पर उतर कर ट्रैक जाम कर गाड़ियाँ रोक दीं। सासाराम स्टेशन पर ऐसी तोड़फोड़ मचाई कि वहाँ के रेलकर्मी और यात्री डर से भाग खड़े हुए। हालांकि एक वीडियो में कुछ छात्रों को स्टेशन पर तोड़फोड़ करते हुए दिख भी रहे थे। वहीं एक आक्रोशित छात्र को यह भी कहते हुए देखा गया कि "एक ओर हमारी नौकरियों को छीना जा रहा है तो दूसरी ओर, पूरे देश में हिन्दू मुसलमान किया जा रहा है।" मौक़े पर पहुंची पुलिस ने लाठीचार्ज–आँसू गैस के गोले दागे तो जवाबी कार्रवाई में उन्होंने भी पथराव किया। 18 आंदोलनकारी छात्रों को पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने की भी सूचना है।

बिहार के सासाराम के अलावा छात्रों का विरोध प्रदर्शन नवादा और औरंगाबाद इत्यादि जगहों पर भी हुआ है। सीतामढ़ी स्टेशन पर तो भारी संख्या में छात्राओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए मीडिया के सामने आक्रोश व्यक्त किया और कहा, "हमारे साथ-साथ, भारी आर्थिक मुसीबतों का सामना करके भी हमें पढ़ा–लिखा रहे हमारे पिता-अभिभावकों के साथ भी अन्याय किया जा रहा है।" आंदोलनकारी छात्रों ने कहा है, "हम अब और चुप नहीं बैठेंगे। रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ आनेवाले दिनों में राज्य के सभी स्टेशनों पर ऐसे ही आक्रोश प्रदर्शन करके अपना विरोध तेज़ करेंगे। क्योंकि रेलवे देश के युवाओं को सबसे अधिक रोज़गार देने वाला क्षेत्र है।

इस दौरान एक ख़बर यह भी आई कि रेल मंत्री को इन घटनों की बाद यह बयान जारी कर कहना पड़ा है कि उनकी सरकार का रेलवे के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है, सोशल मीडिया में झूठी अफ़वाह फैलाई जा रही है। उन्होंने विरोध कर रहे छात्रों से अपील भी की है कि वे रेलवे बोर्ड की आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

सनद रहे कि मोदी शासन–2 द्वारा रेलवे के विकास के नाम पर लाये गए ‘100 डे एक्शन पैकेज‘ का पिछले कई महीनों से देश की अधिकांश रेल यूनियनें और रेलकर्मी लगातार तीखा विरोध कर रहें हैं। उनका साफ़ कहना है कि यह पैकेज प्रोग्राम रेलवे के निजीकरण के लिए ही लाया गया है। चंद दिनों पहले ही तेजस गाड़ी को पीपी मूड चलाये जाने के प्रकरण ने भी सरकार की असली मंशा को सामने ला ही दिया है।

इंडियन रेलवे इम्प्लॉईज़ फ़ेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडेय से रेल मंत्री के बयान के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे साफ़ झूठ बोल रहे हैं। पीपी मूड में रेलवे को चलाने का उनका घोषित फ़ैसला है जो रेलवे को निजीकरण की ओर ही धकेलेगा। इसलिए सासाराम में हुए छात्रों के विरोध विरोध प्रदर्शन को वे बिलकुल सही मानते हैं। गिरफ़्तार किए गए सभी आंदोलनकारी छात्रों की रिहाई और उनकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए जल्द ही भारतीय रेलवे के निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत केंद्रीय यूनियनों की एक विशेष टीम वहाँ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अब यह आंदोलन केवल रेल का नहीं बल्कि देश का बनता जा रहा है।

इसके अलावा भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ सासाराम में युवाओं के आंदोलन का स्वागत और सरकार की दमनात्मक कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, "सासाराम में रेल पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से आंदोलनकारियों पर कई प्रकार के फ़र्ज़ी मुक़दमे थोप दिए हैं और 18 लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है। अन्य आरोपितों की गिरफ़्तारी के लिए भी प्रशासन लगातार दमनचक्र चला रहा है। भाकपा-माले इस कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाने की मांग करती है।"

25 अक्टूबर को सासाराम में गिरफ़्तार किए गए सभी आंदोलनकारी छात्रों की रिहाई और उनके आंदोलन के समर्थन के लिए बिहार के वामपंथी छात्र–युवा संगठनों ने भी अपने कार्यक्रम की घोषणा कर दी है।

ये ख़ास तौर से सनद रहे कि सन ’74 में उभरे ऐतिहासिक देशव्यापी छात्र–युवा आंदोलन की शुरुआत इसी प्रकार से सबसे पहले बिहार से ही हुई थी। जिसने तत्कालीन सरकार तक को बेदख़ल करने में अहम भूमिका निभाई थी।

उसी दौर में जनमानस के चहेते शायर दुष्यंत कुमार ने लिखा था:

पक गयी है आदतें बातों से सर होगी नहीं,

कोई हंगामा करो ऐसे गुजर होगी नहीं!

students protest
protest against indian railways
indian railways protest
youth protest
protest against unemployment
protests in bihar
indian railways

Related Stories

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

झारखंड: राज्य के युवा मांग रहे स्थानीय नीति और रोज़गार, सियासी दलों को वोट बैंक की दरकार

यूपी: देश के सबसे बड़े राज्य के ‘स्मार्ट युवा’ सड़कों पर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

देहरादून: प्रधानमंत्री के स्वागत में, आमरण अनशन पर बैठे बेरोज़गारों को पुलिस ने जबरन उठाया

युवाओं ने दिल्ली सरकार पर बोला हल्ला, पूछा- 'कहां है हमारा रोज़गार?'

हरियाणा: आए दिन सामने आ रहे पेपर लीक घोटाले सरकार पर सवाल क्यों खड़े करते हैं?

कोविड सेवा जारी रखते हुए रेलवे कर्मचारियों ने किया देशभर में विरोध प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License