NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बीजेपी जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव में क्या संयोग से 'विजेता’ बन कर उभरेगी?
राज्य में ज़्यादातर लोग इन चुनावों को "निरर्थक" बता रहे हैं, दूसरी तरफ आतंकवादियों के खतरे, निरंतर हत्याओं और पीडीपी, एनसी की तरफ से चुनाव के बहिष्कार ने चुनावी दंगल को खुला छोड़ दिया है।
सागरिका किस्सू, सुहैल भट्ट
06 Oct 2018
J&K civic polls

जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकाय चुनाव में शामिल होकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) घाटी की ज़मीनी राजनीति में मज़बूत पकड़ बनाने की कोशिश में कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन ज़मीन पर लोगों का मिज़ाज अलग ही कहानी बयां करता है। हालांकि, राज्य के दो प्रमुख दल पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) द्वारा चुनावों का बहिष्कार करने और अस्थिर क्षेत्रों में कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों को मैदान में न उतारने से बीजेपी की जीत के साथ ये चुनाव समाप्त हो सकता है।

स्थानीय निकायों के लिए चुनाव 8 अक्टूबर से शुरू होगा जो 16 अक्टूबर तक चलेगा।

बीजेपी के अलावा केवल कांग्रेस और सज्जाद लोन की पीपल कांफ्रेंस इस चुनावी मैदान में है, जिससे बीजेपी को बिना किसी प्रतिस्पर्धा के विजेता होने का यक़ीन हो रहा है। पार्टी ने पहले ही आतंकवाद से ग्रसित दक्षिण कश्मीर में दो नगरपालिका समितियों को निर्विरोध जीत लिया है और बिना किसी प्रचार के मामूली राजनीतिक मौजूदगी के साथ सात नगर पालिकाओं में लीड कर रही है। राज्य की स्थिति चुनाव के लिए "अनुकूल" न होने का हवाला देकर पीडीपी और एनसी इस मतदान का बहिष्कार कर रही है।

यह ध्यान देने योग्य है कि नगरपालिका और पंचायत दोनों ही चुनाव लंबे समय बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे हैंI यह चुनाव 13 वर्षों के बाद करवाया जा रहा है।

हालांकि, इलाक़े में बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि होने वाले चुनावों में मतदान करने से उनकी स्थिति में सुधार नहीं होगा। श्रीनगर के निवासी वसीम अहमद ने कहा कि, "यह बीजेपी का किया गया ड्रामा है। वह कश्मीर की राजनीति में प्रवेश करना चाहती है और अगले विधानसभा चुनावों के लिए ज़मीन तैयार कर रही है। इसके अलावा, ये चुनाव कश्मीर की राजधानी में आतंकवाद और हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा देंगे, जहां तुलनात्मक तौर पर पिछले पांच वर्षों से कम आतंकवाद की घटनाएं हुई है।"

जो लोग इस चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के इच्छुक नहीं हैं वे अपने फैसले के लिए विभिन्न कारणों का हवाला देते हैं। 60 किलोमीटर दूर आतंकवाद से ग्रसित शॉपिया ज़िले में लोग इन चुनावों को "ढकोसला" और बीजेपी द्वारा "ज़मीनी सच्चाई" को छिपाने का प्रयास बता रहे हैं।दक्षिण कश्मीर के शॉपिया ज़िले के निवासी अब्दुल बसित वानी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "कोई भी इस चुनाव में अपना वोट डालने वाला नहीं है क्योंकि ये कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हैं। इन चुनावों से, बीजेपी केवल अपनी सर्वोच्चता दिखाना चाहती है। वह इन प्रतिकूल स्थितियों में चुनाव करवाने का दावा कर अपने देश के लोगों को धोखा देना चाहती है। वरना, प्रतिद्वंद्वी के बिना चुनाव जीतने का मतलब ही क्या है?"

कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के चुनावों ने जम्मू-कश्मीर में "अपने मायने खो दिये हैं" क्योंकि यह लोगों के दुःख में इज़ाफा करता है, उन्हें और अधिक क्षुब्ध करता है। अनंतनाग के गुलाम मोहिदीन ने कहा कि, "ये चुनाव विकास ला सकते हैं लेकिन लोग इन्हें सरकार के साथ लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। इसके अलावा, प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस चुनाव का बहिष्कार किया है। यह सिर्फ औपचारिकता है और कुछ भी नहीं।"

कुलगम निवासी शौकत अहमद ने न्यूज़़क्लिक को बताया कि लोगों और सरकार के बीच अविश्वास की गहरी धारणा थी।" लोग इन चुनावों से नाखुश हैं और मुझे लगता है कि वे अब राज्य सरकार या केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं करते हैं। इसके अलावा, आतंकवादियों के खतरे भी हैं।"

यहां के कुछ लोगों ने हाल में हुई हत्याओं के साथ-साथ आतंकवादियों के खतरों के कारण इस पूरी चुनावी प्रक्रिया को "निरर्थक" बताया। उत्तरी कश्मीर में लोगों ने कहा कि ये चुनाव "नकारात्मक" परिणाम हासिल करेंगे। बारामुल्ला निवासी फैसल अहमद ने न्यूज़़क्लिक को बताया कि, "हम उम्मीदवारों और परिणामों में कम दिलचस्पी रखते हैं। हालांकि, हमें डर है कि ये चुनाव यहां के हालात और ख़राब कर सकता है और हिंसा को बढ़ावा दे सकता है।"

राजनीतिक विश्लोषकों ने भी इन चुनावों को "दुष्विचार" कहा है और वे महसूस करते हैं कि इससे कश्मीर में स्थिति और ख़राब हो सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञ शेख शौकत ने न्यूज़क्लिक से कहा कि, "पिछले कुछ सालों में केंद्र द्वारा उठाए गए हर कदम का विपरीत असर हुआ है और इस चुनाव का वैसा ही हाल होगा।" उन्होंने मुख्यधारा की पार्टी को अलगाववाद और युवाओं को आतंक में धकेलने के लिए केंद्र के "अहंकारी रवैये" को भी दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि, "एनसी और पीडीपी द्वारा इस चुनावों का बहिष्कार करना नहीं सुना गया था। केंद्र भ्रमित है और नहीं जानता है कि क्या करना है? इस मामले में वरिष्ठ लोग अनुभवहीन लगते हैं और अपने फैसलों के नतीजों को नहीं जानते हैं।"

स्वतंत्र उम्मीदवारों का कहना है कि ज्यादातर लोगों की तरह, उम्मीदवार भी डर गए थे। नाम न छापने की शर्त पर श्रीनगर के एक स्वतंत्र उम्मीदवार ने कहा, "निस्संदेह, पिछले कुछ सालों से सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं में वृद्धि हुई है और कश्मीर को पहली बार ऐसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ रहा है। पहले भी, इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों में चुनाव करवाए गए हैं और सरकारें बनाई गई हैं।" उन्होंने आगे कहा कि, वे चुनावी मैदान में थे क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि बीजेपी इस अवसर का इस्तेमाल कश्मीर में सत्ता हासिल करने के लिए करे।

कई स्वतंत्र उम्मीदवारों ने कहा कि उन्होंने प्रचार के लिए कोई रणनीति तैयार नहीं की है। एक उम्मीदवार ने कहा कि, "हम नहीं जानते कि लोगों से कैसे संपर्क करें, लेकिन ऐसा करने का तरीक़ा तैयार कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा कि, "अगर मुख्यधारा के राजनीतिक दल चुनाव से दूर रहते, तो हमारा मानना है कि कश्मीर से बीजेपी को दूर रखना हमारी ज़िम्मेदारी है"।

Jammu & Kashmir
Civic Polls
J&K civic polls
BJP
PDP
Kashmir Politics

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License