NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बीजेपी पीडीपी का गठबंधन टूटा ,लोगों में ख़ुशी, पर जानकारों ने कहा चिंता का समय
"मैं देख सकता हूँ कि कश्मीर में आने वाला दौर और भी दुखद होगा और भी ज़्यादा खून खराबा और हिंसा होगी । लोक सभा चुनावों में प्रचार के लिए इसे मोदी सरकार की कामयाबी की तरह दिखाया जाएगा। "
सागरिका किस्सू
21 Jun 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
BJP-PDP

19 जून को जो हुआ वह राजनीतिक  समीक्षकों  के हिसाब से होना ही था,  इस दिन भारतीय  जनता  पार्टी ने जम्मू कश्मीर   में  पीडीपी  के साथ बही गठबंधन  सरकार से अपने पैर  पीछे खींच  लिए। ये निर्णय लेने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में एक आपातकालीन बैठक बुलाई थी।  फिलहाल राज्य का शासन करने की ज़िम्मेदारी राज्यपाल एन एन वोहरा की है।  ये पिछले 10 सालों में चौथी बार हुआ है कि जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है।  
 
इस निर्णय के तुरंत  बाद ही लगातार राजनीतिक विशेषज्ञों ,राजनेताओं और आम लोगों की प्रतिक्रियाएँ आने लगीं और इसी दौरान मंगलवार दोपहर में मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने अपना  इस्तीफ़ा  दे दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और मुख्य विपक्षी नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर कहा "वह रिबन काट रहीं थी और बीजेपी उनके पैर। काश वह अपना सर उठाकर इज़्ज़त  से जातीं ! वह जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं बीजेपी-पीडीपी की नहीं। "

इस कदम ने पीडीपी को आश्चर्यचकित कर दिया। पार्टी के लोगों ने कहा है कि उन्हें इस निर्णय  के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी। वहीं दूसरी तरफ   आम लोगों में बीजेपी- पीडीपी के 3 साल तक चले गठबंधन के टूटने पर ख़ुशी की लहर दौड़ उठी , लेकिन लोगों को ये भी चिंता है कि अब आगे क्या होगा। श्रीनगर के लाल चौक पर खड़े एक स्थानीय व्यक्ति यूनुस अहमद ने कहा "पिछले तीन सालों में हालात बहुत खराब हुए हैं , कश्मीर में अब भी शांति कायम  नहीं हो पायी है | इसके साथ ही हत्याएँ भी ख़तम नहीं हुई हैं। ये खबर  कश्मीर के लोगों के लिए सुकून लेकर आयी है। अब ये राज्यपाल पर है कि वह इस परिस्थिति को किस तरह संभालते हैं।  "
 
 एक तरफ इस गठबंधन  के टूटने की ख़ुशी में स्थानीय  रेस्टोरेंटों ने डिस्काउंट दिया, वहीं दूसरी राजनीतिक समीक्षकों  ने कहा कि कश्मीर 1990  के दौर में फिर से जा  रहा है , जब अव्यवस्था का आलम था।  एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा "ऐसी अफवाहें हैं कि एक नए राज्यपाल को लाया जा रहा है। अगर ये सच हुआ तो ये बहुत ही खतरनाक बात है।  ऐसा  लग रहा है कि अब नब्बे के दौर में वापस  जाते लग रहे हैं।  आगे क्या होगा इसको लेकर हम डरे हुए हैं।" दूसरी तरह काफी सारे पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं  का कहना है कि ये 2019 के लोकसभा को ध्यान में रखकर लिया गया निर्णय है। 
 
 एक वरिष्ठ पत्रकार गौहर गिलानी ने न्यूज़क्लिक को कहा "जब मार्च 2015 में ये गठबंधन बनाया  गया तो मैंने उस  समय कहा था कि ये सिद्धांतहीन गठबंधन  है। जब मरहूम मुफ़्ती साहब ने ये गठबंधन  बनाया था तो उन्होंने खुद को बहुत ज़्यादा  आँका था और मोदी को बहुत कम। यही आज का सच है। जिस तरह की राजनीति बीजेपी ने article 370 और 35A को लेकर की है। वह कश्मीर में हमेशा से ही सेना के ज़रिये ज़ोर आज़माइश करना चाहते रहे हैं।  हमने  देखा कि दोनों पार्टियों को एक दूसरे से कितनी परेशानियाँ थीं और इसके अलावा ज़्यादा सीटें लाकर भी पीडीपी इस गठबंधन में कमज़ोर साथी की तरह ही रही । "
 
 उन्होंने आगे जोड़ा "बीजेपी ज़ोर ज़बरदस्ती की अपनी नीति को आगे बढ़ाती रही और अब उसे 2019 में दिखाने के लिए कुछ चाहिए। मोदी के पास  देश के लोगों को दिखाने  के लिए कुछ नहीं है, इसीलिए कश्मीर को एक प्रयोगशाला बनाया  जा रहा है।  बीजेपी के लिए कश्मीर एक प्रयोगशाला  है जिसमें वह प्रयोग करती है। इस बार ये प्रयोग हिंदुत्व का है।  मुझे इस बात का ताज्जुब  है कि ये प्रयोग 3 साल 3 महीनों  तक चला और इसका नतीजा  हुआ इस गठबंधन  का टूटना। "
 
 वहीं राज्य पुलिस के प्रमुख  के एस पी वैद ने कहा कि कश्मीर में कार्यवाहियाँ जारी रहेगी। "कार्यवाहियाँ जारी रहेगीं। बीच में सीजफायर  के समय कार्यवाहियों  को रोक दिया गया था।  ये पहले भी चल रहीं थी लेकिन आने वाले दिनों में इन्हे तेज़  किया जायेगा। मुझे लगता है अब काम ज़्यादा  आसान  होगा। "
 
कश्मीर के एक मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और वकील परवेज़  इमरोज़  ने कहा "राज्पाल  शासन  कोई नयी बात नहीं है ये नब्बे के दशक में भी हुआ था। कश्मीर अब एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा  है।  हाँ हम अब नब्बे  के दौर में वापस  जा रहे हैं और कश्मीर भारत द्वारा  ही शासित रहेगा ,पर ये कोई नहीं बात नहीं है।  हाँ इससे बीजेपी को फायदा  होगा। सरकार ने हमेशा से सेना को खुले तौर पर कुछ करने की इजाज़त दी  है अब भी ऐसा ही होगा।  सेना  का खिलाफ एक भी FIR दर्ज़ नहीं की गयी है।  फर्क सिर्फ इतना  है कि अब कार्यवाहियाँ और बढ़ जाएँगी और अगर ऐसा हुआ तो इसके खिलाफ प्रतिरोध  भी बढ़ेगा। "
 
गौहर गिलानी ने आगे कहा "मैं देख सकता हूँ कि कश्मीर में आने  वाला  दौर और भी दुखद  होगा और भी ज़्यादा खून खराबा और हिंसा होगी । लोक सभा चुनावों में प्रचार के लिए इसे मोदी सरकार की कामयाबी की तरह दिखाया जाएगा। "

BJP
BJP-PDP
Jammu & Kashmir
BJP-PDP split

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License