NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
'बिन जिया जीवन' की महाभारत व्यथा...
"...माधवी, मत्स्यगंधा (सत्यवती), गांधारी, माद्री और द्रौपदी जैसे महाभारत से बाहर निकलकर पुरुषों को ललकारती, शाप देती हुई लगती हैं। ये कविताएं वस्तुपरक वृत्तांतों की तरह हैं और कहीं न कहीं हमारे वक़्त के हिन्दुस्तान के यथार्थ से उनका रिश्ता जुड़ता है।"
न्यूज़क्लिक डेस्क
15 Sep 2019
Maharbharat
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : द हिन्दू

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार का पहला कविता संग्रह 'बिन जिया जीवन ' वाणी प्रकाशन, दरियागंज, नयी दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इसमें उन्होंने अन्य कविताओं के साथ 'महाभारत व्यथा' के नाम से महाभारत की पांच प्रमुख महिला पात्रों की नए संदर्भों में कथा-व्यथा कही है।

इन कविताओं के बारे में वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल किताब की भूमिका में कहते हैं कि "कवि का राजनीतिक स्वर तब भी गूंजता है जब वे महाभारत में प्रवेश करते हैं और उसकी पांच प्रमुख महिलाओं की त्रासद जीवन-कथा से पुरुष-सत्ता की विकृत संरचनाओं और व्यवहारों को फोकस में लाते हैं : माधवी, मत्स्यगंधा (सत्यवती), गांधारी, माद्री और द्रौपदी जैसे महाभारत से बाहर निकलकर पुरुषों को ललकारती, शाप देती हुई लगती हैं। ये कविताएं वस्तुपरक वृत्तांतों की तरह हैं और कहीं न कहीं हमारे वक़्त के हिन्दुस्तान के यथार्थ से उनका रिश्ता जुड़ता है।"

हम इन्हीं पांच कविताओं को प्रत्येक रविवार एक-एक करके आपके सामने प्रस्तुत करेंगे। आज पहली कविता जो कहानी है माधवी की।

 

Cover Kuldeep.jpg

माधवी
 

स्वयंवर के पाखंड को तोड़ कर
अंत में मैंने
स्वयं का ही वरण किया
और तब मुझे लगा
कि
दूसरों की तरह ही
मैं भी जीवित हूँ

स्वयंवर छोड़कर
मैं चल पड़ी हूँ अनजान-अबूझ पथ पर
पहली बार मुझे
मुक्त पवन के झकोरे लग रहे हैं
रोम-रोम में पुलक है
मैं भी आज एक स्वत्वशालिनी
व्यक्ति हूँ
मात्र
देवों के भी स्वप्नों पर झपट्टा मारने वाली
कामिनी
भोग्या स्त्री नहीं  

वरना
मैं तो उसी दिन पाषाणवत हो गयी थी
जब पिता ययाति ने
मुझे गालव को सौंप कर कहा था
“ मेरी पुत्री अनिन्द्य सुंदरी है
इसे कोई भी राजा अपने पास रखने तो तैयार हो जाएगा
इसका शुल्क प्राप्त कर
तुम गुरु-दक्षिणा चुकाओ”

और इस तरह
मुझे बलि किया गया
पुरुषों की प्रतिज्ञा के यूप पर
मेरे अपने ही पिता ने
जिसकी ख्याति एक प्रतापी राजा की थी
अपना वचन रखने के लिए
मुझे वेश्या बना डाला
जिसे कोई भी पुरुष शुल्क देकर
भोग सकता था

मैंने देखा
गुरु-शिष्य परम्परा का
असली घिनौना चेहरा
जब अंत में
गालव मुझे
अपने गुरु विश्वामित्र के पास ले गया
क्योंकि अभी भी दो सौ श्वेत श्यामकर्णी अश्व कम पड़ रहे थे
आज भी भूली नहीं हूँ
उस ऋषि कहे जाने वाले वृद्ध की कामुक दृष्टि
जब उसने गालव से कहा
“ऐसी सुंदरी को तुम पहले ही मेरे पास ले आते
तो मैं तुम्हारी पूरी गुरु-दक्षिणा चुकी हुई मान लेता”

इसके पहले मुझसे
हयर्श्व, दिवोदास और उशीनर
इन तीन राजाओं ने दो सौ श्वेत श्यामकर्णी अश्व का शुल्क
चुकाकर
पुत्र उत्पन्न किए

और यही
विश्वामित्र ने भी किया

इस सबके बाद भी
मेरे पिता मेरा स्वयंवर रचाने का ढोंग और दु:साहस करेंगे
मुझे विश्वास नहीं था

लेकिन अपनी झूठी शान के लिए जीने वाले
और अन्य सभी की उसके लिए बलि देने वाले
मेरे प्रतापी पिता ने
वह भी किया

पर्वत जैसे शरीर
और शिला जैसे हृदय को ढोने वाली मैं
कैसे किसी पुरुष की आँखों में आँखें डाल कर
उसकी ग्रीवा में वरमाला डाल सकती थी?
यदि डाल भी देती
तो क्या अपने आप से कभी
आँखे मिला सकती थी?
ऐसे जीवन के बाद
क्या किसी को भी दे सकती थी मैं
एक निष्ठावान पत्नी का प्यार?

इसलिए मैंने तपोवन को ही
अपना वर चुना
अब मेरे सामने है
एकाकी पथ
एक अंतहीन यात्रा
एक गरिमापूरित जीवन
जहाँ केवल मैं हूँ
और मेरा स्वत्व है

इन पुरुषों के पाखंड की यहाँ
छाया भी नहीं  
...    

hindi poetry
hindi poet
Hindi fiction writer
mahabharat
हिंदी काव्य
हिंदी साहित्य
Gender Equality
gender justice
Women Rights
gender violence

Related Stories

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’

गणेश शंकर विद्यार्थी : वह क़लम अब खो गया है… छिन गया, गिरवी पड़ा है

अदम गोंडवी : “धरती की सतह पर” खड़े होकर “समय से मुठभेड़” करने वाला शायर

हमें यह शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है : भगत सिंह की पसंदीदा शायरी

इतवार की कविता: अपने जगे एहसास को पत्थर नहीं बना सकतीं अफ़ग़ान औरतें

विशेष: ...मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

इतवार की कविता : तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?

राही मासूम रज़ा : साझा भारतीय संस्कृति के भाष्यकार

एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है...


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License