NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
बजट से निराश हैं महिला और मज़दूर संगठन 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भले ही महिलाओं और मजदूरों के मुद्दे पर अपने बजट में चर्चा की लेकिन महिलाओं और मजदूरों से जुड़े संगठनों ने बजट पर निराशा ही जाहिर की है। 
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
06 Jul 2019
फाइल फोटो
फोटो साभार: thebetterindia

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण ने बजट 2019-20 पेश किया। अपने पहले बजट में उन्होंने महिलाओं के लिए विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने 'नारी तू नारायणी' को सरकार का नया नारा बताते हुए महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूती देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। हालांकि अतिरिक्त टैक्स में कामकाजी महिलाओं को कोई राहत नहीं दी गई है।

महिलाओं को क्या दिया वित्त मंत्री ने?

वित्तमंत्री ने महिलाओं के लिए 'नारी तू नारायणी' का नारा देकर घोषणाओं को ऐलान किया। महिलाओं की महत्ता बताने के लिए स्वामी विवेकानंद के उद्धरण का भी निर्मला सीतारमण ने जिक्र किया जिसमें समाज के लिए कहा गया है कि एक पंख के बिना कोई चिड़िया उड़ नहीं सकती। निर्मला सीतारमण ने कहा, 'ग्रामीण अर्थवस्था में महिला की भागीदारी एकदम सुनहरी कहानी है। इस सरकार ने महिलाओं की भूमिका को बढ़ाया है। महिला केंद्रित पॉलिसी के तहत महिला लीडरशिप को आगे लाने की कोशिश की जा रही है।' 

बजट में मुद्रा योजना से स्वयं सहायता समूह में शामिल प्रत्येक महिला को एक लाख रुपये तक के लोन की घोषणा की गई है। महिलाओं को जनधन खाते में 5 हजार तक के ओवरड्राफ्ट की अनुमति। स्टैंडअप इंडिया स्कीम के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को लाभ मिलेगा। 

निर्मला सीतारमण ने कहा, 'इस सरकार का मानना है कि हम अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी के साथ प्रगति कर सकते हैं। यह सरकार महिला आंत्रप्रेन्योरशिप को प्रमोट कर रही है। मुद्रा, स्टार्टअप और स्टैंडअप स्कीम के तहत प्राथमिकता दी जा रही है।' 

महिलाओं की वास्तविक समस्याओं से दूर
 
वित्त मंत्री ने भले ही महिलाओं को लेकर घोषणाएं की हैं लेकिन महिला संगठनों का कहना है कि यह बजट महिलाओं की वास्तविक समस्याओं पर बात नहीं करता है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने कहा कि चुनावों से पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे 2019-20 के मुताबिक महिलाओं की रोजगार दर में बहुत अधिक गिरावट है। यह कृषि में आए संकट के कारण बढ़ा है। लेकिन बजट में इसके लिए कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है। 

इसके अलावा इस बजट में महिलाओं के लिए चलने वाली योजनाओं का आवंटन भी घटा दिया गया है। 2018-19 में जहां यह कुल जीडीपी का 0.66 प्रतिशत था, वहीं 2019-20 के बजट में यह राशि 0.64 प्रतिशत कर दी गई है। इसी तरह महिला और बाल विकास मंत्रालय के लिए आवंटित राशि 5.1 प्रतिशत से घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दी गई है। 

इसी तरह सरकार महिलाओं की सुरक्षा की बात तो करती है लेकिन निर्भया फंड में कटौती कर दिया गया है। इसके अलावा नेशनल मिशन फॉर इमपावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आफ विमेन का आवंटन भी 50 करोड़ रुपये घटा दिया गया है। 

मजदूरों के लिए क्या?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संकेत दिया कि मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में श्रम सुधारों पर आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं के तहत लाया जाएगा। इससे कारोबार सुगमता की स्थिति को और बेहतर किया जा सकेगा। 

पिछले पांच साल के दौरान सरकार श्रम सुधारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करती रही है लेकिन ट्रेड यूनियनें लगातार श्रम कानूनों में कुछ संशोधनों का विरोध करती रही हैं। सरकार का इरादा 44 श्रम कानूनों को चार संहिताओं... वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा और कल्याण तथा औद्योगिक संबंध में बदलने का है।

अपना पहला बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘सरकार कई श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं के सेट में बदलने का प्रस्ताव करती है। इससे पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को मानकीकृत किया जा सकेगा और तर्कसंगत बनाया जा सकेगा। विभिन्न श्रम परिभाषाओं के मानकीकरण से उम्मीद की जा सकती है कि विवादों में कमी आएगी। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसी सप्ताह वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी दी है। इसमें श्रमिकों के पारिश्रमिक से संबंधित मौजूदा कानूनों को समाहित किया जाएगा और केंद्र सरकार पूरे देश के लिए न्यूनतम वेतन तय कर सकेगी।'

मजदूर संगठनों ने जताई निराशा

ज्यादातर मजदूर संगठनों ने भी निर्मला सीतारमण के बजट से निराशा जताई है। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है,' निर्मला द्वारा पेश किया बजट कॉरपोरेट को मदद करने वाला और मजदूर विरोधी है। ईज आफ डूइंग बिजनेस के नाम पर भारी छूट, कर अवकाश, कई प्रोत्साहन, कम प्रक्रियाओं की घोषणा की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश की नीति अधिक सख्ती से जारी है और विनिवेश से 1,05,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की घोषणा की गई है।'

वक्तव्य में आगे कहा गया है,'सत्तारूढ़ गठबंधन का सतही राष्ट्रवाद वन नेशनल वन ग्रिड, वन नेशन वन टैक्स, वन नेशन वन कार्ड की जिंगिस्टिक घोषणाओं में परिलक्षित होता है। कुल मिलाकर बजट कॉर्पोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी है।'

वहीं, भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) ने भी बजट को जन विरोधी और मजदूर विरोधी बताया है। सीटू द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है, 'देश की अर्थव्यवस्था निरंतर मंदी के दौर से गुजर रही है, बेरोजगारी की दर जून 2019 में 7.4% से ऊपर पहुंच रही है, देश में कुल रोजगार स्तर को 45 साल के निचले स्तर पर धकेल दिया गया है लेकिन इन मूल समस्याओं को बजट प्रस्ताव में संबोधित करने की जहमत नहीं उठाई गई है। इसके अलावा बजट में वित्तीय क्षेत्र सहित राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विदेशी पूंजी/ कंपनियों के अधिक उदार प्रवेश की घोषणा की गई।'

वक्तव्य में कहा गया है कि निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में बिना किसी ठोस प्रावधानों के जनता के लिए भ्रामक आश्वासन और कॉरपोरेट को बोनस की घोषणा की गई है। हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ने बजट की तारीफ की है। भारतीय मजदूर संघ ने कहा, 'बजट में लेबर कोड के उल्लेख के साथ सरकार ने आश्वासन दिया है कि ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श करके और श्रमिकों की चिंताओं पर विचार करते हुए श्रम संहिता को आगे बढ़ाते हुए तालमेल की भावना प्रदर्शित की जाएगी।'

ट्रक चालकों के संगठन ने बजट से जतायी नाखुशी

ट्रक आपरेटरों के एक राष्ट्रीय संगठन ने आरोप लगाया कि बजट में डीजल पर शुल्क में वृद्धि और बैंक खाते से एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर दो प्रतिशत टीडीएस लगा कर सरकार उनके कारोबार को 'नष्ट' करने की कोशिश कर रही है। 

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटी) ने आरोप लगाया कि इस उद्योग में विदेशी कंपनियों के लिए रास्ता बनाने के लक्ष्य के साथ ये कदम उठाये गए हैं। 

एआईएमटी की कोर समिति के चेयरमैन बी एम सिंह ने कहा, 'डीजल पर उपकर में एक रुपये की वृद्धि और एक साल में एक करोड़ रुपये की निकासी पर दो प्रतिशत के टीडीएस लगाये जाने से ट्रांसपोर्ट उद्योग की दिक्कतें और बढ़ जाएंगी। ट्रांसपोर्ट उद्योग नकदी पर आधारित है और पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहा है।' सिंह ने ट्रांसपोर्टरों की चिंताओं के समाधान के लिए वित्त विधेयक में जरूरी सुधार करने का आह्वान किया।

 

Women
Labour
Union Budget 2019
union budget and 5 trillion economy
Budget 2019
Budget 2019-20
Nirmala Sitharaman
Narendra Modi Government

Related Stories

क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश

5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे

मदर्स डे: प्यार का इज़हार भी ज़रूरी है

5 साल में रोज़गार दर 46 फ़ीसदी से घटकर हुई 40 फ़ीसदी

देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक

पिछले 5 साल में भारत में 2 करोड़ महिलाएं नौकरियों से हुईं अलग- रिपोर्ट


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License