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स्वास्थ्य
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ब्राज़ील में बड़ी आबादी का राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराध का आरोप
सरकार ने इस बीमारी से लड़ने के लिए आवंटित धन का कुछ ही हिस्सा ख़र्च किया है; इस बहुत बड़े संकट को देखते हुए यह रक़म बेहद हास्यास्पद है।
विजय प्रसाद
13 Aug 2020
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झूलियाना रोड्रिग्स, ब्राज़ील के जुंडिया स्थित साओ विसेंटे अस्पताल में एक नर्स तकनीशियन के रूप में काम करती हैं। वह इन दिनों अपनी नौकरी के बारे में कहती है,"यह इस समय बहुत मुश्किल हो गया है।" 30 लाख ब्राज़ीलियाई कोविड-19 वायरस से संक्रमित हैं,और मरने वालों का आंकड़ा 100,000 को पार कर चुका है।

रॉड्रिक्स कहती हैं, "हम सहयोगियों से मिलते हैं और एक भारी ऊर्जा,बहुत ज़्यादा दबाव, किसी अड़ंगे को महसूस करते हैं।" झूलियाना रोड्रिग्स स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक ट्रेड यूनियन, सिंसाउडी कैंपिनास की उपाध्यक्ष हैं।

रॉड्रिक्स कहती हैं, "हम एक-दूसरे के साथ डर के साये में काम करते हैं।" यही वजह है कि उनके संगठन ने भी 27 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में दायर एक मुकदमे में भागीदारी की है। अफ़ीकी-ब्राजीलियाई और आदिवासी समुदायों सहित लाखों ब्राज़ीलियाई लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले पैंसठ यूनियनों और संगठनों ने फ़ैसला किया कि इस वैश्विक महामारी के प्रति उनके राष्ट्रपति, जायर बोल्सोनारो के संवेदनहीन और बेदर्द रवैये के सहारे देश के भीतर की इस महामारी को नहीं संभाला जा सकता है।

नेशनल कांग्रेस और सुप्रीम कोर्ट में की गयी पिछली शिकायतें अभी भी अटकी पड़ी हैं; ब्राज़ील के प्रोसेक्यूटर जनरल, ऑगस्टो अरास, इनमें से किसी भी गंभीर शिकायत पर सामने नहीं आये हैं। यही कारण है कि इन यूनियनों ने बोल्सोनारो पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के आरोप लगाते हुए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालाय का रुख़ किया है।

ब्राज़ील के प्रमुख अख़वार,फ़ोल्हा डी एस पाउलो देश में फैली इस अराजकता के बारे में लिखता है,"त्रासदी की मुख्य वजह जायर बोल्सोनारो ख़ुद हैं।" ये तमाम संगठन बोल्सोनारो को कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं।

एफ़्रीकी-ब्राजीलियाई, स्वदेशी स्वास्थ्य कार्यकर्ता  

बो
ल्सोनारो पर लगाये गये अभियोग में कहा गया है कि कोरोनोवायरस के प्रति उनका रवैया "तिरस्कार, उपेक्षा, और ख़ारिज करने" वाला दिखता है; इस रवैये का "विनाशकारी नतीजा सामने आया है।" बोल्सोनारो ने विज्ञान और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के प्रति जो अनादर दिखाया है, उसके चलते दो स्वास्थ्य मंत्रियों को हटना पड़ा है (लुइज हेनरिक मैंडेटा को 16 अप्रैल को हटना पड़ा; 15 मई को नेल्सन टीच को अपने पद से हटना पड़ा)।

बोल्सोनारो ने जनरल एडुआर्डो पज़ुएलो को कार्यवाहक स्वास्थ्य मंत्री बनाया, जिसकी पृष्ठभूमि किसी तरह से भी चिकित्सा से जुड़ी हुई नहीं थी; स्वास्थ्य मंत्रालय अब किसी चिकित्सा पृष्ठभूमि के बजाय एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले अधिकारियों के हाथ में है।

ब्राज़ील का यूनिफ़ाइड हेल्थ सिस्टम (SUS) पिछले पांच वर्षों से पैसों की कमी से जूझ रहा है। ब्राज़ील के पराना में लारिना स्थित बेसिक हेल्थ यूनिट और नेशनल नेटवर्क ऑफ़ पॉपुलर डॉक्टर के साथ काम कर रहे ह्यूगो बेथसैदा लेमे का कहना है कि इस कारण और ब्राज़ील की मदद करने आये क्यूबाई डॉक्टरों को बोल्सोनारो द्वारा ब्राज़ील से निकाले जाने की वजह से एक गंभीर संकट पैदा हो गया है।

"कई समुदायों की पहुंच तो उस मोर डॉक्टर्स फ़ॉर ब्राज़ील प्रोग्राम (PMMB) तक हो ही नहीं पायी है, जिस पर संक्रमण के मामलों की तत्काल देखभाल और आपातकालीन इकाइयों का भारी दबाव है, जबकि इस कार्यक्रम की सहायता बेसिक हेल्थ यूनिट्स (यूबीएस) के लिए ली जा सकती थी।"

बोल्सोनारो ने न सिर्फ़ महामारी के संक्रमण से निपटने के लिए कोई व्यावहारिक योजना बनायी है, बल्कि उन्होंने नेशनल कांग्रेस की तरफ़ से आगे बढ़ाये जाने वाले किसी एजेंडे के प्रयास को भी तबाह कर दिया है। नेशनल कांग्रेस ने राष्ट्रपति के पास दो बार हस्ताक्षर के लिए दो क़ानून भेजे- पहली बार मास्क के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने के लिए (क़ानून संख्या 14.019, 2 जुलाई, 2020) और दूसरी बार स्वदेशी क्षेत्रों और क्विलोम्बा में अफ़्रीकी-ब्राजीलियाई के बीच की संक्रमण श्रृंखला को तोड़ने के लिए विशेष प्रावधान (क़ानून संख्या 14.021, 7 जुलाई, 2020); लेकिन,बोल्सोनारो ने इन दोनों ही क़ानूनों को वीटो कर दिया।

मुकदमा दायर करने वाले यूनियनों ने अपने अभियोग में लिखा है, “इस वीटो ने महामारी के समय में लोगों को गरिमामय स्वास्थ्य उपचार तक पहुंच, पीने के पानी तक पहुंच, आपातकालीन सहायता तक पहुंच, और बुनियादी भोजन की थालियों तक की पहुंच को रोक दिया है।

सरकार ने इस बीमारी से लड़ने के लिए आवंटित धन का कुछ ही हिस्सा ख़र्च किया है; इस बहुत बड़े संकट को देखते हुए यह रक़म बेहद हास्यास्पद है।

दायर किये गये मुकदमों में मदद करने वाले वक़ीलों में से एक, जोस मारिकस ने मुझे बताया कि सरकार की नीति विशेष रूप से स्वास्थ्य कर्मचारियों, क्विलोम्बोस में अफ़्रीकी-ब्राज़ील की आबादी और आदिवासी समुदायों के साथ भेदभाव करती है।

इन तीनों समूहों में होने वाला संक्रमण और मृत्यु दर ब्राज़ील के औसत दर से कहीं ज़्यादा है, अन्य ब्राज़ीलियाइयों के मुक़ाबले इन आदिवासियों की मृत्यु दर दोगुनी है। जिन दो क़ानूनों को बोल्सोनारो ने वीटो किया था,उनमें से एक के बारे में मार्केस ने मुझे बताया कि यह क़ानून आदिवासी क्षेत्रों में पीने योग्य पानी मुहैया कराने के लिहाज से ब्राज़ील के राज्यो के लिए ज़रूरी था; उन्होंने कहा,"पानी के बिना लोग ख़ुद को संक्रमण से कैसे बचा सकते हैं? वे अपने हाथ कैसे धो सकते हैं? ”

बेमुनासिब आचरण

जून की शुरुआत में ही कायापो के प्रमुख नेता,राउनी मेटुकायर ने कहा था, "राष्ट्रपति बोल्सोनारो इस वायरस का फ़ायदा उठाना चाहते हैं; वह कह रहे हैं कि इन इंडियन को मरना ही है।” ह्यूमन राइट ऑन इंटर-अमेरिकन कमीशन और आर्गेनाईज़ेशन ऑफ़ अमेरिकन स्टेट्स,दोनों ने ब्राज़ील सरकार से यनोमामी और आईकुआन इंडियनों को इस वायरस के क़हर से बचाने का आग्रह किया है।

यूएनआई एमरिकाज़ के क्षेत्रीय सचिव, मारसियो मोनज़ाने ने मुझे इन आदिवासी समुदायों के भयानक उपचारों के ब्योरे दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इन स्वदेशी क्षेत्रों में वायरस की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक आयोग का समुचित गठन करे।

में मोंज़ेन ने कहा, इन आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ "सरकार की तरफ़ से दुर्व्यवहार किया  गया।" उस बैठक की ऐसी कोई रिकॉर्डिंग जारी नहीं की गयी है, जिसमें सरकारी अधिकारियों के अशिष्ट व्यवहार दिख सके। इस तरह की रिपोर्टों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से एक और बैठक आयोजित करने का आह्वान किया है।

बोल्सोनारो की तरफ़ से स्वदेशी क्षेत्रों में पीने योग्य पानी को सुनिश्चित करने वाले विधेयक को वीटो करने के बाद, बोल्सनारो के उप-राष्ट्रपति और पूर्व जनरल हैमिल्टन मौरो ने कहा कि उन्हें पीने के पानी की ज़रूरत ही क्या है, क्योंकि "उन्हें अपने क्षेत्र में बहने वाली नदियों से पानी की आपूर्ति तो होती ही है।" यह तो बोल्सोनारो प्रशासन की बेरहमी का स्तर है।

ब्राज़ील नहीं, द हेग के आसरे

सुप्रीम कोर्ट के जज, गिलमार मेंडेस ने बोल्सोनारो सरकार पर नरसंहार का आरोप लगाया है। यह एक गंभीर आरोप है। मेंडेस ने 21 मई को लिखा, “1988 का संविधान राष्ट्रपति को स्वास्थ्य देखभाल के प्रबंधन में किसी नरसंहार नीति को लागू करने का अधिकार नहीं देता है।" इसके बाद, 11 जुलाई को मेंडेस ने स्वास्थ्य मंत्रालय में सैन्य कर्मियों की अच्छी-ख़ासी संख्या की आलोचना की; उन्होंने कहा कि सेना "नरसंहार के साथ खुद को जोड़ रही है।"

कई वक़ीलों और सांसदों ने प्रोसेक्यूटर जनरल,ऑगस्टो अरास को इससे जुड़ी शिकायतें भेजी थी, लेकिन अरास ने किसी तरह की जांच से इनकार कर दिया। मोनज़ेन ने मुझे बताया, "यह शिकायत बोल्सोनारो के कार्यकाल के अंत तक उनके डेस्क पर ही पड़ी रहेगी।" मार्केस ने मुझे बताया कि अरास ने जो किया है, वह पूरी तरह क़ानूनी तो है, मगर यह क़ानूनी बिरादरी की सामान्य भावना के बिल्कुल ख़िलाफ़ है।

मोनज़ेन ने मुझसे कहा,"बोल्सोनारो की नीतियों के ख़िलाफ़ मामला पेश करने के लिए ब्राज़ील में कोई गुंजाइश ही नहीं बची है।" मोनज़ेन की इस बात से सहमत होते हुए मार्केस कहते हैं,"यह हमारे लिए एक दम साफ़ है कि इन कार्रवाइयों के लिए देश के भीतर मुकदमा चला पाना मुमकिन नहीं है।" यही कारण है कि इन यूनियनों को अपनी इस शिकायत को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में ले जाना पड़ा है। जब मैंने आईसीसी से पूछा कि क्या वे इस मामले को आगे बढ़ाने जा रहे हैं, तो उन्होंने सिर्फ़ इतना ही कहा कि उन्हें शिकायत मिल गयी है।

रसातल के गार पर ब्राज़ील

मुकदमे में कहा गया है कि इस महामारी के ख़तरे को लेकर बोलसनारो ने जो उपेक्षा दिखायी है,उसने "ब्राज़ील के लोगों को रसातल के कगार पर पहुंचा दिया है।"

झुलियाना रोड्रिग्स को अपनी 11 साल की बेटी को देखे हुए चार महीने हो गये हैं; पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के लिए सरकार की तरफ़ से मिलने वाले निम्न संसाधनों के साथ काम करने वाली झूलियाना जैसी नर्स अपने बच्चे को ख़तरे में नहीं डालना चाहती है। वह जानती हैं कि बोल्सोनारो ने महामारी से लड़ने के मोर्चे पर काम कर रहे स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों को यूं ही बेआसरे छोड़ दिया है। लेकिन,उन्हें यह भी मालूम है कि उनका फ़र्ज़ तो आख़िर एक फ़र्ज़ है,जिसे निभाना ज़रूरी है।

झुलियाना ने मुझसे बताया, "अगर मैं आगे काम करूंगी,तो मैं करूंगी क्या?" स्वास्थ्य पेशेवरों को जिस काम के लिए चुना जाता है,उस काम को वे प्यार, समर्पण, और लोगों की देखभाल के साथ करते हैं। जिस तरह हम पहले से ही बहु-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के साथ रहते हैं, कोविड-19 भी लंबे समय तक हमारे साथ ही रहेगा।”

झुलियाना जैसे स्वास्थ्य कर्मचारियों को काम पर होना ही चाहिए। लेकिन,उन्हें अपनी सरकार से किसी तरह का कोई समर्थन नहीं मिला है, यही वजह है कि उन्होंने अब अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है। उन्हें उम्मीद है कि कोई तो उनकी बात सुनेगा।

 
विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिट्यूट की परियोजना, ग्लोबट्रॉट्टर में राइटिंग फ़ेलो और मुख्य संवाददाता हैं। वह लेफ़्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फ़ॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। उन्होंने 20 से ज़्यादा पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें द डार्कर नेशंस एंड द पुअरर नेशंस शामिल हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक वाशिंगटन बुल्लेट्स है, जिसका परिचय ईवो मोरालेस आयमा द्वारा लिखा गया है।

यह लेख इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिट्यूट की एक परियोजना, ग्लोबेट्रॉटर द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Why a Growing Force in Brazil Is Charging That President Jair Bolsonaro Has Committed Crimes Against Humanity

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