NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय कॉपी जाँच प्रकरणः देश की शिक्षा व्यवस्था को शिक्षित करने का वक्त
विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्र ‘हिंदी साहित्य’ की कॉपी की जाँचते हुए पकड़े गए।

शारिब अहमद खान
31 Jul 2018
barakatulla

देश की शिक्षा व्यवस्था को शिक्षित करने का वक्त है क्योंकि इसकी लचर स्थिति का  अंदाज़ा आप मध्यप्रदेश के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में हुए प्रकरण से लगा सकते हैं। आरोप है कि चौथे सेमेस्टर की कॉपी दूसरे सेमेस्टर के छात्र जाँचते हुए पकड़े गए हैं। शुरूआती कार्यवाही में विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीन सदसीय कमेटी बनाकर इस मामले की जाँच करने का आदेश दिया है।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें विश्वविद्यालय के कुछ छात्र बीए कला संकाय के हिंदी साहित्य की कॉपियों की जाँच करते हुए दिख रहे थे। जो छात्र कॉपियों की जाँच कर रहा था वह इस वीडियो में खुद को कला संकाय के दूसरे सेमेस्टर का छात्र बता रहा है, हालांकि वीडियो में वह यह बताने से इंकार कर रहा है कि यह कॉपी किस शिक्षक ने उसे दी है। 

यह मामला काफी बड़ा होता दिख रहा है क्योंकि इस संकाय में बहुत से कॉलेजों की कॉपियाँ चेक होने के लिए आती हैं। विश्वविद्यालय से सम्बंधित कॉलेजों के अलावा यहाँ पर रीवा, जबलपूर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसे और भी विश्वविद्यालयों की कॉपी जाँच के लिए आती हैं। आँकड़ों के अनुसार विश्वविद्यालय से 478 कॉलेज जुड़े हुए हैं। कॉलेज और विश्वविद्यालय के सारे संकाय में तक़रीबन ढ़ाई लाख छात्र पढ़ते हैं।

भोपाल में स्थित इस विश्वविद्यालय में अनियमितता और घोटाले होना कोई नई बात नहीं हैI इससे पहले भी विश्वविद्यालय प्रशासन इस तरह की गतिविधि में शामिल रह चुका है। बीते वर्ष भी बीडीएस की कॉपी विश्वविद्यालय के छात्र जाँच करते हुए पकड़े गए थे।

इस वर्ष फरवरी में पीएचडी के रिज़ल्ट में भी अनियमितता पाई गई थी। ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय की तरफ से पीएचडी के दो नतीजे घोषित कर दिये गए थे।इसके अलावा 2011 से चल रहा छात्रवृति घोटाला भी 2014 में सामने आया था जिसके बाद कार्यवाही की गई।

मौजूदा मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनियमितता का आरोप एक अतिथि शिक्षक पर लगाया है। हालिया रिपोर्ट मिलने तक प्रशासन ने विश्वविद्यालय के परिक्षा नियंत्रक संजीव दुबे को अतिरिक्त प्रभार से हटा दिया गया है। मामले से संबधित अतिथि शिक्षक डॉ धनिराम को डिर्बाड कर दिया गया है।

परीक्षा नियंत्रक संजीव दूबे पर ही जाँच के लिए कॉपियों का आवंटन करने की ज़मीदारी थी। गौरतलब है कि कई वर्षों से इस कार्य की ज़िम्मेदारी उस पर ही थीI जाँच से इस बात का खुलासा होगा कि क्या दूबे इस तरह की अनियमितता में पहले भी शामिल रह चुका है। उस पर और भी कई कॉलेजों की ज़िम्मेदारी थी।

इस प्रकरण में न केवल वहाँ के शिक्षक ज़िम्मेदार हैं बल्कि सरकार भी बराबर की ज़िम्मेदार है। ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हाईयर एजुकेशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में उच्च शिक्षा में 2,34,000 शिक्षकों की कमी हो गई है। जहाँ 2015-16 में शिक्षकों की कुल संख्या 15 लाख 18 हज़ार थी, वहीं 2017-18 में यह घटकर 12 लाख 84 हज़ार हो गई। जहाँ छात्रों की संख्या में प्रत्येक वर्ष इज़ाफा हो रहा है वहाँ शिक्षकों की संख्या बढ़ने के बज़ाए कम होना गंभीर विषय है। पिछले वर्ष के मुकाबले उच्च शिक्षा में तक़रीबन 9 लाख छात्रों की बढ़ोत्तरी हुई है।

एसएफइाई के राज्य सचिव कुलदीप सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रकरण में काफी समय से शामिल हैं। उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय से संबधित एक गर्ल्स कॉलेज की लगभग तमाम छात्राओं को फेल कर दिया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित जाँच कमेटी से मुझे कोई उममीद नहीं है क्योंकि जाँच करने वाले प्रकरण में शामिल लोगों से मिलीभगत है।

इस प्रकरण के बाद छात्र संगठनो ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन बिना विरोध प्रदर्शन के कोई कार्य नहीं करता है। कला संकाय के इस मामले के उजागर होने के बाद विज्ञान संकाय के छात्र भी अपने रिजल्ट में अनियमितता की बात कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है, यहाँ कोई कार्य सही ढ़ंग से नहीं होता है।

Image removed.

Madhya Pradesh
Barkatulla university
Education crises
exam papers

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग


बाकी खबरें

  • जितेन्द्र कुमार
    बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!
    04 Apr 2022
    आरएसएस-बीजेपी की मौजूदा राजनीतिक तैयारी को देखकर के अखिलेश यादव को मुसलमानों के साथ-साथ दलितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी यादवों के कंधे पर डालनी चाहिए।
  • एम.ओबैद
    बिहारः बड़े-बड़े दावों के बावजूद भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम नीतीश सरकार
    04 Apr 2022
    समय-समय पर नीतीश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलेरेंस नीति की बात करती रही है, लेकिन इसके उलट राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक:  ‘रोज़गार अभियान’ कब शुरू होगा सरकार जी!
    04 Apr 2022
    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ‘स्कूल चलो अभियान’ की शुरुआत की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा की थी। लेकिन बेरोज़गारी पर कोई बात नहीं कर रहा है।…
  • जगन्नाथ कुमार यादव
    नई शिक्षा नीति, सीयूसीईटी के ख़िलाफ़ छात्र-शिक्षकों ने खोला मोर्चा 
    04 Apr 2022
    बीते शुक्रवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी ), हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफ़ा), फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP),  सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) आदि के खिलाफ दिल्ली…
  • अनिल सिन्हा
    नेहरू म्यूज़ियम का नाम बदलनाः राष्ट्र की स्मृतियों के ख़िलाफ़ संघ परिवार का युद्ध
    04 Apr 2022
    सवाल उठता है कि क्या संघ परिवार की लड़ाई सिर्फ़ नेहरू से है? गहराई से देखें तो संघ परिवार देश के इतिहास की उन तमाम स्मृतियों से लड़ रहा है जो संस्कृति या विचारधारा की विविधता तथा लोकतंत्र के पक्ष में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License