NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
ब्रुसेल्स में अल्पकालिक समझौता और सिरिज़ा
जॉन कुएली
25 Feb 2015

हालांकि अभी तक समझौते के विवरण को अन्तिम रूप नहीं दिया गया, लेकिन यह समझौता ट्रोइका द्वारा वषों से थोपे गए अवसाद और आर्थिक तंगी से कुछ हद तक राहत देगा।

ग्रीस की नयी चुनी हुयी सिरिज़ा सरकार और युरोजोन के 19 देशों के उनके लेनदार क़र्ज़ को अगले चार महीने तक आगे बढाने के मसौदे को अंतिम रूप देने के फैसलें पर पहुँच गए हैं।

“आज का यह समझौता ग्रीस सरकार को आर्थिक बढ़ोतरी और रोज़गार पैदा करने के लिए वित्तीय विस्तार की अनुमति देगा, और यह ट्रोइका द्वारा थोपी गयी आर्थिक बदहाली को कुछ हद तक कम करने में मदद करेगा। जोकि सबसे महत्तवपूर्ण मुद्दा है। क़र्ज़ का क्या होगा इसके बारे में बाद में बात की जायेगी।” – मार्क वेइबरॉट सी.इ.पी.आर। समझौते और ग्रीस पर थोपी गयी शर्त के बारे में अभी तक सार्वजनिक तौर पर कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन मार्क वेइस्ब्रोत जोकि सेंटर फॉर इकनोमिक एंड पालिसी रिसर्च के सह-निदेशक हैं,उनके अनुसार समझौते के तहत ट्रोइका को ‘काफी पीछे’ हटना पड़ा है और यह दिखाता है कि “उनका ऑसटेरिटी कार्यक्रम जोकि पूरी तरह असफल हो गया, अब राजनैतिक रूप से लागू करने की स्थिति में नहीं है।”

सी.इ.पी.आर. के शुरुवाती विश्लेषण के अनुसार, समझौता ग्रीस को वित्तीय लचीलापन प्रदान करता है, जिसकी वजह से पिछला वित्तीय दबाव कम होगा और यूरोपियन केन्द्रीय बैंक के न समर्थन मिलने की वजह से ग्रीस को युरोजोन से बाहर नहीं होना पड़ेगा। ग्रीस के अफसरों द्वारा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जोकि समझौते की शर्त से इत्तफाक रखते हैं, दर्शाती है कि अतिरिक्त कर बढाने व पेंशन में कटौती इस समझौते का हिस्सा नहीं है।

                                                                                                                                        

“यूरोपियन अफसरों ने ग्रीस सरकार के सर पर जैसे बन्दूक तानी हुयी थी, और उन्होंने इसे एकदम वापस हटा लिया – खासकर अभी के लिए,” वेइस्ब्रोत ने कहा।

यह समझौता, वे कहते हैं , “ग्रीस सरकार को कुछ हद तक वित्तीय विस्तार करने में मदद करेगा ताकि वे आर्थिक बढ़ोतरी के साथ-साथ रोज़गार पैदा कर सके, और उस नुक्सान को कम कर सके जिसे ट्रोइका ने देश पर आर्थिक तंगी के तौर पर थोपा था। यह सबसे महत्तवपूर्ण है। क़र्ज़ का क्या करना है यह बाद में सोचा जाएगा।”

द गार्जियन ने ताज़ा हालात को दर्शाने के लिए ऑफर दिया है।

इस अल्प समय के समझौते के बाद यूरो समूह के मंत्रियों ने प्रेस को सिमित बयान जारी किये।

“यह पल खुशियाँ मनाने का नहीं है,” ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वरौफकिस ने एक प्रेस सम्मलेन में कहा। “यह समझौता सही दिशा में एक छोटा सा कदम है”। इसके अतिरिक्त वरौफकिस ने कहा, “हम उन सुधारों को जिन्हें लागू करना है अपने हिसाब से उसकी स्क्रिप्ट लिखेंगे।”

हेलेना स्मिथ, एक पत्रकार के अनुसार, अन्य सिरिजा अफसरों ने भी यह इशारा किया है कि यह समझौता हमें अपने हिसाब से आर्थिक सुधार करने की अनुमति देता है। हालांकि इस प्रतिबद्धता के ख़ास बिंदु अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

यूरो समूह की तरफ से आये बयान के अनुसार, “ग्रीस सरकार सुधार के उपायों पर पहली सूचि जारी करेगी, जिसका आधार मौजूदा समझौता होगा, और इसकी समय सीमा सोमवार 23 फरवरी तक है। संस्थान इस सम्बन्ध में अपना पहलू रखेंगे कि यह समीक्षा को पूरा करने के लिए जो शुरुवाती बिंदु है वे वैद्द हैं या नहीं। इस सूची में आगे निर्दिष्ट किया जाएगा और फिर अप्रैल के आखिर में संस्थानों द्वारा इसे समझौते के रूप में स्वीकृत किया जाएगा।

“मुझे आप लोगो को रिपोर्ट करके ख़ुशी हो रही है कि आपकी मेहनत रंग लायी है”, जेरोएँ दिज्स्सेल्ब्लोएम, जोकि यूरो समूह के वित्तीय मंत्रियो के हेड हैं, ने शुक्रवार को संवाददाताओं से न्यू यॉर्क टाइम्स के हवाले से कहा। “हमने सामान धरातल तय किया है।”

समाचार के अनुसार सिरिजा और जर्मन अफसरों के बीच काफी तनावभरी वार्ता हुयी जिसमें जर्मन अफसरों ने बेलआउट के लिए ऑसटिरिटी वाले कार्यक्रम को चलाने के लिए कहा। जबकि सिरिजा सता में ऑसटिरिटी कार्यक्रम को पलटने के लिए आई है।

अगले कुछ महीन काफी महत्तवपूर्ण होंगे,” सी.इ.पी.आर के वेइस्ब्रोत ने कहा, “चूँकि आर्थिक मंदी के बाद मतदाताओं ने बड़ी ही सफलता के साथ ट्रोइका को न स्वीकार करने वाली ताकत को चुनौती देते हुए उसके खिलाफ वोट दिया और उसके बाद ग्रीस सरकार और यूरोपियन अधिकारियों के बीच यह पहला टकराव है। ट्रोइका की नीतियां पूरे यूरोप में बदनाम हैं, और यह पहली सरकार है जो इन नीतियों को बदलने के लिए पूरा दबाव बनाए हुए है।”

सौजन्य: commondreams.org

 

(अनुवाद:महेश कुमार)

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

 

 

 

ब्रुसेल्स
सिरिज़ा
यूरोपियन सेंट्रल बैंक
ग्रीस

Related Stories

ग्रीस संकट : बैंक और शेयर बाज़ार हुए एक सप्ताह के लिए बंद


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License