NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बंगाल चुनाव : मतुआ समुदाय को न कोविड-19 का डर, न चुनाव का
प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के पवित्र स्थान का दौरा किया हो, लेकिन मतुआ समुदाय ने इस बात पर चुप्पी साध रखी है कि वे किसे वोट देंगे, यह वह राज़ जो अभी तक उनके मन में ही दबा हुआ है।
शाहनवाज़ अख़्तर
12 Apr 2021
Translated by महेश कुमार
 (क्लॉकवाइज) सुब्रत बिस्वास, बरौनी मेला का उत्सव, सुधा डे और शिल्पी रॉय | श्रेय: स्नेहाशीष मिस्त्री और ईन्यूज़रूम  
 (क्लॉकवाइज) सुब्रत बिस्वास, बरौनी मेला का उत्सव, सुधा डे और शिल्पी रॉय | श्रेय: स्नेहाशीष मिस्त्री और ईन्यूज़रूम  

ठाकुरनगर: जब बांग्लादेश सरकार ने 26 मार्च के अपने 50वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था, तो पीएम के मन में स्पष्ट रूप से मतुआ समुदाय था। इसलिए उन्होंने यह तय किया कि वे ओरकंडी शहर का दौरा करेंगे जहां समुदाय के प्रतिष्ठित और पवित्र माने जाने वाले व्यक्ति हरिचंद ठाकुर का पूजनीय स्थल मौजूद है।

पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय के इलाकों में मतदान होने के एक हफ्ते पहले, उनके भीतर न तो कोविड-19 और न ही चुनाव का कोई डर देखने को मिला है। इसके बजाय, वे इस बात को लेकर अत्यंत दुखी हैं कि हरिचंद ठाकुर को समान कैसे मिले और यही वह बात है जिस के बारे में बहुमत मतुआ समुदाय सोच रहा हैं।

8 अप्रैल को, जब ईन्यूज़रूम ने ठाकुरनगर का दौरा किया, तो न्यूज़रूम को बरुनी मेला के उत्सव को मनाने के लिए ठाकुरबारी में मतुआ समुदाय से जुड़े आम लोगों की बड़ी संख्या मिली - यह मेला हरिचंद ठाकुर की जयंती समारोह का प्रतीक है। इसका आयोजन होली के 10 दिन बाद होता है, एक (डोलयात्रा) के दौरान समुदाय के लोग कामसागर तालाब में पवित्र डुबकी लगाने के लिए ठाकुरबाड़ी जाते हैं।

मतुआ समुदाय के लोग ठाकुरबारी के रास्ते में हरि बोल बोलते हुए और नृत्य करते हुए छोटे-छोटे समूहों में जा रहे थे। वे पूरी रात वहां रहे और सुबह-सुबह मानव निर्मित तालाब में डुबकी लगाई। पिछले साल, लॉकडाउन के कारण, बरौनी मेला नहीं लग सका था।

उत्तर 24 परगना जिले के निर्वाचन क्षेत्रों में, मतदान 17 अप्रैल और 22 अप्रैल को होना है, जिसमें शांतिपुर, राणाघाट उत्तर पशिम, कृष्णगंज (एससी), राणाघाट उत्तर पूर्ब (एससी), राणाघाट दक्षिण (एससी), चकदाहा, कल्याणी ( एससी), हरिंगता (एससी) और बागदा (एससी), बंगाण उत्तर (एससी), बंगाण दक्षिण (एससी), गायघाटा (एससी), स्वरूपनगर (एससी), बदुरिया, हाबरा, अशोकनगर और अमदांगा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी क्षेत्रों में मतुआ मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 

मतुआ जिनमें से अधिकांश लोग 1990 के दशक के बाद बांग्लादेश से भारत आए थे, उन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है और भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा उठाया था। इससे भगवा पार्टी को लाभ मिला, जिसने पहली बार बंगाल की 42 में से 18 सीटें जीत ली थी।

हालांकि, भारत के नागरिकता कानून (नागरिकता संशोधन अधिनियम) में संशोधन के बाद, मोदी सरकार आज तक इसके नियमों को लागू नहीं कर पाई है और ये मतुआ मतदाताओं के भीतर बड़ी परेशानी का सबब बन गया है।

समुदाय पर गर्व होना 

सुब्रत बिस्वास, जिनकी ठाकुरनगर रेलवे स्टेशन के पास रेडीमेड कपड़े की दुकान है, ने 45 मिनट से अधिक समय तक समुदाय के बारे में बात की और बताया कि कैसे मतुआ समुदाय अनुसूचित जाति (नामशूद्र) से भी बहुत अधिक उपेक्षित होने के बावजूद शिक्षा के महत्व को समझते है और आज इनकी आबादी का 75 प्रतिशत समुदाय शिक्षित है।

उन्होंने कहा, ''समुदाय के भीतर पुरुषों और महिलाओं में आपसी समानता भी है, इसलिए बेटियों को भी लड़कों की तरह ही बेहतर शिक्षा दी जाती है। हरिचंद ठाकुर हमारे समुदाय के पवित्र व्यक्ति हैं। और हम हिंदू धर्म के किसी भी त्योहार का पालन नहीं करते हैं। वास्तव में, हरिचंद ठाकुर ने मतुआ को ही अपना धर्म माना था तब जब उन्हे उनके धर्म के बारे में लिखने कहा गया था।”

मतुआ किसे वोट देंगे वे इस बात पर चुप रहना पसंद करते हैं

गौरतलब बात है कि मिस्टर बिस्वास, जिन्होंने समुदाय के बारे में काफी सारी बातें बताई, वे भी इस बात का खुलासा नहीं करना चाहते थे कि आखिर वे किसे वोट देंगे। “मैं यह नहीं बताऊंगा कि मैं किसे वोट दूंगा। मैं कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहूँगा। 

बिस्वास ही नहीं, बल्कि साठ की उम्र पार कर चुकी एक महिला जो बरुनी मेले में भाग लेने के लिए बेरहमपुर से आई थी, वे भी राजनीति के बारे में बात नहीं करना चाहती थी।

ममता सरकार के काम को कई लोग मानते हैं

“मेरी बेटी को एक साइकिल मिली है, और बेटे को 10,000 रुपये, और हमें हर महीने मुफ्त में राशन मिलता है,” ठाकुरनगर के रहने वाली शिल्पी रे ने बताया, जिनका मेले में एक स्टाल लगा है।

बिस्वास राजनीति के बारे में बात नहीं करना चाहते थे, लेकिन उन्होने बताया कि ममता सरकार ने ठाकुरनगर और मतुआ समुदाय के लिए काफी अच्छा काम किया है, “मैं कह सकता हूं कि दीदी (ममता बनर्जी) ने समुदाय और ठाकुरबारी के लिए बहुत काम किया है। ठाकुरबारी तक रेलवे लाइन लगाई, एक विश्वविद्यालय बना रही हैं, लड़कियों को साइकिल देना कुछ ऐसे काम हैं जो उन्होंने समुदाय के लिए किए हैं।”

स्नेहाशीस, एक वीडियोग्राफर, जो मतुआ समुदाय से है, 2003-2004 के बाद ठाकुरनगर का दौरा करने आया था। उन्होंने बताया, कि “यह क्षेत्र इतना विकसित हो गया है कि मैं अब इस जगह को पहचान भी नहीं पा रहा हूं कि मैंने अपना बचपन यहाँ बिताया था। उस वक़्त कोई सड़क नहीं थी, न ही बिजली थी, पीने के पानी के नलो की कोई सुविधा नहीं थी। ठाकुरबारी के आसपास का क्षेत्र भी अब काफी साफ-सुथरा है।”

ठाकुरबारी के करीब रहने वाले मिस्टर बिस्वास ने यह भी बताया कि जब तक पीआर ठाकुर की पत्नी बड़ो मां जीवित थीं, ममता बनर्जी का उनके साथ बहुत करीबी रिश्ता था। पीआर ठाकुर, एक वकील और गुरुचंद ठाकुर के पोते थे, जो महान हरिचंद ठाकुर के पुत्र थे। “बडो मा की मांगों के मद्देनजर ममता बनर्जी ने ठाकुरनगर में कई काम किए। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब वे रेल मंत्री थीं और यह काम तब तक जारी रहा जब तक कि मार्च 2020 में 100 वर्ष की आयु में बडो मा का निधन नहीं हो गया।”

लेकिन अब रोज़गार एक बड़ा मुद्दा है

हालाँकि, अब यह मुद्दा केवल विकास तक ही सीमित नहीं रह गया है, युवाओं की बेरोजगारी भी एक ज्वलंत मुद्दा है, जो मतुआ समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है।

“हम अब से पहले दीदी के पक्ष में मतदान करते रहे हैं, लेकिन इस बार जिस तरह से उन्होने  बेरोजगार युवाओं के बारे में बात की वह मुझे पसंद नहीं आई। एक रैली के दौरान, उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भी बेकार क्यों बैठे हैं। वे काम क्यों नहीं करते हैं या कोई दुकान क्यों नहीं चला लेते? वह ऐसा कैसे कह सकती है, क्या ये सब करने के लिए हमारे बच्चों ने उच्च शिक्षा हासिल की है?”, ठाकुरनगर रेलवे स्टेशन के पास एक भोजनालय चलाने वाली सुधा डे ने कहा।

एक शिक्षक, बाबूमनी देव जो मतुआ नहीं हैं ने भी दावा किया कि, “गुरुचंद ठाकुर जैसे नेताओं के तत्वावधान में चलने वाले आंदोलनों का उद्देश्य मटूओं समुदाय के बीच शिक्षा को बढ़ावा देना था। इसलिए अब समुदाय शिक्षा के मामले में मजबूत और काफी गंभीर है, समुदाय के शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में हैं, और रोजगार के अच्छे अवसरों की कमी उनके भीतर आक्रोश पैदा कर रही है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Bengal Elections: Neither Election nor Fear of COVID-19 on Minds of Matua Community

West Bengal Elections
Bengal Assembly Elections
Assembly Elections 2021
Thakurbari
Matua Community
mamata banerjee
PM Modi Visit Bangladesh
Harichand Thakur
unemployment

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी


बाकी खबरें

  • starbucks
    सोनाली कोल्हटकर
    युवा श्रमिक स्टारबक्स को कैसे लामबंद कर रहे हैं
    03 May 2022
    स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड अमेरिकी की प्रतिष्ठित कॉफी श्रृंखला हैं, जिसकी एक के बाद दूसरी शाखा में यूनियन बन रही है। कैलिफ़ोर्निया स्थित एक युवा कार्यकर्ता-संगठनकर्ता बताते हैं कि यह विजय अभियान सबसे…
  • प्रबीर पुरकायस्थ, टी के अंजलि
    कोयले की किल्लत और बिजली कटौती : संकट की असल वजह क्या है?
    03 May 2022
    मौजूदा संकट, बिजली क्षेत्र में सुधारों की बुनियादी विचारधारा का ही नतीजा है, जहां 400 गीगावाट की स्थापित बिजली क्षमता के होते हुए भी, इससे आधी शीर्ष मांग पूरी करना भी संभव नहीं हो रहा है।
  • आज का कार्टून
    मंज़र ऐसा ही ख़ुश नज़र आए...पसमंज़र की आग बुझ जाए: ईद मुबारक!
    03 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान के साथ हम सब इस ईद पर यही चाहते हैं कि मंज़र ऐसा ही ख़ुश नज़र आए...पसमंज़र की आग बुझ जाए।
  • विजय विनीत
    बनारस में हाहाकारः पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में पीने के पानी के लिए सब बेहाल
    03 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः  बनारस में पानी की आफत को देखते हुए एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने मांग की है कि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए बनारस शहर में आपातकाल घोषित किया जाए और पानी की विलासिता पर रोक लगाई जाए।…
  • अखिलेश अखिल
    ढहता लोकतंत्र : राजनीति का अपराधीकरण, लोकतंत्र में दाग़ियों को आरक्षण!
    03 May 2022
    आजादी के अमृतकाल की दुदुम्भी और शंखनाद से इतर जब राजनीति के अपराधीकरण पर हम नजर डालते हैं तो शर्म से सिर झुक जाता है। जो सदन कभी जनता के सवालों पर गूंजता था,एक से बढ़कर एक वक्ताओं के ऐतिहासिक भाषणों…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License