NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाजपा बनाम वाम मोर्चा # 2: आदिवासियों को दी गयी भूमि का रिकॉर्ड क्या कहता है?
विभिन्न राज्यों में भाजपा के शासन के रिकॉर्ड की त्रिपुरा में वाम मोर्चे के रिकॉर्ड के साथ जाँच करने की ज़रूरत है।
सुबोध वर्मा
08 Feb 2018
Translated by महेश कुमार
त्रिपुरा
Newsclick Image by Sumit Kumar

त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए, भाजपा ने अलगाववादी आदिवासी संगठन इंडिजेनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन किया है। भाजपा जनजातीय (आदिवासी) अधिकारों के प्रति अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए यह नाटक करके आदिवासी मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस तथ्य के अलावा कि आईपीएफटी जनजातियों के हितों का प्रतिनिधित्व करना तो दूर की बात है उसका इतिहास केवल एक अलग राज्य के लिए लड़ने का हिंसक इतिहास है और इसके लिए मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों के लोगों पर हमला करने का भी, भाजपा का अपना इतिहास आदिवासियों के बारे में कुछ अच्छा नहीं है उन राज्यों में जहाँ उनकी सरकारें है, आंकड़े चौकाने वाले हैंI

land to tribals

आदिवासी समुदायों के आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय वन अधिकार अधिनियम (आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006) के रूप में जाना जाता है। इस कानून में आदिवासियों को जंगल के इलाकों में भूमि के भूखंडों के लिए भूमि का खिताब (मालिकाना हक़) देना होता है, वह भूमि जिस पर वे परम्परागत तौर पर जुताई करते है या कर रहे हैं। आदिवासी स्थानीय प्राधिकारियों से आवेदन करते हैं जो उचित सावधानी बरतते हैं और फिर परिवार के लिए भूमि शीर्षक को मंजूरी देते हैं। इस अधिनियम को राज्य सरकारों द्वारा पूरी तरह कार्यान्वित किया गया है।

त्रिपुरा अन्य सभी भाजपा शासित राज्यों से काफी आगे है, आवेदनों के शेयरों के मामले में और उन आवेदनों के आधार पर तय किए गए मामलों और आवेदकों को दी गयी भूमि खिताब (मालिकाना हक़) का दर्जा दिया गया है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा सरकार एफआरए के तहत सभी आवेदकों के 63 प्रतिशत भूमि को खिताब से सम्मानित किया गया है। अन्य राज्यों जहाँ पर्याप्त जनजातीय आबादी है और भाजपा द्वारा नियंत्रित सरकारें हैं वहां भाजपा सरकारें काफी पीछे हैं। गुजरात को अक्सर प्रधान मंत्री मोदी के विकास के एक मॉडल के तौर पर प्रसिद्द किया जबकि उनकी पार्टी ने केवल 45 प्रतिशत आवेदकों को ही भूमि का खिताब प्रदान किया।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, दोनों में लंबे समय से बीजेपी की सरकारें हैं। क्रमशः केवल 44 प्रतिशत और 40 प्रतिशत आदिवासी परिवार के आवेदकों को ही भूमि के खिताब वितरित से नवाज़ा गया है। भाजपा-शासित उत्तर-पूर्व में त्रिपुरा के पड़ोसी, असम में केवल मामूली 38 प्रतिशत आवेदकों के लिए ही भूमि खिताब वितरित करने का रिकॉर्ड है।

वास्तव में, त्रिपुरा में आदिवासी परिवारों को भूमि खिताब दिया गया है उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करके अधिनियम के प्रावधानों से परे त्रिपुरा एक कदम आगे बढ़ गया है। अक्सर ऐसे आवेदक बहुत गरीब होते हैं और वे अपनी खेती की प्रथाओं में सुधार करने में असमर्थ होते हैं। यह स्थित उन्हें कर्ज की ओर ले जाती है और यहां तक कि भूमि को गिरवी भी रख देते हैं। ऐसा होने से रोकने के लिए, त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकार एकमात्र राज्य सरकार है जो देश में इस तरह के परिवारों के लिए एक आर्थिक सहायता पैकेज की पेशकश करती है। अब तक 93,349 ऐसे परिवारों को पैकेज दिया जा चुका है। त्रिपुरा राज्य सरकार ने इस योजना से अधिक सहायता पहुंचाने के लिए केंद्र से अपील की लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं दी गई।

आदिवासियों के साथ खड़ी होने की भाजपा की मुहंजोही उनकी सभी घोषणाओं की तरह ही  मामूली है। अगर वे अपने पसंदीदा राज्यों जैसे गुजरात या मध्यप्रदेश में आदिवासियों के उत्थान के बारे में गंभीर हैं, तो वे एफआरए को और अधिक उत्साह के साथ लागू कर सकते थे जो उन्होंने नहीं किया।

जाहिर है, त्रिपुरा के लोगों ने वाम मोर्चा के शासन के तहत बेहतर तरक्की की है। यह आगामी चुनावों में भी प्रतिबिंबित होगा।

त्रिपुरा चुनाव 2018
बीजेपी का झूठ
भाजपा vs वाम
त्रिपुरा सरकार
त्रिपुरा आदिवासी

Related Stories

कौन पहले पलक झपकाऐगा?

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव: 15% से ज़्यादा वोटिंग मशीनों में ख़राबी

त्रिपुरा: भाजपा की खुद की बड़ी गलतियों ने थोड़ी सी बची उम्मीद पर भी पानी फेर दिया

त्रिपुरा: वाम किले में सेंध लगाना आसान नहीं

त्रिपुरा चुनाव 2018: भाजपा के अच्छे दिनों के दावे में कितना है दम!

त्रिपुरा में भाजपा के चुनावी साझेदार, आईपीएफटी का एक संक्षिप्त इतिहास

भाजपा बनाम वाममोर्चा #1 : आंगनवाडी श्रमिकों के बारे में रिकॉर्ड क्या कहते हैं?

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाः त्रिपुरा की स्थिति गुजरात से 'चार गुना' बेहतर

त्रिपुरा और गुजरात: बच्चों के स्वस्थ्य की एक तुलना

तथ्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरे त्रिपुरा से जुड़े अमित शाह के दावे


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License