NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाजपा का 'भ्रष्टाचार' पर नहीं बल्कि 'लोगों’ पर हमला था
इन सभी सबूतों से पता चलता है कि भाजपा सरकार का हमला भ्रष्टाचार पर नहीं था। जो कुछ भी हो कुल मिलाकर ये हमला अर्थव्यवस्था और कामकाजी लोगों पर ही हुआ है।
सुबिन डेनिस
11 Nov 2017
demonetization

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा को बहुत बड़ा कदम बताया गया था और कहा गया था कि इससे काले धन का पर्दाफाश होगा जिससे भारत से भ्रष्टाचार समाप्त होगा। ये दावा अब तक निर्णायक रूप से खोखला ही प्रमाणित हुआ, इसके बावजूद भाजपा भ्रष्टाचार से लड़ाई का बखान करते नहीं थक रही है।सरकार द्वारा उठाए गए कुछ उपायों की वास्तविकता-जांच करने से भाजपा प्रवक्ताओं के बड़े दावों की पोल खुल जाएगी।

मनी लांड्रिंग आसान हो गया?

उदाहरण के लिए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को प्रकाशित एक लेख में दावा किया कि नोटबंदी "भ्रष्टाचार पर एक बड़ा हमला" था। सरकार के"साहसिक" कार्यों के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 में संशोधन किया गया है जो कानून को काले धन के खतरों से निपटने के लिए अधिक कठोर बना दिया है।

लेकिन उन्होंने इस तथ्य का उल्लेख करना सहजता से छोड़ दिया कि सरकार ने अपने पहले के उस आदेश को वापस लिया है जिसमें 50,000 से ज्यादा के रत्न तथा आभूषण के सभी सौदों को अनिवार्य रूप से वित्तीय खुफिया इकाई को जानकारी देने का जिक्र है।

23 अगस्त 2017 को जारी अधिसूचना के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होने वाले कीमती धातुओं, कीमती पत्थरों और अन्य उच्च मूल्य वाली वस्तुओं के विक्रेताओं को "प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत नामित व्यवसाय और व्यवसायों को करने वाले व्यक्तियों के रूप में अधिसूचित किया गया था।" इसने ऐसे डीलरों को उक्त अधिनियम के तहत संस्थाओं को रिपोर्ट करने वाला बनाया जिसमें निश्चित सीमाओं से ऊपर लेनदेन के बारे में संबंधित प्राधिकारी को जानकारी देने की आवश्यकता थी।

लेकिन सरकार ने 23 अगस्त को जारी किए गए अधिसूचना को वापस लेते हुए 6 अक्टूबर को एक अन्य अधिसूचना जारी की। रत्न तथा आभूषण क्षेत्र के विभिन्न संगठनों से प्राप्त विवरणों में उठाए गए बिंदुओं पर विचार करने के बाद एक अलग अधिसूचना जारी की जानी थी।

रिपोर्ट के अनुसार उक्त 50,000 रूपए की सीमा से रत्न तथा आभूषण व्यापारी की "भावनाओं को चोट पहुंचा" था और उक्त सीमा की वापसी ने जाहिर तौर पर आभूषण व्यापारी के जोश को बढ़ा दिया। आदेश रद्द किए हुए करीब एक महीना हो गया है लेकिन अब तक कोई नई सूचना जारी नहीं की गई। ये कुछ स्पष्ट सवाल खड़े करता है। गुजरात रत्न तथा आभूषण के व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है। गुजरात चुनावों से पहले कुछ प्रमुख लोगों को खुश करने के लिए ऐसा किया गया?ये सवाल बिना जवाब के ही रह गए।

लोकपाल का अंतहीन इंतजार

भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल बिल के मामले में भाजपा द्वारा वादा पूरा ने करना एक अन्य उदाहरण हैं। लोकपाल (भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल) की नियुक्ति का वादा कर भाजपा सत्ता में आई थी। मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए तीन साल बीत गए लेकिन सरकार ने लोकपाल की स्थापना के लिए संसद द्वारा अधिनियमित कानून भी लागू नहीं किया।

सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति करने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि अधिनियम में कहा गया है कि विपक्ष का नेता चयन समिति का सदस्य होगा। सरकार का तर्क है कि वर्तमान लोकसभा में कोई विपक्ष का नेता नहीं है क्योंकि विपक्ष का नेता होने के लिए किसी भी विपक्षी पार्टी के पास पर्याप्त संख्या (लोकसभा सीटों कम से कम 10%) नहीं है।

इस बीच सरकार कह रही है कि इस कठिनाई को दूर करने के लिए संशोधन पर विचार किया जा रहा है, लेकिन भाजपा को इस संशोधन को करने के लिए तीन साल पर्याप्त नहीं लग रहे हैं।

राजनीतिक दलों को कॉर्पोरेट वित्तपोषण का चुनावी बांड

केंद्रीय बजट 2017-18 में बीजेपी सरकार द्वारा पेश की गई चुनावी बांड योजना भी आगे बढ़ रही है-यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।

यह योजना उन लोगों को अनुमति देती है जो चेक या डिजिटल भुगतान के विपरीत अधिकृत बैंकों से बांड खरीद कर राजनीतिक दलों को दान करना चाहते हैं। दान देने वाला इस बांड को किसी पंजीकृत राजनीतिक दल को उपहार के रूप में दे सकता है, और पार्टी अपने बैंक खाते के जरिए बांड्स को पैसे में बदल सकती है।

इस योजना के अनुसार दान देने वाले की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी। राजनैतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के बजाय मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों को वित्तपोषण के स्रोत को जनता को बताए बिना धनी व्यक्तियों तथा कंपनियों से धन प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए एक तंत्र बनाया है। कॉरपोरेट राजनीतिक दलों को फंड कर सकते हैं जो उन नीतियों को तैयार करने का वादा करता है जो उन्हें लाभान्वित करेंगे। जबकि पार्टियां दावा कर सकती हैं कि उनकी नीतियां उनके समृद्ध दान दाताओं के बजाय लोगों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती हैं। ऐसे दावों की सच्चाई जानने के लिए आम लोगों के पास कोई साधन नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने कहा था कि चुनावी बांड को पेश करने का सरकार का प्रयास एक "प्रतिकूल" कदम है जो राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता से समझौता करेगा।

"बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अब की बार मोदी सरकार", 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नारों में से एक था लेकिन विनाशकारी नोटबंदी के प्रयोग के चलते 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और जिसने कृषि तथा अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया। नोटबंदी के बाद करीब दस लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी चली गई और आर्थिक मंदी जो पहले से ही चल रही उसे और बल दिया। भ्रष्टाचार से लड़ने का भाजपा का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ।

इन सभी सबूतों से पता चलता है कि भाजपा सरकार का हमला भ्रष्टाचार पर नहीं था। जो कुछ भी हो कुल मिलाकर ये हमला अर्थव्यवस्था और कामकाजी लोगों पर ही हुआ है।

 

demonetization
black money
BJP
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • अफ़ज़ल इमाम
    पीके से कांग्रेस की डील क्यों हुई फ़ेल?
    30 Apr 2022
    दिलचस्प बात यह है पीके से कांग्रेस की बातचीत टूटने को लेकर गोदी मीडिया में काफ़ी हायतौबा मची हुई है। यह बताने की कोशिश की जा रही है कि कांग्रेस ने पीके को अपने साथ न लेकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी है।
  • भरत डोगरा
    क्यों आर्थिक विकास योजनाओं के बजट में कटौती कर रही है केंद्र सरकार, किस पर पड़ेगा असर? 
    30 Apr 2022
    योजनाबद्ध आर्थिक विकास के बजट में कटौती जारी है क्योंकि अर्थव्यवस्था और समाज के लिए मौजूद दीर्घकालिक लक्ष्यों को अभी के लिए मुल्तवी कर दिया गया है।
  • अनिल जैन
    उमर खालिद पर क्यों आग बबूला हो रही है अदालत?
    30 Apr 2022
    अमरावती के जिस कार्यक्रम में उमर खालिद का भाषण हुआ था, वहां उनका परिचय एक इन्कलाबी और क्रांतिकारी खयालों वाले छात्र नेता के रूप में दिया गया था। उच्च अदालत ने इन दोनों शब्दों (इन्कलाबी और क्रांतिकारी…
  • सीमा शर्मा
    ‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान
    30 Apr 2022
    जलवायु वैज्ञानिकों की ओर से किये जा रहे एक ताज़े विश्लेषण में गर्मी की लहरों को जलवायु परिवर्तन से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इससे यह संकेत मिल रहा है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत में…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में लगातार तीसरे दिन कोरोना के 3 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 
    30 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,688 नए मामले सामने आए हैं | इसमें 43 फ़ीसदी से ज़्यादा यानी 1,607 मामले अकेले दिल्ली से सामने आए हैं | 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License