NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाजपा का दोहरा रवैया : डीटीसी के समर्थन का दावा, हरियाणा में रोडवेज़ कर्मियों का दमन
भाजपा दिल्ली में डीटीसी के कर्मचारी के साथ खड़े होने का दम भर रही है, लेकिन हरियाणा और राजस्थान में जहां उसकी सरकारें हैं, वहाँ वह रोडवेज कर्मचारियों के खिलाफ है और आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का दमन कर उन्हें दबाने का प्रयास कर रही है।
मुकुंद झा
23 Oct 2018
सांकेतिक तस्वीर। हरियाणा रोडवेज़ और डीटीसी की बसें।

किसी भी राज्य का सार्वजनिक परिवहन वहां की आम जनता की सुविधाओं के लिए होना चाहिए, लेकिन सरकारें इसका निजीकरण कर इसे उद्योगपतियों को बेचना चाहती हैं, देश  में अभी अलग–अलग राज्यों में कर्मचारी जैसे दिल्ली में डीटीसी के कर्मचारी, हरियाणा में रोडवेज कर्मचारी और राजस्थान में भी रोडवेज के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर संघर्षरत हैं। इन सभी राज्यों में कर्मचारियों की मांग लगभग एक जैसी है। सभी कर्मचारी निजीकरण, ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ, स्थायी नौकरी की मांग और सरकारी दमन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

यहाँ एक बात महत्वपूर्ण व दिलचस्प है कि जो पार्टी जिस राज्य में सत्ता में है वहां तो वो कर्मचारियों की मांगों से सहमत नहीं है, बल्कि कर्मचारियों के खिलाफ एक प्रकार का दमन चक्र चला रही और दूसरी तरफ जहाँ वो विपक्ष में है, वहाँ वो मजदूरों के साथ खड़ी होने का ढोंग कर रही है। इसकी बेहतरीन उदाहरण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है। भाजपा दिल्ली में डीटीसी  के कर्मचारी के साथ है। यहां वो अपना गला फाड़ के डीटीसी कर्मियों के सभी मांगों के साथ खड़े होने का दावा कर रही है, चाहे वो फिर  निजीकरण का विरोध हो या स्थायी नौकरी का सवाल हो लेकिन हरियाणा और राजस्थान में जहां उसकी सरकारें हैं, वहाँ वह रोडवेज कर्मचारियों के खिलाफ है और आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का दमन कर उन्हें दबाने का प्रयास कर रही है।

इसे भी पढ़े:- हरियाणा रोडवेज कर्मचारी क्यों है हड़ताल पर?

अभी हम देख रहे हैं कि हरियाणा में परिवहन को लेकर बड़ा संघर्ष जारी है यहाँ भाजपा की खट्टर सरकार की जन विरोधी व सार्वजनिक परिवहन को बर्बाद करने वाली नीतियों के खिलाफ 16 अक्टूबर से रोडवेज़ कर्मी हड़ताल पर हैं, लेकिन भाजपा की खट्टर सरकार उनकी मांग मानने को तैयार नहीं है बल्कि आन्दोलन कर रहे कर्मचारियों पर एस्मा लगा रही है, उन्हें जेलों में डालकर बर्खास्तगी को नोटिस पकड़ा रही है। दूसरी तरफ बीजेपी दिल्ली में डीटीसी के कर्मचारियों के आंदोलन को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर हमला कर रही है।

भाजपा दिल्ली में तो डीटीसी के निजीकरण,पक्की नौकरी की बात कर रही है परन्तु  हरियाणा और राजस्थान में वो सत्ता में बहुत ही आक्रमक तरीके से निजीकरण और अस्थायी नौकरी की नीति को लागू करने का प्रयास कर रही है।

ये रवैया भाजपा के दोहरे चरित्र और दोहरी नीति को साफ दिखा रहा है। जानकारों का कहना है कि भाजपा का डीटीसी को लेकर रोना कुछ और नहीं मगरमच्छ के आंसू हैं, क्योंकि सब जानते हैं कि अगर किसी एक पार्टी ने सार्वजनिक परिवहन को सबसे अधिक बर्बाद किया है तो भाजपा है, क्योंकि मध्य प्रदेश का ही उदाहरण लें तो वहां पिछले 15 वर्षों से भाजपा शासन में है लेकिन वहाँ आज के समय में सार्वजनिक परिवहन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। पूरे सड़क परिवहन को निजी हाथों में सौंप दिया गया है। यही कोशिश अब हरियाणा और राजस्थान में भी की जा रही है।

सोमवार को दिल्ली और हरियाणा में सार्वजनिक परिवहनकर्मियों का भारी हुजम सड़कों पर दिखा। दिल्ली में आईपी डिपो के बहार डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू) जिसके  नेतृत्व में 29 अक्टूबर को डीटीसी के कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं, उसने नमक-रोटी-मिर्च धरना दिया। डीटीसी के  कर्मचारियों ने हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों के साथ भी एकजुटता जाहिर की और खट्टर सरकार के दमन की कड़ी निंदा की।

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (ऐक्टू) के दिल्ली के महासचिव अभिषेक ने कहा कि, "विरोध के साथ, हमने आशा की थी कि हम गूंगे-बहरे प्रबंधन और सरकार के विवेक को जगा सकेंगे। हालांकि, हमारी याचिकाएं बहरे कानों तक नहीं पहुँच पाई हैं क्योंकि हमें अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।"

इस बीच बताया जा रहा है कि सरकार की वफादार कुछ यूनियन और कर्मचारी नेता डीटीसी के कर्मचारियों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहें हैं। लेकिन डीटीसी के नेताओ ने कहना है कि 29 अक्टूबर को दिल्ली के सभी बस डिपो पर कर्मचारी अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे और हड़ताल को सफल बनाएंगे।

ऐक्टू, दिल्ली राज्य के अध्यक्ष संतोष राय ने भाजपा सरकार के इस मनमाने रवैये के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा सरकार विभिन्न सेक्टरों  का निजीकरण कर रही है, हरियाणा रोडवेज भी इसका शिकार हुआ है। जिस प्रकार खट्टर सरकार ने हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की है व उनके यूनियन के दफ्तरों की सीलिंग की है ये बेहद शर्मनाक है और भाजपा सरकार के कर्मचारी और मजदूर विरोधी चरित्र को हमारे सामने लाता है।

हरियाणा में पिछले कई दिनों से चल रहा रोडवेजकर्मियों का आंदोलन सोमवार शाम और भी बड़ा जन आन्दोलन बनकर उभरा,  जब सर्व कर्मचारी संघ, बिजली निगम के कर्मचारियों और शिक्षकों इत्यादि ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए हड़ताल करने का ऐलान किया। दूसरी तरफ पुलिस एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने रोडवेज के समर्थन का ऐलान कर दिया है। 

सर्व कर्मचारी संघ ने फैसला लिया कि 24 अक्टूबर को जिलों में बैठकें की जाएंगी। 25 को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर सीएम के नाम डीएम को ज्ञापन दिया जाएगा और 26 को कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। अगर इसके बाद भी कोई हल न निकला तो सभी विभागों में कड़े और बड़े आंदोलन का फैसला किया जाएगा।

यह भी पढ़ें:-हरियाणा में ‘रोडवेज़ बचाने’ की लड़ाई तेज़, अन्य विभाग और जनसंगठन भी साथ आए

haryana roadways strike
DTC workers
DTC Strike
anti-worker policies
BJP
manohar laal khattar
haryana bus
manoj tiwari
against privatization

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License