NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाजपा ने की ‘आप’ सरकार की घेरेबंदी
आम आदमी पार्टी भाजपा को लगातार अवसर दे रही है - और वे आप सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
सुबोध वर्मा
22 Feb 2018
AAP
Newsclick Image by Sumit

दिल्ली के शीर्ष नौकरशाह पर हमले की आप के विधायकों की कथित घटना से कुछ अलग भी मामला है यानी जो आँखों के सामने है केवल वह ही बल्कि कहानी कुछ और भी है। घटना के तथ्य स्पष्ट नहीं है। अविवादित यह कि दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश सोमवार की रात मुख्यमंत्री के आवास पर एक बैठक में भाग ले रहे थे और प्रकाश और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा वहां कम से कम 11 अन्य व्यक्ति भी मौजूद थे, जिनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी के विधायक थे।

रेशमोन (एक जापान की फिल्म के प्लाट की तरह) की तरह, इसके विभिन्न संस्करणों हैं वहां हुआ क्या। प्रकाश ने कहा कि बैठक दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित विज्ञापनों के बारे में थी और उन्होंने प्रकाशन के लिए मंजूरी नहीं दी थी, जबकि एएपी ने कहा कि यह चर्चा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अवरोधों के बारे में थी, जो ‘आधार लिंक्ड’ पहचान प्रणाली के खराब होने की वजह से हुई थी। प्रकाश ने कहा कि उन्हें एक विधायक सहित उपस्थित लोगों ने हमला किया जबकि आप ने कहा कि कुछ गर्म चर्चा हुयी लेकिन कोई हमला नहीं हुआ। प्रकाश ने हमले, षड्यंत्र का आरोप दर्ज करते हुए में पुलिस के साथ एफआईआर दर्ज करा दी। आप के विधायकों ने अपनी शिकायत दायर करते हुए कहा कि प्रकाश ने उन पर जातिवादि सूचक शब्दों का प्रयोग किया।

लेकिन यह कहानी वास्तव में घटना के बारे में नहीं है, और बेशक, इसकी निष्पक्ष रूप से जांच की जानी चाहिए। क्या यह घटना वास्तव में उस बात का प्रतिनिधित्व करती है, जिसके कण एएपी सरकार के बीच मौजूद है, वह है कि 2015 में मोदी लहर के दांतों से छीन कर बड़े पैमाने पर आप ने भारी जनादेश हासिल किया और चुने गए, और भाजपा जो 2014 में केंद्र में सत्ता में आई थी और सिर्फ एक वर्ष बाद हुए विधानसभा चुनावों में दिल्ली के लोगों द्वारा दी गयी अपमानित हार को कभी भी वास्तव में पचा नहीं पायी।

चुनाव के बाद से, केजरीवाल सरकार का नेतृत्व भाजपा नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने व्यवस्थित रूप से अपनी हिरासत में लिया है। विविध माध्यमों के माध्यम से इस संघर्ष में, दिल्ली की नौकरशाही का इस्तेमाल एक पियादे के रूप में किया गया है। 2015 में, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर, नजीब जंग, जो केंद्र सरकार के प्रतिनिधि थे उनके बीच और आप सरकार के बीच संघर्ष सीधे-सीधे उभर आया था।

  • जंग ने मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन को नियुक्त किया, हालांकि केजरीवाल ने इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया था कि वह बिजली वितरण कंपनियों के करीब है। बाद में, रमेश नेगी को नियुक्त करने के आप प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया, फिर केजी ने के.के. शर्मा को मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया। फिर उसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख की नियुक्ति से जूझना पडा। केजरीवाल ने एसएस यादव का प्रस्ताव दिया लेकिन जंग ने उए खारिज कर दिया और एमएस मीना को नियुक्त किया।

  • दिसंबर 2015 में, 150 से अधिक डेनिक्स अधिकारी ओड-इवन योजना की पूर्व संध्या पर जन छुट्टी पर चले गए। केजरीवाल ने उन्हें "भाजपा की बी टीम" कहा। 2016 में भी आईएएस और डैनीक अधिकारियों ने अपमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने उन पर राजनीति खेलने का आरोप लगाया, जबकि केजरीवाल ने कहा कि नौकशाहों को आप पर निशाना साधने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

  • 2017 में, आप सरकार और नौकरशाही के बीच सम्बन्ध खराब हो गए। आप के विधायकों ने उन अफसरों को जेल भेजने के लिए कहा जिन्होंने नालों की कीचाद को साफ़ नहीं करवा पाए थे। पी.डब्लू.डी. प्रिंसिपल सचिव अश्विनी कुमार के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मुख्य सचिव कुट्टी से प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा।

  • मेट्रो भादों में वृद्धि के बाद केजरीवाल ने कुट्टी पर अआरोप लगाया कि वे भाजपा से आदेश ले रहे हैं। ‘आप’ के सर्वेसर्वा ने भी आरोप लगाय कि 90 प्रतिशत नौकरशाह काम नहीं कर रहे हैं और सारे विकास से जुड़े काम ‘सचिवालय में अटक’ कर रह गए हैं।

  • दिल्ली जब बोर्ड के सी.इ.ओ. केशव चन्द्र को भी आप का हमला इस बात के लिए झेलना पडा कि उनके द्वारा जारी 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में अनिरंतरता पायी गयी।

इसमें कोई शक नहीं कि आप का काम करने का तरीका और शायद उसके अपने हित साधने के चक्कर में उन्होंने शायद नौकरशाही पर गलत ढंग से ज्यादा ही तंज़ कश दिए। लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि नौकरशाही का शत्रुतापूर्ण गैंग आप के लिए रुकावटें डालने की कोशिश कर रहा है, भाजपा के साथ मिलकर या न मिलकर।

यह किसी भी मुख्यमंत्री के लिए एक अपूरणीय स्थिति होगी क्योंकि भारत में, जैसे यूके और अन्य जगहों में, नौकरशाहों ने असीम मेक-या-ब्रेक शक्ति का संचालन किया है। और दिल्ली में, विधायिका के साथ एक संघ राज्य क्षेत्र के रूप में अपनी विशिष्ट संवैधानिक स्थिति और राज्य की चुनी सरकार के लिए सीमित अधिकार के साथ, नौकरशाहों की यह शक्ति और भी अधिक हो जाती है।

इसलिए, जब हमला करना अप्रभावी है और यदि सत्य भी है, तो उसे उचित प्रक्रिया से दंडित किया जाना चाहिए, पिछले तीन वर्षों में दिल्ली की नौकरशाही की भूमिका भी काफी संदिग्ध रही है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के 2016 के आदेश के बाद कि दिल्ली में अंतिम शक्ति लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास है बताया, इसलिए केंद्र सरकार और उसके प्रतिनिधि एलजी के खिलाफ आप का मुख्य अभियान बेकार हो गया। लेकिन यह याद किया जाना चाहिए कि दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान खंड पीठ ने कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार से निपटने में "संवैधानिक राजनीति" का पालन करना चाहिए क्योंकि सभी लोग लोकतांत्रिक ढंग से लोगों द्वारा चुने गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने तर्क दिया कि एलजी दिल्ली का असली प्रशासक है और इसलिए एलजी और राज्य सरकार के बीच असहमति तुच्छ या काल्पनिक नहीं होनी चाहिए।

भाजपा की केंद्रीय सरकार को ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस चेतावनी को थोड़ा ध्यान से सूना है और वह नौकरशाही को अपने खेल में एएपी सरकार के खिलाफ समर्थन करती रही। आप सरकार और विधायकों द्वारा दिए गए हर अवसर पर वे राजनीती करते गए - और ऐसे कई अवसर आये हैं – जब राज्य सरकार को इनकी वजह से बाधित या प्रतिबंधित होना पडा।

मोदी सरकार के लिए केंद्र में सिर्फ एक वर्ष बाकी है, और इसके खिलाफ शिकायतों के बढ़ते ढेर के साथ, शायद भाजपा बेताब हो रही है और वह राजधानी की आप सरकार को खत्म करने की मांग कर रही है। मुनाफे के कार्यालय में 20 आम आदमी विधायकों के खिलाफ हालिया चुनाव आयोग के फैसले के बाद इन सीटों पर संभावित उप-चुनाव के उभरते अंदेशों से भाजपा के शीर्ष प्रबंधकों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। अगर ऐसा ही होता है, तो सावधानी बरतने की जरूरत है। जैसा कि नगरपालिका के चुनाव परिणामों के अनुसार पता चलता है की, आम आदमी पार्टी को ही ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है, और अगर केवल भाजपा के साथ टकराव के रूप में पेश किया जाता है तो लोगों के मुद्दों की लड़ाई बहुत पीछे छूट जायेगी।

AAP
BJP
Narendra modi
Arvind Kejriwal
Anti Corruption Bureau
AAP Govt

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • भाषा
    हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा
    02 Jun 2022
    भाजपा में शामिल होने से पहले ट्वीट किया कि वह प्रधानमंत्री के एक ‘‘सिपाही’’ के तौर पर काम करेंगे और एक ‘‘नए अध्याय’’ का आरंभ करेंगे।
  • अजय कुमार
    क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?
    02 Jun 2022
    सवाल यही उठता है कि जब देश में 90 प्रतिशत लोगों की मासिक आमदनी 25 हजार से कम है, लेबर फोर्स से देश की 54 करोड़ आबादी बाहर है, तो महंगाई के केवल इस कारण को ज्यादा तवज्जो क्यों दी जाए कि जब 'कम सामान और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 
    02 Jun 2022
    दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद केरल और महाराष्ट्र में कोरोना ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। केरल में ढ़ाई महीने और महाराष्ट्र में क़रीब साढ़े तीन महीने बाद कोरोना के एक हज़ार से ज्यादा मामले सामने…
  • एम. के. भद्रकुमार
    बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव
    02 Jun 2022
    एनआईटी ऑप-एड में अमेरिकी राष्ट्रपति के शब्दों का उदास स्वर, उनकी अड़ियल और प्रवृत्तिपूर्ण पिछली टिप्पणियों के ठीक विपरीत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    नर्मदा के पानी से कैंसर का ख़तरा, लिवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव: रिपोर्ट
    02 Jun 2022
    नर्मदा का पानी पीने से कैंसर का खतरा, घरेलू कार्यों के लिए भी अयोग्य, जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, मेधा पाटकर बोलीं- नर्मदा का शुद्धिकरण करोड़ो के फंड से नहीं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट रोकने से…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License