NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भारतीय समुद्री नाविक प्रमुख बंदरगाहों पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर
वे बेहतर मज़दूरी, अधिक नौकरियाँ, चिकित्सा सुविधाएँ, पेंशन और अन्य लाभ और निजी शिपयानों के बढ़ते एकाधिकार के अंत की माँग कर रहे हैं।
सुबोध वर्मा
26 Jun 2018
Translated by महेश कुमार
बंदरगाहों पर अनिश्चितकालीन हड़ताल

सैकड़ों समुद्री नाविकों ने 25 जून को देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों पर अपनी लम्बे समय से चली आ रही माँगों को लेकर अनिश्चितकाल भूख हड़ताल शुरू की। सीफारेर्स (या नाविक) उन जहाज़ों को चलाते हैं जो भारतीय बंदरगाहों से माल की आवाजाही करते हैं। मर्चेंट नेवी के रूप में भी इसे जाना जाता है, इस शिपिंग सिस्टम वॉल्यूम (काम का भार) का लगभग 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार को जाता है और मूल्य के अनुसार उसका इसमें 68 प्रतिशत हिस्सा है। इस रणनीतिक उद्योग में 1.5 लाख से अधिक समुद्री नाविकों को रोज़गार दिया जाता है।

फॉरवर्ड सीमेंस यूनियन ऑफ इंडिया (एफएसयूआई) द्वारा आयोजित यह भूख हड़ताल मुंबई, कोच्चि, चेन्नई, कोलकाता, अंडमान, गोवा, गुजरात, और आंध्र प्रदेश आदि के सभी बंदरगाहों में की जा रही है। समुद्र में 43 जहाजों में मौजूद नाविकों द्वारा भी भूख हड़ताल जारी है। समुद्र में जहाज़ों की संख्या जहाँ हड़ताल जारी है उसके बढ़ने की आशंका है, जैसा कि इसके सम्बन्ध में दुनिया के सभी कोनों से रिपोर्ट आ रही है।

"शिपिंग मंत्रालय केवल कई महीनों से झूठे वायदे कर रहा हैं। उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं। हमारी हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक हमारी माँग पूरी नहीं हो जाती। यह समुद्री यात्रियों के समुदाय के लिए एक जीवन और मौत का मुद्दा है।“ एफएसयूआई के महासचिव नरेश बिरवाडकर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहाI वह खुद भी भूख हड़ताल पर बैठे हैंI

बीरवाडकर ने कहा, "आने वाले दिनों में, सीमेन (नाविकों) के परिवार भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।"

भूख हड़ताल का पहला दिन अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नाविकों के दिवस के साथ शुरू हुआ, जो हर साल वैश्विक स्तर पर 25 जून को मनाया जाता है। आम तौर पर इसे बंदरगाहों में सरकारी कार्यों द्वारा चिन्हित किया जाता है लेकिन इस साल, समुद्री नाविकों ने इन समारोह का बहिष्कार किया और भूख हड़ताल के लिए चले गए।

न्यूज़क्लिक द्वारा की गयी रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री नाविकों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा उनकी मज़दूरी है। भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के समुद्री श्रम सम्मेलन के तहत सहमत हुए और 29 फरवरी 2016 को राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना में घोषित किया कि “अधिसूचना की धारा 9(5) स्पष्ट रूप से बताती है कि "सामूहिक सौदा समझौते में शामिल मज़दूरी या समुद्री नाविकों का रोज़गार समझौता समुद्री श्रम सम्मेलन में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार होगा।" 21 नवंबर 2016 को भारत के फॉरवर्ड सीमेन संघ द्वारा प्रधानमंत्री को सौंपे गए एक ज्ञापन में समुद्री नाविकों ने आग्रह किया चूँकि आईएलओ  614 डॉलर (लगभग 4,500 रुपये) मासिक मूल मज़दूरी की सिफारिश करता है। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन्हें यह मिले। 30 मई को शिपिंग मंत्रालय के महानिदेशक शिपिंग को लिखे एक पत्र में इसी तरह की माँगों को दोहराया गया था। वर्तमान में, समुद्री नाविकों को अतिरिक्त भत्ते के साथ सिर्फ 7,000 रुपये का मूल वेतन मिलता हैI इसके साथ कुछ अन्य भत्ते और अनुग्रह पर दी जाने वाली रकम भी दी जाती है जो विभिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न हो सकती है।

समुद्री नाविक के सामने एक बड़ा मुद्दा यह है कि एक बार जब वे घर के किनारे वापस आते हैं, तो वे 'छुट्टी' पर जाते हैं और तब तक फिर से उन्हें नियोजित नहीं किया जा सकता जब तक जहाज लाइन ऐसा करने के लिए सहमत न हो। इससे पहले, वहाँ एक सीमेन रोज़गार कार्यालय होता था जिसमें रोस्टर सिस्टम था जो चक्रानुसार समुद्री नाविकों को रोज़गार देता था। इसे 1994 में हटा दिया गया और जहाज़ मालिकों को किसी भी समुदी नाविक को रोज़गार देने या न देने का अधिकार दे दियाI हड़ताली श्रमिकों की माँग है कि एसईओ और रोस्टर सिस्टम को फिर शुरू किया जाए।

एक और बड़ी माँग है कि सभी सेवानिवृत्त नाविकों को 5,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जाये। प्रत्येक सेवानिवृत्त (और पंजीकृत) समुद्री नाविक शायद भारत के संगठित क्षेत्र में सबसे कम मासिक पेंशन प्राप्त करता है – कुल 200 रुपये के करीब! नाविकों ने आरोप लगाया कि विभिन्न कल्याणकारी फंडों में 5,000 करोड़ रुपये पड़े हैं लेकिन बर्बादी की कगार पर सेवानिवृत्त समुद्री नाविकों की देखभाल के लिए इस फण्ड को इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। यद्यपि भविष्य निधि सुविधा समुद्री यात्रियों के लिए उपलब्ध है (बहुत कम बुनियादी मज़दूरी के आधार पर ही सही) और समुद्र में रहते हुए व्यक्तिगत बीमा द्वारा कवर किया जाता है, परिवार की चिकित्सा बीमा या कवरेज के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

अन्य माँगों में मज़दूरी समझौते पर काम करना और वर्तमान सुरक्षित प्रबंधन मानकों को वापस लेना है, जिसके तहत जहाज़ पर मौजूद नाविकों की न्यूनतम संख्या में 12-14 की कटौती और प्रशिक्षित नाविकों के लिए रोज़गार शामिल है। वर्तमान में ऐसे कई संस्थान हैं जो मर्चेंट नौसेना में शामिल होने के लिए छात्रों को प्रशिक्षण देते हैं लेकिन सैकड़ों ऐसे प्रशिक्षु नौकरियों को खोजने में असमर्थ हैं और बेरोज़गार घूम रहे हैं।

भारत के शिपिंग उद्योग - विशेष रूप से समुद्री नाविकों - को 1990 के दशक से सरकार की उदासीनता के चलते गंभीर संकट का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र में उदारवादी नीतियों को अपनाया गया और विनियमित किया गया। निजी जहाज़ मालिक सरकार के मुकाबले इस उद्योग पर हावी हैं। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से वे अपनी ज़रूरतों और माँगों को समायोजित कर रहे हैं। हाल ही में, शिपिंग नीति में परिवर्तन किए गए थे, जो न्यूज़क्लिक द्वारा विशेष रूप से रिपोर्ट किए गया जिसके अनुसार विदेशी कम्पनियों को भारतीय बन्दरगाहों के बीच आवाजाही में अधिक महत्त्व दिया जायेगाI इस भूख हड़ताल में समुद्री नाविकों द्वारा उठाए गयी कई माँगें निजी क्षेत्र की पक्षधर नीतियाँ अपनाने से पैदा हुई हैंI

 

Seafarers Strike
Forward Seamens’ Union of India
Maritime Labour Convention

Related Stories


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License