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भारत
राजनीति
भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर देवबंद पुलिस की हिरासत में, तबीयत बिगड़ने पर मेरठ में भर्ती
दलित अधिकारों के सवालों को लेकर भीम आर्मी 15 मार्च को दिल्ली में हुंकार रैली कर रही है। इसी रैली के लिए जागरूकता अभियान पर निकले भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद को देवबंद में पुलिस ने चुनाव आचार संहिता के नाम पर रोक लिया और हिरासत में ले लिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Mar 2019
भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर को पुलिस ने हिरासत में लिया।

भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद को देवबंद पुलिस ने हिरासत में लिया है। इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें मेरठ के अस्पताल ले जाया गया है।

दलित अधिकारों के सवालों को लेकर भीम आर्मी 15 मार्च को दिल्ली में हुंकार रैली कर रही है। इसी रैली के लिए जागरूकता अभियान पर निकले भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद को आज मंगलवार को देवबंद में पुलिस ने चुनाव आचार संहिता के नाम पर रोक लिया और हिरासत में ले लिया। इस दौरान उनकी पुलिस से बहस भी हुई। और उनकी तबीयत बिगड़ गई। इस दौरान उनके साथ जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन साई बालाजी, छात्र संगठन आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे और फरहान मौजूद थे।  

आपको बता दें कि 15 मार्च की हुंकार रैली के लिए कल, सोमवार को भीम आर्मी द्वारा सहारनपुर से अभियान शुरू किया गया। कभी पैदल, कभी अन्य वाहनों से भीम आर्मी के सदस्य लोगों को रैली के प्रति जागरूक करते हुए आगे बढ़ रहे थे। आज देवबंद में रैली होनी थी और भी बुधवार को मुज़फ़फ़रनगर, फिर मेरठ होते हुए इस तरह दिल्ली पहुंचना था। यूपी और देश के अन्य हिस्सों से भी भीम आर्मी के सदस्यों के अलावा अन्य संगठनों के लोग इस रैली का हिस्सा लेने के लिए दिल्ली बुलाया गया है।

पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जान पर चंद्रशेखर ने कहा कि “वे चाहते हैं कि हम चुप बैठ जाएं, लेकिन हम गुलाम नहीं हैं, हम स्वतंत्र हैं और हम अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे, हमें जेल नहीं, कहीं भी ले जाएं। हम अपनी लड़ाई को आगे लेकर जाएंगे और 15 तारीख़ को दिल्ली की धरती पर नीला सैलाब आएगा।”

आइसा अध्यक्ष सुचेता डे ने फोन पर न्यूज़क्लिक को बताया कि इसी जागरूकता अभियान का हिस्सा बनने के लिए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष साई बालाजी और आइसा उपाध्यक्ष फरहान के साथ वे आज देवबंद पहुंची थी, लेकिन यहां आकर देखा तो पुलिस ने बलपूर्वक चंद्रशेखर को रैली से रोक दिया है। पुलिस प्रशासन का कहना था कि चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लग गई है और अब बिना अनुमति के कोई रैली-जुलूस नहीं निकाला जा सकता। जबकि भीम आर्मी का तर्क था कि वह कोई राजनीतिक दल नहीं हैं और न ही चंद्रशेखर चुनाव लड़ रहे हैं। वह एक सामाजिक संगठन हैं और इस पूरी रैली के लिए प्रशासन से पूर्व में अनुमति ली गई थी। अब चुनाव घोषित हो गए हैं तब भी डीएम ही सक्षम प्राधिकारी हैं, वह इसकी अनुमति दे सकते हैं। लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। चंद्रशेखर ने मोटरसाइकिल से भी निकलने की कोशिश की लेकिन उन्हें रोक दिया गया। इसी दौरान चंद्रशेखर की तबीयत बिगड़ गई।

सुचेता का कहना है कि देशभर में दलित आंदोलन पर जो पूरा हमला है, कमज़ोर वर्ग का उत्पीड़न है, मॉब लिंचिंग है, इसी सब के खिलाफ बहुजन समाज की ओर से दिल्ली में हुंकार रैली की जा रही है। इसके अलावा भारत बंद के दौरान गिरफ्तार किए गए दलितों को भी अभी तक छोड़ा नहीं गया। इस सवाल को भी लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन यूपी की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार नहीं चाहती कि लोगों तक उसकी सच्चाई पहुंचे। इसलिए चंद्रशेखर को रैली से रोका गया।  

जेएनयूएसयू अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि ये पुलिस प्रशासन का सही रवैया नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें भी चंद्रशेखर के साथ रोका गया लेकिन बाद में छोड़ दिया गया। उन्होंने बताया लेकिन वे चंद्रशेखर को अकेला नहीं छोड़ेंगे और उन्हें देखने मेरठ अस्पताल जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता की ये लड़ाई जारी रहेगी और 15 की रैली और मजबूती से होगी और पूरे देश बहुजन एकता को देखेगा।

चंद्रशेखर के साथ सुचेता और बालाजी ने आह्वान किया है कि सरकार और पुलिस-प्रशासन के इस उत्पीड़न के खिलाफ सभी लोग ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में 15 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुंकार रैली में पहुंचे।

 

(पुलिस कार्रवाई का विरोध करते बहुजन समाज के लोग)

भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी ट्वीट कर इस मामले में अपनी राय रखी और चंद्रशेखर को हिरासत में लेने की निंदा की। उन्होंने कहा कि हर किसी को शांतिपूर्वक अपनी मांगें रखने और मार्च निकालने का अधिकार है।

Just heard that #BhimArmy leader Chandrasekhar, JNUSU President @nsaibalaji, @AISA_tweets President @sucheta_ml have been detained by @Uppolice while marching from Saharanpur to Delhi. Release all activists. They have every right to hold a peaceful march and raise their demands. pic.twitter.com/WfPIWIkt9q

— Dipankar (@Dipankar_cpiml) March 12, 2019

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