NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भीमा कोरेगाँव की लड़ाई ( एक संक्षिप्त इतिहास )
भीमा कोरेगाँव की लड़ाई की 200वीं वर्षगाँठ को बहाना बनाकर जिस तरह की हिंसा महाराष्ट्र में फैलायी जा रही है उसके राष्ट्रव्यापी संदर्भ हैं Iइसी विषय पर न्यूज़क्लिक ने जाने-माने दलित लेखक और कार्यकर्त्ता डॉ रावसाहेब कसबे से बातचीत की I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Jan 2018
भीमा गोरेगाँव

भीमा कोरेगाँव की लड़ाई की 200वीं वर्षगाँठ को बहाना बनाकर जिस तरह की हिंसा महाराष्ट्र में फैलायी जा रही है उसके राष्ट्रव्यापी संदर्भ हैं Iइसी विषय पर न्यूज़क्लिक ने जाने-माने दलित लेखक और कार्यकर्त्ता डॉ रावसाहेब कसबे से बातचीत की I जिसका सार आपके सामने प्रस्तुत है I

रावसाहेब ने भीमा कोरेगाँव की लड़ाई की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज़िक्र करते हुए बताया कि सन् 1818 में अंग्रेज़ों और पेशवाई के बीच लड़ी गयी इस लड़ाई में अंग्रेज़ी सेना का नेतृत्व करने वाले और ज़्यादातर सैनिक महार जाति के थे I यह मूलतः अस्पृश्य जाति मानी जाति है I पेशवाई एक हिन्दू राज था I लड़ाई में अंग्रेज़ों की जीत हुई I उनकी सेना ने पेशवाई की मज़बूत सेना को हराया और महाराष्ट्र में अंग्रेज़ों का राज स्थापित किया I अंग्रेज़ों ने इस लड़ाई की याद में एक स्मारक बनवाया I इस स्मारक पर कुछ अस्पृश्य जाति के लोगों के भी नाम हैं I बाबासाहेब अम्बेडकर ने इसे अस्पृश्यता से आज़ादी की पहली लड़ाई भी मानाI

हर साल पहली जनवरी को इस यहाँ मेला लगता है I जैसे-जैसे इस घटना के बारे में देश के दूसरे हिस्सों के दलितों को पता चला इस मेले में शिरकत करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती गयी I कर्नाटक और आंध्रप्रदेश से भी तथाकथित अस्पृश्य मानी जाने वाली जातियों के लोग यहाँ आने लगे I धीरे-धीरे उत्तर भारत का दलित समाज भी इस लड़ाई के बारे जानने लगा और वहाँ से भी लोग इस समाहरोह में हिस्सा लेने आने लगे I

इस साल इस ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं वर्षगाँठ है इसलिए इस बार समाहरोह के प्रति उत्साह और भी ज़्यादा रहा I अनुमान है कि इस बार तीन से साढ़े तीन लाख लोग यहाँ आयेI

इस समाहरोह के बहाने से हिंसा का जो माहौल बनाया जा रहा है उस विषय में रावसाहेब ने बताया कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है तभी से आरएसएस के अजेंडे को फैलाया जा रहा है I     

bheema goregaon
battle of 1818
Dalits
Attack on dalits

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे

भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं का बौद्धिक विद्रोह


बाकी खबरें

  • Jahangirpuri
    न्यूज़क्लिक टीम
    जहांगीरपुरी: हिंसा और तनाव के बाद निकली सौहार्द की तिरंगा यात्रा
    25 Apr 2022
    जहांगीरपुरी में हिंसा के एक सप्ताह बाद रविवार 24 अप्रैल को हिन्दू मुस्लिम सौहार्द स्थापित करने के लिए दोनों समुदाय के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली।इसमें लोगों ने कहा 16 अप्रैल की जो घटना हुई वो एक…
  • भाषा
    ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार
    25 Apr 2022
    मोदी के खिलाफ ट्वीट से संबंधित एक मामले में सोमवार को असम की एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद, असम पुलिस ने उन्हें अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में फिर से गिरफ़्तार कर लिया।
  • aadiwasi
    न्यूज़क्लिक टीम
    जनगणना में अलग धर्मकोड से ही बचेगी आदिवासियों की पहचान !
    25 Apr 2022
    दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर से आए आदिवासी प्रतिनिधि अगले साल होने वाली जनगणना में अपने लिए अलग धर्मकोड माँग रहे है. उनका मानना है कि आदिवासियों की गणना संविधान के द्वारा दिए गए धर्म चुनने की…
  • भाषा
    लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी के आत्मसमर्पण पर पीड़ित परिवार ने खुशी जताई
    25 Apr 2022
    उच्चतम न्यायालय से जमानत रद्द होने के बाद आशीष मिश्रा ने रविवार को लखीमपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
  • भाषा
    दिल्ली में गिरी इमारत के मलबे में फंसे पांच मज़दूरों को बचाया गया
    25 Apr 2022
    ‘‘यह एक पुरानी इमारत थी और मरम्मत के लिये अच्छी स्थिति में नहीं थी। हमें जांच में पता चला है कि इसे पीजी में बदलने के लिए मरम्मत का काम किया जा रहा था । इसलिए, उन्होंने ढांचे के कुछ हिस्से को तोड़ा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License