NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भोजन एवं काम के अधिकार के साथ कश्मीर के अधिकार बहाल करने की भी मांग
छत्तीसगढ़ में भोजन एवं काम के अधिकार पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन। 110 संस्थाओं और संगठनों के सदस्यों ने लिया हिस्सा। कश्मीर से लेकर देश में बढ़ रहे नफ़रत के माहौल तक पर बात।
तामेश्वर सिन्हा
24 Sep 2019
kashmir issue

रायपुर (छत्तीसगढ़): भोजन एवं काम के अधिकार पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन पास्टोरल सेंटर, रायपुर, में हुआ। इस अधिवेशन में 15 राज्यों से 1000 से ज्यादा सदस्यों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन में भोजन एवं काम के अधिकार के अलावा कश्मीर का अधिकार बहाल करने और देश में बढ़ रहे नफ़रत के माहौल पर भी बात की गई।

22 सितम्बर तक चले इस अधिवेशन में  देश भर में काम करने वाली 110 संस्थाओं और संगठनों जैसे छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, जन स्वास्थ्य अभियान, नेशनल अलायन्स फॉर पीपल्स मूवमेंट, मजदूर किसान शक्ति संगठन, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, सतर्क नागरिक संगठन, देश भर के दलित आदिवासी संगठन, विकलांग मुद्दों पर काम करने वाले और ट्रांसजेंडर नेटवर्क आदि ने भाग लिया।

अधिवेशन की शुरुआत एक रैली से हुई जो बूढा तालाब से ‘जब तक भूखा इंसान रहेगा, धरती पे तूफान रहेगा’ और ‘गोदामों में सड़े अनाज, फिर भी बच्चे भूखे आज’ जैसे नारों के साथ बायरन बाजार पहुंची। आदिवासी नृत्य के साथ सम्मलेन की शुरुआत हुई, जिसके बाद छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े शहीद स्कूल, बिरगांव के बच्चों ने किसानों के मुद्दों को ऐतिहासिक सन्दर्भ के साथ प्रस्तुत किया जिसमें हाइब्रिड बीज, कीटनाशक का इस्तेमाल, ब्याज, जमीन के अधिकार एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर चर्चा की।
IMG-20190920-WA0023.jpg
कार्यक्रम में अभियान के सदस्यों के साथ सोपान जोशी, राम पुनियानी, भंवर मेघवंशी, ज्यां द्रेज़ जैसे वरिष्ठ विचारकों ने सभा को सम्बोधित किया। तीन दिनों में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें वक्ताओं और प्रतिभागियों ने देश में बढ़ते नफ़रत के माहौल, ब्राह्मणवाद, हिंदुत्व की राजनीति और दमन के माहौल पर चिंता व्यक्त की और इसकी खिलाफ संघर्ष करने की मांग की।

कार्यकर्ताओं ने संकुचित होती लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला जिसमें कानूनों, संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है जिसके सबसे ज़्यादा शिकार अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासी जैसे हाशिये में रहने वाले समुदाय है। बस्तर में झूठे एनकाउंटर, शारीरिक और यौनिक हिंसा की कड़ी निंदा की गयी।

कश्मीर के मौजूदा हालात जिसमे लोगों के बुनियादी हकों का हनन हो रहा है, पर चिंता व्यक्त की गई। देश के जल, जंगल, जमीन पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों ने औद्योगिक प्रोजेक्टों एवं कोयला खनन के कारण हो रहे विस्थापन का मुद्दा उठाया गया, साथ ही पुनर्वास नीति पर सवाल उठाया। देश में वनाधिकार कानून के खराब क्रियान्वयन का मुद्दा उठाया गया।

वक्ताओं ने चिंता जताई की यह सरकार अपने कल्याणकारी दायित्वों से पीछे हट रही है।कल्याणकारी और पोषण की योजनाओं जैसे राशन, मध्यान्ह भोजन, आंगनवाडी, रोज़गार गारंटी, पेंशन के सही क्रियान्वयन और निगरानी की मांग की गयी। प्रतिभागियों ने कल्याणकारी योजनाओं में अनियमितता और घोटालों की बात रखी। प्रतिभागियों ने बताया कि सरकार की योजनाओं की बारे में जानकारी और प्रचार प्रसार की कोई मंशा नहीं लगती न ही शीघ्र शिकायत निवारण के लिए नियम बनाने के लिए वह तत्पर दिखती है।
IMG-20190921-WA0020.jpg
न सिर्फ यह, प्रतिभागियों ने कल्याणकारी योजनाओं का दायरा बढाने की मांग रखी जैसे आंगनवाडी जैसे गरम पका भोजन की सुविधा 3 साल से छोटे बच्चों के लिए होनी चाहिए, माताओं के प्रजनन श्रम में सहयोग के लिए क्रेच जैसे योजना हो, पेंशन की रकम बढ़ाई जाए, पोषण योजनायों में अंडा, कांदा आदि जैसे समुदाय की पसंद के अनुसार पोषक आहार दिए जाए आदि।

कार्यक्रम का अंत में प्रस्ताव हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने कई मांग रखी। मांग रखी गयी कि कश्मीर में संचार सेवाएं और नागरिक अधिकार वापस दिए जाए एवं कश्मीर के किसी भी फैसले में कश्मीरियों की राय ली जाए।

बस्तर में आदिवासियों और मानवाधिकार कार्यकर्ता पर दमन का सिलसिला समाप्त हो। हाल ही में बेला भाटिया, सोनी सोरी पर हुई एफआईआर को शीघ्र वापस लिया जाय।
IMG-20190920-WA0016_0.jpg
मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर लगाये गए फर्जी केस और यूएपीए जैसे कानूनों को वापस लेने की मांग रखी गयी। नर्मदा बांध में डूबान क्षेत्रों में आये गांव को मुआवजा और विस्थापन की मांग हुई और यह मांग की गई कि बांध का जलस्तर बढ़ाने की प्रक्रिया को तत्काल समाप्त किया जाए।

खाद्य सुरक्षा कानूनों, रोजगार गारंटी, पेंशन, पोषण कार्यक्रमों के सही क्रियान्वयन और निगरानी की मांग की गयी। आधार से बढ़ते खतरों से सचेत होने की और कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता हटाने की मांग रखी गयी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े सांस्कृतिक समूह द्वारा रेला, चन्द्रिका जी और समूह द्वारा पंडवानी, कारवां ए मोहब्बत द्वारा फिल्म्स और रामलाल और पुष्पा जी के द्वारा कठपुतली नाच प्रस्तुत किये गए।

सभी प्रतिभागियों ने लोकतंत्र के संकुचित होते दायरे और दमन के माहौल के संघर्ष करते रहने और रोज़ी रोटी और काम के अधिकार को सभी के लिए सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। 

Jammu and Kashmir
Basic need of kashmiri people
Food and work rights
Chhattisgarh
human rights violation
human rights in india

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License