इन दिनों भारतीय न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक मूल्यों से मुक्त कराने की चर्चा में तरह-तरह के विचार सामने आ रहे हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने एक संगोष्ठी में कुछ विचार प्रकट किये. न्याय और विधान को जानने वाले गणमान्य लोगों में उनके विचारों पर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आई है. मनु और नारद के न्याय सम्बन्धी विचारों की क्या आज के दौर में कोई उपयोगिता है? क्या ये विचार डाक्टर बी आर अम्बेडकर के विचारों के उलट नहीं हैं? #AajKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण: