NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
भारत के बारे में बाइडेन औऱ सावरकर के विचार सर्वथा विपरीत
हाउडी मोदी कार्यक्रम के आयोजक आरएसएस के सदस्य संभवत: ट्रंप प्रशासन की चापलूसी कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते थे।
एम. के. भद्रकुमार
25 Jan 2021
वाशिंगटन, डीसी में  20 जनवरी 2021 को कमला हैरिस को अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस मौके पर राष्ट्रपति जोए बाइडेन (एकदम दाहिने) भी मौजूद थे। 
वाशिंगटन, डीसी में  20 जनवरी 2021 को कमला हैरिस को अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस मौके पर राष्ट्रपति जोए बाइडेन (एकदम दाहिने) भी मौजूद थे। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी सरकार में वरिष्ठ पदों के लिए 20 से अधिक भारतीय मूल के अमेरिकियों का चयन किया है। उन सभी में एक समानता यह है कि उनका आरएसएस या बीजेपी के साथ दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। उनके चयन में जो कड़े मानदंड रखे गए, वह यह कि भारत के अति महत्त्वाकांंक्षी सांस्कृतिक संगठन के संक्रमण से दूर-दूर ही रहा जाए, जो देश और उस पार्टी का संचालन करता है, जिसकी इस समय वहां के केंद्र और कई राज्यों में सरकारें हैं।

यह उन लोगों के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है जो भारतीय विदेश नीति संस्थान द्वारा अमेरिकी राजनीति की इस गलत व्याख्या को दहशत से देख रहे थे, जिसने बेहद भोलेपन से डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति की पुनर्वापसी को तय मान लिया था और अब वह इस गलती को आवृत करने में खुद को अक्षम पा रहे हैं। 

बाइडेन संघ परिवार की अव्यवस्था को अपने से बहुत दूर रखने के प्रति विचारशील रहे हैं।  ट्रंप के 4 साल के शासन के बाद वह एकता की राजनीति, समावेशीकरण और  सहिष्णुता पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बाइडेन ने 50 साल के अपने सार्वजनिक जीवन में एक राजनेता के रूप में बड़ी प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि अर्जित की है। वे कट्टरता का तिरस्कार करते हैं और पहचान की राजनीति से घृणा करते हैं,  जो वास्तव में आज उनका ट्रंप कार्ड है, क्योंकि वह “ट्रंपवाद” के अंधेरे काल-क्षेत्र से अपने देश को बाहर निकाल  लाने के लिए अगुवाई कर रहे हैं। 

बाइडेन को अपने शीर्ष डेमोक्रेट नेता (जिनमें ब्रेनी सैंडर्स, नैंसी पेलोसी, प्रमिला जयपाल इत्यादि शामिल हैं) के “हाउडी मोदी” के रूप में हुए घृणित तमाशे के प्रति उनके परिवर्तित भाव से अवश्य ही अवगत होना चाहिए, जिसे अक्टूबर 2018 को ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंचित किया गया था। यह अमेरिकन राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ था। तब मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे थे। 

ट्रंप ने बाद में मोदी को “लीजन ऑफ मेरिट” सम्मान देकर अपना मामला और बिगाड़ लिया। यह सम्मान अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से विदेशी सेना के अधिकारी को उसके उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है। लेकिन ट्रंप ने इसे मोदी को भारत के नेता के रूप में “अति मेधाविता के साथ सेवा करने” के उपलक्ष्य में दिया।

हाउडी मोदी कार्यक्रम के आयोजक आरएसएस के सदस्य संभवत: ट्रंप प्रशासन की चापलूसी कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते थे। लेकिन इसमें सर्वाधिक चकित करने वाली बात यह है कि बहुत सारे बुद्धिमान भारतीय ह्यूस्टन में मंचित उस भद्दे तमाशे के झांसे में आ गए। इस बारे में एक भारतीय विश्लेषक ने लिखा है:  

“अमेरिका के टेक्सास और अन्य दक्षिणी क्षेत्रों में दक्षिणपंथी राजनीतिक विचारधारा की प्रभुता की वजह से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों और कार्यों में सम्मिलित होना और उससे जुड़ाव होना कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है। दरअसल, यह बात अमेरिका के सभी दक्षिणी प्रांतों में है। दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में, जहां ईसाई कट्टरपंथी भी हैं, वह मोदी को ज्यादा अनुकूल समझते हैं। यह धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी अमेरिकी विचारधाराओं के लोगों के विपरीत हैं जिन्हें परंपरागत रूप से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल से भारत का समर्थन हासिल था।”  

पुराने समय में भी खुशामद की कला धड़ल्ले से काम में लाई जाती थी। आपको सीधे कहना होता था कि अमुक धनी आदमी काफी लंबा-चौड़ा, बहादुर और बुद्धिमान था। उस विधि की सुरक्षा उसके बनावटीपन में ही होती थी। हर कोई जानता था कि यह झूठ है और इससे कोई नुकसान नहीं था। लेकिन आज के मोदी के युग में चापलूसी की कला  ज्यादा साभिप्राय हो गई है और इसीलिए वह खतरनाक है। रहस्यमय लबादे में होने के कारण सत्य अपनी चमक खो बैठता है और इधर, खुशामद से खुश हुआ व्यक्ति कई अनेक विचित्र, किंतु अवास्तविक विचारों से अपने को जोड़ लेता है।

विश्लेषक ने लिखा कि हिंदुत्व जो अब भारत में एक “राष्ट्रीय राजनीतिक विचारधारा” बन गई है, वह अमेरिकियों को “वेदांत की शिक्षा देने वाली कक्षाओं में भाग  लेने, आध्यात्मिक  शास्त्रार्थो-विमर्शो को सुनने और प्रत्येक दिन कुछ घंटों के लिए ध्यान करने की तरफ आकर्षित करने लगा था।” भारतीय दर्शन के साथ हिंदुत्व के इस मिश्रण के बारे में उन्होंने आगे लिखा:

“ह्यूस्टन में मोदी का दौरा एक रूपांतरकारी मोड़ हो सकता था, अगर उनकी सरकार की हालिया कार्यवाहियों, विशेष कर जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर भारत में लिए गए फैसलों के प्रति डेमोक्रेट्स के मन में असंतोष एक स्थिर और पूंजीभूत न हो गया होता। अधिकतर युवा डेमोक्रेट-पार्टी में सर्वाधिक संख्या भारतीय मूल के अमेरिकी की है- ट्रंप की समग्र नीतियों और उनकी राजनीतिक शैली के विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया में वाम पंथ की तरफ मुड़ चुके हैं।  इन युवा डेमोक्रेट्स  की समूची पीढ़ी उस नये भारत के विचार को छोड़ सकती है, जिसे नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी 2014 से ही केंद्र में पालन-पोषण करती रही है और जिसे वह अपने अगले  5 साल के शासनकाल में संरक्षण देती रहेगी।”

“अगर ऐसा होता है तो भारत को अमेरिका के साथ लगातार और बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए एक बीमा की जरूरत होगी। “प्लान बी” के तहत मोदी का ह्यूस्टन दौरा  भविष्य में भारत-अमेरिकी संबंधों को सुनिश्चित करेगा। ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने पर मोदी अपनी उस बीमा पॉलिसी को बेहतर तरीके से भुना सकते थे।”

मोदी संभवत: ऐसी अतिश्योक्ति से मंत्रमुग्ध हो गए होंगे।  लेकिन भारतीय विदेश नीति-प्रतिष्ठानों के बारे में क्या कहें, जिसे पता होना चाहिए था कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति होने की नियति एक विषाक्त विषय है? प्रसंगवश बता दिया जाए कि कैलिफोर्निया के प्रतिनिधि ब्रॉड शेरमैन और टेक्सास के प्रतिनिधि अल ग्रीन ने 2019 की शुरुआत में ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग का दोबारा प्रस्ताव लाया था, या फिर कैसे राशिदा हरबी तालिब ने कैपिटल हिल पर धावा बोलने पर सार्वजनिक रूप से तीखी प्रतिक्रिया दी थी। राशिदा प्रतिनिधि सभा में मिशिगन क्षेत्र से डेमोक्रेट्स की प्रतिनिधि और वकील हैं--उन्होनें प्रतिक्रिया में कहा था कि डेमोक्रेट्स “मदर…..के खिलाफ महाभियोग” लाएंगे।

यह कहना पर्याप्त है कि बाइडेन जिस भारत को उचित ही मान देते हैं और जिसके प्रति अपने मन में आदर का भाव रखते हैं, वह मौजूदा समय में दक्षिण पंथी सत्ताधारी अभिजन की कमान में हमारे उस भारत का सर्वथा विलोम है। यह सब हमारी सरकार के दायरे में राजकाज की दुखद दशा-दिशा को परिलक्षित होता है।  याद रहे कि  ह्यूस्टन  में ट्रंप  ने एक अतिरंजित मुद्रा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का सार्वजनिक रूप से नाम लिया और उन्हें भारत-अमेरिकी मैत्री के लिए बेहद मूल्यवान बताते हुए उनकी सराहना की। ट्रंप को 900 पाउंड के गुरिल्ला के रूप में भी जाना जाता है और जयशंकर को उपकृत करने के पीछे अवश्य ही कोई नेक कारण रहा होगा। 

दूसरी तरफ, जो बाइडेन ने भी भारत के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को नहीं छुपाया है। उन्होंने यह भारत-अमेरिकी संबंध को अपने देशहित में बताते हुए इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। संभव है कि बाइडेन प्रशासन भारत के साथ रणनीतिक-साझेदारी बढ़ाने वाली नीति को आगे बढ़ाए। अतः अमेरिका सेना-से-सेना के स्तर पर सहयोग को उत्सुकता से जारी रखेगा। जब तक एशिया-प्रशांत रणनीति के केंद्र में चीन के साथ अमेरिका की शत्रुता रहेगी, भारत को उसकी जरूरत बनी रहेगी। 

हालांकि, हमें इस परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी नीतियों को प्रभावित करने की भारतीय-अमेरिकी समुदायों की परिक्षेप का भी ध्यान रखना चाहिए। निसंदेह, भारतीय-अमेरिकी अपने को व्यापक ज्ञान,  प्रतिभा और पेशेवर दृष्टिकोण से संवलित एक कोष के रूप में रखते हैं। हमें उनमें विखंडन की बात नहीं सोचनी चाहिए। इस भारतीय-अमेरिकी समुदाय को अमेरिका की राजनीति में एक प्रगतिशील ताकत बने रहने देना, भारत के ही दीर्घकालीन हित में है। 

इस बीच, एक विलक्षण घटना हुई है। अमेरिका की नई उपराष्ट्रपति के पद पर कमला हैरिस का चुना जाना। भारतीयों को उन पर अत्यधिक गर्व होना लाजमी है, लेकिन इसे समझने में भूल कदापि न करें कि वे पूरी तरह से स्वयं द्वारा अर्जित-निर्मित राजनीतिक हैं। बाइडेन द्वारा अपने सहयोगी के रूप में चुने जाने के पहले इस अतिअसाधारण अश्वेत अमेरिकी महिला को आरएसएस और भाजपा ने कोई तव्वजो नहीं दी थी।

यद्यपि  कमला हैरिस के लिए भारत की यात्रा हमेशा एक संवेदनात्मक यात्रा रहेगी। क्या यह परिघटना से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि कभी भारत एक अजूबा था?  कमला और बाइडेन के आइडिया ऑफ इंडिया और सावरकर के भारत के विचार  धुर-विपरीत हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Biden’s Idea of India and Savarkar’s is Poles Apart

Joe Biden
RSS
BJP
American politics
Donald Trump
Sangh Parivar
US-India Ties
Howdy Modi
Hindutva

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License