NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
बाइडेन-शी जिनपिंग शिखर सम्मेलन संभावित 
इस संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन और चीन के पोलित ब्यूरो सदस्य यांग यिएची के बीच स्विटजरलैंड के ज्यूरिख में हुई बैठक महत्त्वपूर्ण है। 
एम. के. भद्रकुमार
10 Oct 2021
US National Security
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन (एल) ने 6 अक्टूबर 2021 को ज्यूरिख में चीनी पोलित ब्यूरो के सदस्य यांग जिएची के साथ छह घंटे तक बातचीत की।

स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन और चीन के पोलित ब्यूरो सदस्य यांग जिएची के बीच हुई बैठक के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इससे चीन-अमेरिकी के बीच ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा? 

इस बड़े सवाल का एक बेहद छोटा-सा जवाब है-हां। हालांकि, सुलिवन और यांग के पास अमेरिका-चीन संबंधों की पालदार नाव को कुशलता से खेने का गुरुतर दायित्व है। पाल वाली नौका को संचरित करने में मुख्य समस्या यह है कि एक तरफ से हवा के थपेड़े इतना प्रचंड हैं कि वह नाव को डगमगा दे रहे हैं और जब तक पाल दूसरी तरफ की हवा को पकड़ नहीं लेता नाव के मुहाने को आगे कैसे मोड़ा जाए। 

जाहिराना तौर पर यह आसान काम नहीं है और इसके लिए न केवल ठोस तरीकों और सटीक सोच की आवश्यकता होती है, बल्कि उस तरह के सही समन्वय की दरकार भी होती है जो वाशिंगटन और पेइचिंग के बीच फिलहाल अनुपस्थित है। 

ज्यूरिख में वार्ता पर व्हाइट हाउस की विज्ञिप्ति अनावश्यक रूप से रक्षात्मक तेवर लिए हुई है, शायद देश के नागरिकों को ध्यान में रखते हुए उसकी भंगिमा ऐसी रखी गई है। इसके विपरीत चीनी विज्ञप्ति, जैसा कि शिन्हुआ द्वारा रिपोर्ट किया गया है, ने दावा किया कि दोनों उच्च पदस्थ राजनयिकों के बीच छह घंटे तक चली वार्ता बेहद "स्पष्ट तरीके से" हुई और द्विपक्षीय संबंधों एवं साझा हितों के अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मसलों पर "विचारों का एक व्यापक और गहन आदान-प्रदान" हुआ। इस बैठक को चीन की तरफ से "रचनात्मक, और आपसी समझ बढ़ाने के लिए अनुकूल" बताया गया है। 

शिन्हुआ के अनुसार, यांग और सुलिवन "चीनी और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों के बीच पिछले महीने 10 सितंबर को फोन पर हुई बातचीत में उभरी मंशा के अनुरूप ही रणनीतिक संचार को मजबूत करने, मतभेदों को ठीक से निबटाने, टकराव और संघर्ष से बचने, पारस्परिक लाभ और जीत के नतीजों को तलाशने और चीन-अमेरिका संबंधों को सही स्वर देने और उसे स्थिर विकास के सही रास्ते पर वापस लाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।” 

रिपोर्ट में कहा गया है: "यांग ने कहा कि चीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा हाल ही में चीन-अमेरिका संबंधों पर की गई सकारात्मक टिप्पणियों को अहमियत देता है, जिसमें अमेरिकी पक्ष ने कहा है कि उसका इरादा चीन के विकास को रोकने का नहीं है और वह एक "नए शीत युद्ध" की मांग नहीं कर रहा है। 

हालांकि दोनों में से कोई भी विज्ञप्ति स्पष्ट रूप से यह नहीं बताती कि अमेरिका और चीन के बीच निकट भविष्य में कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में किस तरह का सहयोग बनेगा। पेइचिंग ने कहा था कि जब तक बाइडेन प्रशासन शत्रुतापूर्ण नीतियों का पालन करना जारी रखता है और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है, तब तक चयनात्मक सहयोग की कल्पना अवास्तविक है। यह बताने के बाद, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "दोनों पक्षों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्तियां अपने-अपने संदर्भ में अधिक सकारात्मक थीं। इससे पता चलता है कि बैठक उत्पादक थी...दोनों सार्वजनिक प्रेस विज्ञप्तियों में एक दूसरे पक्ष के खिलाफ कोई नकारात्मक विवरण और आरोप नहीं लगाए गए थे। दोनों देशों के बीच मौजूदा मतभेदों को बेहद मुलायम शब्दों में बस छू भर दिया गया था।"

कहा जाता है कि अमेरिकी अधिकारियों ने मीडिया को बाद में बताया कि सुलिवन और यांग ने इस संभावना को खंगाला कि क्या इस साल के अंत तक दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच एक वीडियो बैठक हो सकती है। 

जाहिर है अमेरिका और चीन के बीच गंभीर प्रकृति के मतभेद हैं। चीन "ताकत के जोर से" बोलने के अमेरिकी ढोंग को स्वीकार नहीं करेगा। वहीं दूसरी ओर, हाल ही में यह स्पष्ट हो गया है कि बाइडेन प्रशासन की बयानबाजी नरम पड़ रही है-अब टकराव नहीं रहा है और वाशिंगटन  इस बात को बार-बार रेखांकित कर रहा है कि वह "नया शीत युद्ध" नहीं देखना चाहता है।

ज्यूरिख में बैठक की पूर्व संध्या पर ताइवान के बारे में राष्ट्रपति बाइडेन का खुला आश्वासन वास्तव में सबसे सार्थक था, जो यह दर्शाता है कि अमेरिका प्रतिस्पर्धा को टकराव में बदलने से रोकना चाहता है। यदि अमेरिका ने चीनी कंपनी हुआवेई के कार्यकारी अधिकारी हेंग वानझोउ की लगभग नजरबंदी की स्थिति को रोक कर चीन को एक निश्चित सकारात्मक संदेश दिया है, तो AUKUS, जैसा कि पेइचिंग मानता है कि अटलांटिक-पार का यह गठबंधन दोनों पक्षों के बीच एक तीखे विवाद का विषय बना हुआ है। इसी बीच, बाइडेन प्रशासन ने कोविड-19 महामारी की शुरुआत की जांच की फाइल बंद कर दी, जो चीन की तरफ खुलती थी। 

सबसे महत्वपूर्ण यह कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने सोमवार को वाशिंगटन में सीएसआइएस थिंक टैंक में दिए अपने एक भाषण में घोषणा की कि अमेरिका निकट भविष्य में चीन के साथ व्यापार पर "स्पष्ट बातचीत" करेगा। पेइचिंग ने इसे अपने प्रति एक सकारात्मक संकेत के रूप में लिया है, जो अमेरिका-चीन के बीच रचनात्मक बातचीत होने की उम्मीद बंधाता है। 

वार्ता में पहले चरण का व्यापार समझौता शामिल होगा, लेकिन ताई ने कहा कि उनका इरादा "चीन के साथ व्यापार-तनाव भड़काने" का नहीं है। (चीन 2020 एवं 2021 में अमेरिका से $200 बिलियन डॉलर्स का अतिरिक्त माल खरीदने से वंचित रह गया।) दिलचस्प बात यह है कि ताई ने ट्रम्प प्रशासन द्वारा चीनी सामान पर सीमा शुल्क के रूप में एक वर्ष में लगाए गए $370 बिलियन डॉलर की छूट के लिए "एक लक्षित टैरिफ बहिष्करण प्रक्रिया" के बारे में भी बात की। 

ट्रम्प के "टैरिफ युद्ध" विपरीत प्रभाव पड़ा है और इसने अमेरिकी उपभोक्ताओं और निर्माताओं पर भारी असर डाला है। अमेरिका न तो चीनी उत्पादों के विकल्प ढूंढ़ सका और न ही औद्योगिक श्रृंखलाओं को चीन से बाहर जाने के लिए मजबूर कर सका है। फिर ये टैरिफ मुद्रास्फीति से निपटने के लिए बाइडेन प्रशासन के प्रयासों को केवल कमजोर ही करने वाले हैं। 

गौरतलब है कि ताई ने व्यापार वार्ता शुरू होने से पहले ही उसकी बॉटम लाइन तय कर दी-कि यह बाइडेन प्रशासन का चीन को आर्थिक रूप असंबद्ध करने की मांग के इरादे से नहीं है और इसके बजाय वह व्यापार क्षेत्र में पुरानी स्थिति की "बहाली" के लिए काम करेगा, जो अमेरिका को अधिक लाभ पहुंचाएगा जिसमें चीन के विशाल बाजार तक बड़ी पहुंच शामिल है। 

राजनीतिक दृष्टि से यदि चीन अमेरिका से कृषि उत्पादों की खरीद-मात्रा को बढ़ाता है तो यह बाइडेन के लिए बेहद फलदायक होगा। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर के मध्य में चीनी कंपनियों ने अकेले एक मद में करीब दस लाख टन अमेरिकी सोयाबीन के नए ऑर्डर दिए हैं। 

एक बार जब व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर पुरानी रफ्तार लौट आती है तो अमेरिकी-चीनी संबंधों में अन्योन्याश्रयता और गहरी हो सकती है और वह समग्र संबंधों को एक नई गति दे सकती है। शिंजियांग, हांगकांग आदि केवल परिधीय मुद्दे हैं जो संबंधों में गहराई न होने की स्थिति में रेंगते हुए केंद्रीय हैसियत पा जाते हैं। 

निःसंदेह संबंधों में गहरे अंतर्विरोध हैं जो एक शिखर बैठक करने से दूर नहीं होंगे। इस स्तर पर बाइडेन जो हासिल करने की उम्मीद करते हैं, वह संबंधों को पहले अपने पांवों पर खड़ा करने और उसे स्थिर करने का एक महत्त्वकांक्षी लक्ष्य है और यदि संभव हो तो उसे नीचे की तरफ खतरनाक तरीके से सरकने से रोकना है। इसका मतलब आगे राजनयिक बातचीत की गुंजाइश बनाना है।

निश्चित रूप से यह अमेरिका को एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देता है, जिसका उद्देश्य फिजूल के तनाव से बचना है। पर रुकावट यहीं है। यह देखा जाना बाकी है कि जब तक तनाव के स्रोत बने रहेंगे तब तक सकारात्मक प्रवृत्ति कैसे बनी रह सकती है। जाहिर है कि अभी भी बहुत कुछ गलत हो सकता है।

उनका कहा हुआ एक गहरा सच भी है। वाशिंगटन चीन को अपने उद्भव के अनुकूल न होने के लिए दोषी नहीं ठहरा सकता है। नाटो के विस्तार पर 1990 के दशक से ही अत्यधिक ध्यान देने, इसके बाद के अगले दो दशकों में पश्चिम एशियाई युद्धों में महंगे हस्तक्षेप करने और इस सब के बीच, घरेलू समस्याओं को दूर करने में मिली भयावह विफलता, जिसमें बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक शिक्षा लड़खड़ाना आदि शामिल हैं-तो इनमें से किसी के लिए भी चीन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

बहरहाल, चीन अमेरिका का मुख्य प्रतिद्वंद्वी है और यहां तक कि उसका विरोधी भी है, यह विचार अमेरिका में इतना व्यापक हो गया है कि उसकी पैठ जनमानस में हो गई है। फिर भी जब चीन की बात आती है, तो कांग्रेस में रूस-विरोध की तरह की ठोस द्विदलीय सहमति बाइडेन के हाथ नहीं बांध सकती है, लेकिन कांग्रेस के अवांछित हस्तक्षेप से इंकार नहीं किया जा सकता।

इसमें अच्छी बात यह है कि यूरोपीय यूनियन में अमेरिका के सहयोगी देश बाइडेन का चीन के साथ जुड़ाव का समर्थन करेंगे। कई यूरोपीय संघ की सरकारें पेइचिंग के साथ संबंधों में निहित प्रणालीगत प्रतिद्वंद्विता को भी पहचानती हैं, लेकिन अधिकांश यूरोपीय देश अभी भी चीन को अपने जीवन के लिए खतरे के रूप में नहीं देखते हैं और यह तो गिने-चुने ही होंगे जो विश्वास करते होंगे कि चीन दुनिया पर शासन करता है। 

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Biden-Xi Jinping Summit is on Cards

Jake Sullivan
USA
China
Biden
Chinese President Xi Jinping

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License